ग्राम कोहंगाटोला में आयोजित श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह के अंतिम दिवस पर पंडित जय प्रकाश शुक्ला ने पाप और पुण्य के प्रतीक को समझाया
इसतरह महाभारत के महाभारत युद्ध में भगवान श्री कृष्ण शस्त्र न उठाने की प्रतिज्ञा करके के साथ पॉडव सेना में शामिल हो गये। महराज जी ने आगे कहा कि पाप रुपी वृक्ष मे सौ डाली होती है और पुण्य रुपी वृक्ष में पॉच डाली, भगवान पुण्य रुपी वृक्ष के साथ महाभारत के युद्ध में पॉडव के साथ रहे। वेदव्यास युद्ध शुरू होने पर आये और बोले हे धृतराष्ट्र तुमने युद्ध तो करा दिया धृतराष्ट्र बोले मैं तो नहीं चाहता लेकिन हो गया तो क्या करूँ, भगवान वेदव्यास बोले तू पुत्र मोह में दो भाईयों को लड़ा रहा है। पाप इतना भयंकर होता है जो कोई नहीं देखना चाहता भगवान वेदव्यास ने धृतराष्ट्र को युद्ध की ऑखो देखी हाल जानने उसके मंत्री संजय को दिव्य दृष्टि प्रदान की। प्रवचनकर्ता श्री शुक्ला जी ने बताया कि पुत्र छै प्रकार के होते हैं, पत्नी से प्राप्त पुत्र, किसी संत के आशीर्वाद से प्राप्त पुत्र, धृतराष्ट्र ने संजय द्वारा महाभारत युद्ध का पूरा ऑखों देखी हाल सुना और युद्ध के बाद भगवान कृष्ण से पूछा भगवान युद्ध में मेरे सौ पुत्र मारे गये लेकिन पॉडव के पॉचो पुत्र का बाल भी बॉका नहीं हुआ ऐसा कैसे और क्यों हुआ।भगवताचार्य पंडित जयप्रकाश शुक्ला ने पद्मपुराण की कथा प्रसंग का उदाहरण देते सौ जन्म पूर्व की कथा का वर्णन करते धृतराष्ट्र के अंधा होने की कथा का वर्णन करते कहा, मानसरोवर से हंसों का जोड़ा उड़कर आ रहे थे हंसिनी गर्भवती थी जब मेरे भारतवर्ष में प्रवेश किया तब हंसिनी को प्रसव पीड़ा का आभास हुआ । उसने हंस से कहा तो हंस ने बताया कि कहीं भी बच्चों को जन्म देना मुश्किल हो जायेगा, राजा के बगीचे को देख कर हंस हंसिनी ने उसी बगीचे में बच्चों को जन्म देने का निर्णय किया,हंसिनी ने उचित स्थान पर सौ अंडे दिये , हंस अपनी हंसिनी को खिलाने मोती के लिये मानसरोवर चले गये । बगीचे के माली ने एक अंडा लेकर बगीचे में पधारे राजा को खिला दिया राजा ने चटखारे लेकर तारीफ करके खा लिया, ताऱीफ सुनकर माली ने एक एक कर सारे अंडे राजा को खिला दिये, हंसिनी छाती पीट पीटकर रह गई, जब हंस मानसरोवर से हंसिनी के लिये मोती लेकर आया तो हंसिनी को विलाप करते देखकर पूछा तो हंसिनी से सारा हाल कहसुनाया।
सुनकर हंस ने राजा को सौ जन्म तक अँधा होने का शाप दिया और कहा कि जिसतरह मेरे बच्चे को तूने मेरी हंसिनी के आगे ही एक एक कर खा लिया उसी तरह तेरे बच्चे भी तेरे ही सामने एक एककर मारे जायेंगे, इस तरह महाभारत के युद्ध में एक एककर धृतराष्ट्र के सौ पुत्रों की हत्या हुई और धृतराष्ट्र तड़प तड़पकर रह गया कुछ भी नहीं कर सका। कथासार बताते भगवताचार्य ने कहा हम जैसा कर्म करते हैं उसकी सजा हमें कई जन्मों तक भोगनी पडती है, मांस खाकर पेट भरने वाले लोगों को आगाह करते भगवताचार्य ने सदैव शाकाहार अपनाने का आह्वान किया ताकि किसी भी जीव को किसी भी प्रकार की पीड़ा से न गुजरना पड़े।
आज की शिक्षा व्यवस्था पर करारा प्रहार करते भगवताचार्य ने स्कूलों में शासन द्वारा नन्हे नन्हे बच्चों को अंडा खिलाने की कड़ी आलोचना की। गीत संदेश के साथ यज्ञआहूति के साथ कार्यक्रम समापन की ओर अग्रसर हुआ रात्रि में मंशाराम यादव द्वारा भंडारा आयोजन रखा गया, कार्यक्रम में परीक्षीत अनूप साहू सोमीन साहू ग्राम पुरोहित कपिल शर्मा, सरपंच हिरोंदी साहू पूर्व सरपंच छगन साहू, अशोक आकाश, चम्पालाल देवॉगन, गंगा देवी साहू, गीता देवी साहू, हेमलता साहू, सद्भावना साहू निशा साहू, राधिका साहू चम्पालाल देवॉगन, गुमान देवांगन, बंशी लाल देवांगन, पोसू साहू सहित पूरे ग्रामवासियों का सहयोग रहा।