दिसंबर हिंदू शौर्य दिवस अयोध्या ही नहीं संपूर्ण भारतवर्ष में हिंदुओं की जीत थी : संतराम बालक दास
प्रतिदिन ऑनलाइन सत्संग का आयोजन बालोद जिला के पाटेश्वर धाम के संत श्री राम बालक दास जी के द्वारा उनके विभिन्न व्हाट्सएप ग्रुप में एक साथ प्रातः 10:00 बजे से 11:00 बजे तक 1 घंटे आयोजित किया जाता है जिसमें सभी भक्तगण जुड़कर अपनी विभिन्न जिज्ञासाओं को बाबाजी के समक्ष रखते हैं और उसका समाधान प्राप्त करते हैं
आज पुरुषोत्तम अग्रवाल जी ने जिज्ञासा रखी की बाबा जी हिंदू शौर्य दिवस 6 दिसम्बर के पावन दिवस पर राम जन्म भूमि आंदोलन के स्वर्णिम इतिहास पर विस्तृत प्रकाश डालने की कृपा करेंगे। बाबा जी ने शौर्य दिवस का व्याख्या करते हुए बताया कि आज के दिन 1992 में अयोध्या में हजारों साल पूर्व बने बाबरी ढांचा को ध्वस्त किया गया था और यह बहुत ही पराक्रम और शौर्य का दिन था
जय जय श्रीराम के नारे लगाते हुए हमारे भगवान श्री राम के लिए हिंदुओं के द्वारा चलाया गया यह आंदोलन था जो लंबे समय तक चला और हिंदुत्व की जय होते हुए भगवान श्री राम का आज भव्य मंदिर अयोध्या में निर्मित हो रहा है,जो हमारे इतिहास में कलंक था उसको धो दिया गया ढांचे का विध्वंस इस प्रकार हुआ जैसे लंका का दहन श्री हनुमान जी के द्वारा किया गया हो
वैसे इतिहास को देखा जाए तो राम भूमि जन्म के पक्ष में 500 वर्षों से युद्ध चलते आ रहा था,इसे रामजन्म भूमि सिद्ध करने के लिए विभिन्न साधको,ने वैष्णव समुदाय ने,नागा साधुओं ने,,संतों ने अपना जीवन का बलिदान दिया है,इस तरह से अगर हम मानें तो कई बलिदानों के साथ यह जन्मभूमि हमें प्राप्त हुई है लोगों के बलिदान और संघर्ष को तुलसीदास जी ने भी अपने ग्रंथों में वर्णित किया है इस आंदोलन को हवा तब मिली जब विश्व हिंदू परिषद ने 1984 में यह मुद्दा उठाया इस धर्म संसद में निर्णयको संतो साधुओं ने एक आंदोलन छेड़ने की घोषणा की,योगी आदित्यनाथ जी के गुरु महंत अवेतत्यनाथ जी और राम चंद्र परमहंस जी अयोध्या के महान संत, आचार्य गिरिराज किशोर जी ऐसे महान संतों ने इसका बीड़ा उठाया 5 अगस्त 1984 को अयोध्या में श्री राम मंदिर की आधारशिला रखी जाएगी ऐसा 1984 में ही घोषणा कर दी गई थी
इस आंदोलन को हवा तब मिली जब प्रथम केस 1985 में फैजाबाद की अदालत में महंत रघुवीर दास जी ने एक मस्जिद के खिलाफ मुकदमा दायर किया तब इस आंदोलन के बीज उत्पन्न हुआ, लेकिन इस आंदोलन की शुरुआत 1949 में ही हो चुकी थी, जब विवादित ढांचे के अंदर भगवान राम की मूर्तियां मिली थी और यहीं से यह आंदोलन शुरू हो चुका था और विवाद की स्थिति ना बने इसलिए सरकार ने यहां पर ताला जड़ दिया था,सभी की पूजा पाठ को बंद करा दिया गया और हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्ष ने ही अपने अपने पक्ष में अदालत में मुकदमा दायर कराया जिसका पटाक्षेप 9 नवंबर 2019 को हुआ
1984 में इस आंदोलन की घोषणा की गई 1985 में बैठक में योगी आदित्यनाथ जी के गुरु अवैद्यनाथ जी को राम जन्मभूमि आंदोलन का अध्यक्ष बनाया गया वहीं बीजेपी ने राजनीतिक स्तर पर विश्व हिंदू परिषद ने सामाजिक और सांस्कृतिक स्तर पर इस आंदोलन को पूरी तरह से संभाल लिया और नतीजा यह हुआ कि 1989 में जब इलाहाबाद कोर्ट ने यहां का ताला खोलने के लिए आदेश दिया तो विश्व हिंदू परिषद ने वहीं पर राम जन्मभूमि रूप में भगवान श्री राम के मंदिर की आधारशिला रख दी
बाबा जी ने बताया कि वे बचपन से ही इस पूरे आंदोलन के साक्षी रहे हैं उन्होंने सभी संतो के साथ इस आंदोलन में भाग लिया और रक्त रंजित आंदोलन में कईयों को गोली खाते देखा तो कईयों का बलिदान होते हुए भी देखा, अयोध्या के गलियों में जो शहादत हुई है उनकी वह स्वयं उपस्थित होकर उन सब को देखा है साथ ही जब ढांचा टूटा तो वहां का धूल उठाने भी वहां बाबा जी उपस्थित थे साथ ही राम जी का जो चबूतरा आज बना हुआ है उसमें ईट गारा लगाने का सौभाग्य भी बाबा जी को प्राप्त हुआ है,कोठारी बंधु का बलिदान भी देखा है,1990 मुंबई में लालकृष्ण आडवाणी द्वारा रथ यात्रा का संचालन किया गया जैसे हो 30 अक्टूबर को अयोध्या तक पहुंचना था जहां से देशभर से श्री राम जी के पक्ष में कारसेवक उपस्थित हुए वैसे तो आडवाणी जी का रथ बिहार में रोक दिया गया परंतु कारसेवक अयोध्या पहुंचने लगे मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व की सरकार ने यूपी में घुसने से कारसेवकों को रोक दिया शहर में कर्फ्यू था और भारी संख्या में फौज की तैनाती थी फिर भी अशोक सिंघल, विनय कटियार, उमा भारती जैसे नेतृत्व में जुटे हजारों कारसेवक अयोध्या में ही बल्कि विवादित ढांचे तक भी पहुंच गए और इसी विवादित ढांचे के ऊपर कारसेवकों ने भगवा झंडा लहरा दिया,वहां चारों तरफ अफरा-तफरी फैल गई और पुलिस ने उन कारसेवकों को नियंत्रित करने के लिए गोलीबारी चालू कर दी,और सैकड़ों राम भक्त शहीद हो गए
बाबा जी बता रहे हैं कि यह सब बहुत ही दुखद है जिसे बताना भी अश्रुपूर्ण है 6 दिसंबर 1992 को हजारों कारसेवकों का आह्वान किया गया जिसमें बीजेपी विश्व हिंदू परिषद बजरंग दल के नेताओं के नेतृत्व में हजारों कारसेवक वहा पहुंचे और देखते ही देखते वह विवादित ढांचा गिरा दिया गया मुख्य आंदोलन में कई अनजान चेहरों ने अपना योगदान दिया,परंतु कुछ ऐसे हैं जो हमेशा याद रहेंगे महंत रामचंद्र परमहंस जी,जिन्होंने अपना पूरा जीवन भगवान श्री राम जी के मंदिर के निर्माण को दे दिया उन्होंने ही इसके लिए शुरूआत की और 2003 में मंदिर निर्माण के पूर्व ही उनका देहांत हो गया, इसमें मुख्य रूप से अशोक सिंघल जी को उनके अद्वितीय योगदान हेतु याद किया जाता है जिन्होंने विश्व हिंदू परिषद को पहचान दिलाई और जो हमेशा यहां से देश से लिकर विदेशों में भी राम जन्मभूमि के लिए अपना वक्तव्य देते रहे और एक सपना संजोए रहे 2015 में राम जन्म भूमि पर भगवान श्री राम के भव्य मंदिर का निर्माण देखने से पूर्व ही उनका देहांत हो गया,, लालकृष्ण आडवाणी जी के संघर्ष को कोई कभी नहीं भूल सकता जिनके कारण आज हमें रामलला का मंदिर देखने मिल रहा है, गोरखनाथ पीठ के महंत अवैद्यनाथ जी जिन्होंने सभी आंदोलन का अग्रणी होकर अध्यक्षता की, बाबा जी ने बताया कि 6 दिसंबर 1992 के आंदोलन में कोठारी बंधुओं को याद ना किया जाए तो यह पूरा बलिदान ही व्यर्थ है, बाबा जी ने बताया कि जब वे उमा भारती जी के साथ में रात भर चलकर लाल मंदिर के कक्ष में पहुंचे तब सर्वप्रथम उन्होंने कोठारी बंधुओं को देखा और यह आंदोलन इस तरह था कि "आधी रोटी खाएंगे पर राम मंदिर बनाएंगे" ऐसा नारे लगाते हुए और आचरण करते हुए बढ़ते ही जा रहा था कोठारी बंधु 22 साल और 20 साल मात्र थे राम कोठारी और शरद कोठारी बंगाल के रहने वाले थे आडवाणी जी की तय तिथि से पूर्व ही सबसे पहले अयोध्या में कर्फ्यू के बावजूद भी पहुंचने वाले कोठारी बंधु अयोध्या मंदिर रामलला के लिए पूर्ण समर्पण के साथ पहुंचे थे,जब बजरंग दल के कार्यकर्ता और नेता विवादित ढांचे के और बढ़ने लगे तब दोनों बंधु ढांचे के गुंबज के ऊपर बैठ गए और वहां पर भगवा झंडा लहरा दिया,और सभी को चौंका दिया और फिर पुलिस ने भी अपनी जवाबी कार्रवाई कर दी और उन्होंने छोटे भाई को गोली मार दी और जब बड़ा भाई उसे संभालने गया और विनती करने के बावजूद भी पुलिस ने बड़े भाई को भी गोली मार दी इस तरह से यहां रक्तरंजित दिन हमारे इतिहास का काला दिवस बन गया, मुरली मनोहर जोशी जी नेअपना भरपूर योगदान रामलला के आंदोलन में दिया और बाबा जी ने जो दिवंगत हो गए हैं उनके लिए श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और जो आज इस अभूतपूर्व कार्य से जुड़े हैं उनके लिए दीर्घायु की कामना की
इस प्रकार से शौर्य दिवस की व्याख्या बाबा जी के श्री मुख से सुनकर सभी भक्त भावविभोर हो गए और सभी ने बाबाजी को इसके लिए धन्यवाद ज्ञापित किया क्योंकि वे इस आंदोलन के साक्षी रहे हैं जिन्होंने यहां आंदोलन अपनी आंखों से देखा है इसलिए इसे सुनने का सौभाग्य प्राप्त कर सभी भक्तगण अपने को धन्य मान रहे हैं इस प्रकार आज का ऑनलाइन सत्संग संपन्न हुआ जय गौ माता जय गोपाल जय सियाराम