नकारात्मक सोच दूर रखते हुए श्रेष्ठ कर्म करने से सुख मिलता है: रामबालक दास
पाटेश्वर धाम में संत रामबालक दास ने सत्संग में कहा कि अगर हम अपने सत्धर्म और सत्कर्मों को लेकर चलें तो हमें काल से भी डरने की आवश्यकता नहीं है। जिस तरह से जन्म अच्छा है वैसे ही मृत्यु भी अच्छी है। बस मृत्यु कभी अकाल नहीं होना चाहिए।
इसके लिए हमारे वेद पुराणों में 5 उपाय का वर्णन किया गया है। सर्वप्रथम हमें ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए। बच्चे, बुजुर्ग और रोगी को छोड़कर दिन में नींद नहीं लेना चाहिए। सूर्योदय से पूर्व उठने वालों को अकाल मृत्यु का भय नहीं होता।
सूर्योदय के बाद उठकर स्नान कर ध्यान, पूजा- पाठ, अच्छे साहित्य और वेद पुराणों का पठन पाठन करना चाहिए। यदि अकाल मृत्यु से बचना है तो आशीर्वाद ग्रहण करिए। माता-पिता व गुरु के चरणों को प्रतिदिन नमन करिए। धरती को प्रणाम करके उठिए।
जल, वायु, आकाश को प्रणाम करिए और शुद्ध हवा ग्रहण करने के लिए प्रतिदिन यज्ञ करें। जो भी मृत्यु से नहीं डरता उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं होता। नकारात्मक सोच को अपने से दूर रखना चाहिए। कर्म करते जाना चाहिए। जीवन में उतार-चढ़ाव तो आता रहता है, सुख आएगा तो दुख भी आएगा।
जीवन में दुख आए तो उसमें सुख ढूंढने का प्रयास करें
उन्होंने कहा कि सोच में नकारात्मकता लाने से कभी भी कोई लाभ नहीं होना है। पूर्ण संकल्प से अपने कर्म बनाए नकारात्मकता स्वतः ही दूर भाग जाएगी जीवन को बहुत ही सरलता से जिया जा सकता है, यह संसार दुखालय है। यहां सुख की चाह रखना बेकार है।
दुख में सुख ढूंढ लें वहीं सच्चा सुख है। किमुस्कुराते रहें, प्रसन्न रहें। पशु, पक्षी तो अपने स्वभाव के अनुरूप प्रसन्नता व्यक्त कर सकते हैं किंतु मुस्कुरा नहीं सकते। केवल मनुष्य योनि ही ऐसा है जिसमें लोग मुस्कुरा सकते हैं।