छेरछेरा पुन्नी पर बच्चों और युवाओं ने घर-घर जाकर मांगा दान
वहीं लोगों ने भी अन्न व रुपये पैसों के दान भी दिए। घरों के दरवाजे पर अरन बरन कोदो दरन, जभे देबे तभे टरन... छेरछेरा, माई कोठी के धान ले हेरते हेरा... के साथ बच्चे आने लगे थे। बच्चों और युवाओं की टोलियां सुबह से घर-घर जाकर दान मांगे।
शहर में भी छेरछेरा की रौनक देखने को मिली। शहर में तो किसी के पास धान होता नहीं तो श्रद्धा वश लोग रुपए-पैसे और खाने-पीने की दूसरी चीजें देकर दान करने की परंपरा निभाते रहे। ग्रामीणों ने बताया कि यह परंपरा सदियों से चली आ रही है।
मान्यता है कि इस दिन धान व अन्न का दान देना चाहिए। खेती कार्य से निवृत्त होकर अन्न घर की माई कोठी में रखा गया है। इस दिन उस कोठी में रखे धान व अन्न का दान देते हैं तो वह कोठी कभी खाली नहीं रहेगी व दान देने से धरती माता का आशीर्वाद भी बना रहेगा।
हर्षा देवांगन ने अभ्यास पुस्तिका का किया दान
छेरछेरा पर हर्षा देवांगन ने बच्चों को पढ़ाई के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए अभ्यास पुस्तिका और लेखनी का दान किया। विगत दो वर्षों से कोरोना महामारी के चलते बच्चे पढ़ाई से दूर हो रहे थे। उनमें पढ़ाई के प्रति निरसता आते जा रही थी।
इसलिए बच्चों में पढ़ाई के प्रति रूचि पैदा हो और पढ़ाई में मन लगा रहे इसलिए अभ्यास पुस्तिका और लेखनी बच्चों को दिया। हर्षा ने कहा कि शिक्षा एक महादान है। बच्चों को अध्ययन संबंधी कोई भी समस्या आने पर आप उसका निदान कर सकते हैं।