जितना प्यार आप अपनी पत्नी को करते हो उतना प्यार अपने माता-पिता को भी करें ,,,, संत लाल साई
श्री झूलेलाल मंदिर झूलेलाल नगर चकरभाटा के संत लाल साई जी का सत्संग वासु मंगलम चकरभाटा में आयोजित किया गया सत्संग का आरंभ भगवान झूलेलाल वह बाबा गुरमुख दास जी के फोटो पर पुष्प अर्पण कर बहराणा साहब की अखंड ज्योत को प्रजवलित करके की गई सत्संग में संत लाल साई जी ने अपनी अमृतवाणी में कई प्रसंग सुनाए 2 कथा सुनाई जहां धर्म होता है जीत वही होती है महाभारत में धर्म पांडव के पक्ष में था पांडवों के साथ था तभी भगवान श्री कृष्ण पांडव के साथ थे और जीत उनकी हुई भगवान भी हमेशा धर्म के साथ रहते हैं और धर्म की रक्षा के लिए हमेशा खड़े रहते हैं वह हर युग में अवतार भी लेते हैं कभी राम बनकर कभी कृष्ण बनकर तो कभी अन्य सारे अवतार लेकर पृथ्वी पर आते हैं आज भगवान खुद आकर अपने भक्तजनों का कार्य पूरा करते हैं उनके दुखों में शामिल होते हैं।
एक गांव में एक संत कबीरदास रहता था वह बड़ा दानी था ज्ञानी था एक बार उसकी पुत्री का शुभ विवाह था उसकी पत्नी ने कपड़े सील कर दिए बोली यह कपड़े लेकर जाओ और जाकर बाजार में बेच कर आओ तो पुत्री के विवाह के लिए सामान की खरीदारी करनी पड़ेगी जब वह कपड़े लेकर बाजार जाने लगा तो रास्ते में एक सज्जन ने पूछा भाई कबीरदास जी का घर कहां है तो कबिर दास जी ने पूछा क्या काम है तो उस सज्जन ने कहा कि मैंने सुना है कबीर दास जी बहुत दयालु हैं और दानी है मेरी पुत्री का विवाह है मैं उसी से कुछ मद्दद लेने जा रहा हूं खुद कबीर दास जी ने कहा कि वह तो अज्ञानी है पागल है उसके पास जाकर कुछ नहीं मिलेगा और सब फालतू की बातें हैं तुम्हें क्या चाहिए मुझे बताओ मैं दूंगा तो उस सज्जन ने कहा मेरी पुत्री का विवाह है उसके लिए मुझे कपड़े चाहिए कबीर दास ने पूरा बोड़ा खोलकर उसके बेटी लिए कपड़े दिए सज्जन ने कहा कपड़े तो आपने मुझे दे दिए पर मुझे क्यों नहीं बता रहे हो की उसका घर कहा है कबीर दास ने कहा कि मैने कपड़े तो दे दिए उसके पास जाने की जरूरत क्या है अब तो उस सज्जन ने कहा यह कपड़े तो मेरी बेटी के लिए हो गए और मेरे लिए मेरी पत्नी के लिए मेरी बहू के लिए मेरे बेटे के लिए मेरे रिश्तेदारों के लिए कहां से लाऊंगा कबीर दास जी ने एक-एक करके सारे कपड़े उसको दे दिए।
सज्जन बहुत खुश हुआ और कपड़ों का बोड़ा भरा हुआ अपने घर लेकर गया अब कबीरदास सोचने लगा कल मेरी पुत्री का विवाह है अब मैं कैसे करूंगा अपनी पुत्री का विवाह मैंने सारे कपड़े तो दान में दे दिए तो वह गांव के बाहर मंदिर में जाता है और प्रभु की भक्ति में सिमरन में लग जाता है और प्रार्थना करता है प्रभु अब इस भक्त की लाज आपके हाथ में है अब आप ही को सारे कार्य करने है ओर मेरी अपनी पुत्री का विवाह करना है अब आप ही देख लीजिए कबीर दास भक्ति में लीन था और पीछे उसे घर में एक मोटर गाड़ी भरकर कपड़े व पूरा सामान लेकर एक व्यक्ति पहुंचता है कबीरदास के बेटी का विवाह बड़े धूमधाम से संपन्न हो जाता है और कबीर दास अपनी पुत्री के विवाह में शामिल नहीं हो पाता है मंदिर में बैठकर भक्ति में लीन हो जाता है
दूसरे दिन वो घर गया जब वह घर पहुंचता है तो पत्नी
बताती है आप कहां थे जी हमारी पुत्री का धूमधाम से विवाह संपन्न हुआ पूरा गांव देख कर हैरान हो गया इतने ऊंचे ऊंचे महंगे कपड़े थे कि कड़ोड पति की बेटी भी कपड़े नहीं पहन सकती थी सारा गांव बहुत खुश हो गया मन ही मन सोचने लगा कबीर दास की मैंने तो कुछ नहीं भेजा था वह समझ गए कि यह सब प्रभु की लीला है प्रभु ने इस कार्य को संवारा है खुद आकर इस कार्य को पूरा किया है प्रभु को प्रणाम करते हैं इस कहानी का तात्पर्य है कि भगवान खुद अपने भक्तों की रक्षा करने के लिए उनके दुख तकलीफ में साथ देने के लिए पहुंच जाते हैं जरूरत है सच्चे मन से भगवान की भक्ति करने की ,,,,
आजकल के बच्चे शादी के बाद अपने माता-पिता को भूल जाते हैं उन्हें घर से बेघर कर देते हैं और अगर कोई घर में रखता भी है तो उनकी हालत घर के कुत्ते से भी बदतर कर देते हैं ना खाने को ठीक से देते हैं न पहनने को देते हैं वह औलाद भूल जाती है कि जब तुम पैदा हुए थे तो तुम्हारे पैदा होने की खुशी में यह मां-बाप लाखों रुपए खर्च करते हैं लोगों को मिठाइयां बांटते हैं पटाखे फोड़ते हैं पूजा-पाठ करते हैं तुम्हें पढ़ा लिखा कर आगे बढ़ाते हैं खुद तकलीफ सहन कर भी तुम्हें खिलाते पिलाते हैं और जब वक्त आता है उनकी सेवा करने की तो शादी के बाद माता पिता को भूल जाते हो जितना प्यार अपनी पत्नी से करते हो उससे ज्यादा प्यार अपने माता-पिता से करना चाहिए पत्नी तुम्हें आज मिली है और माता पिता ने तुम्हे जन्म दिया है इतना बड़ा किया है जो व्यक्ति अपने माता पिता की सेवा नहीं करता सम्मान नहीं देता है दुख तकलीफ देता है वह व्यक्ति इस दुनिया में क्या उस परलोक में भी सुखी नहीं रह सकता है..
जब बेटे को कोई तकलीफ पड़ती है मां बाप बेटे के लिए क्या-क्या नहीं करते हैं कितनी पूजा पाठ करवाते हैं कितनी मन्नत से मांगते हैं और आज के कुछ बच्चे ऐसे नालायक निकलते हैं के माता-पिता को भी शर्म आती है कि हमारे बेटा कहने पर इससे अच्छा तो बेटियां हैं जो देश के अलग अलग शहरों में रहकर भी अपने माता-पिता का हाल-चाल जानती है पूछती है उनका ख्याल रखती है दो परिवारों का नाम उचा ऊचा करती है एक मैके वालों का एक ससुराल वालों का जो बच्चे अपने माता-पिता का ख्याल रखते हैं उनकी सेवा करते हैं उनके ऊपर भगवान भी खुश होते हैं वह उनका नाम यूगो तक चलता रहता है जैसे भगवान रामचंद्र जी ने अपने पिता के कहने पर 14 साल वनवास काटा आज 3 युगों के बाद भी भगवान रामचंद्र जी को उतना ही मान सम्मान देते हैं पूछते हैं जितना पहले लोग देते थे पुत्र श्रवण कुमार को देखे जो अपने अंधे माता पिता को चार धाम यात्रा कराने के लिए कावर में ले जाता है बैठाकर आज तो ट्रेन है हवाई जहाज है बस है बहुत सारे साधन है माता पिता को तीर्थ धाम यात्रा कराने के लिए जिन लोगों ने माता पिता की सेवा की है उन्होंने इस युग में बहुत कुछ कमाया है धन दौलत ही सब कुछ नहीं होता है वह यहीं छूट जाती है जो साथ में जाता है वह माता पिता का आशीर्वाद धर्म-कर्म के कार्य उन लोगों का प्यार यह आपके साथ जाएगा जो लोग आज बड़े पैसे वाले बन गए हैं और सोचते हैं कि अपनी मेहनत से हम बने हैं तो यह गलत है उनके पूर्वजों ने जो धर्म कर्म। दान पुण्य के कार्य किए थे उनके बदौलत ही आज तुम इतने सक्षम हुए हो आगे बढ़े हो मेहनत तो मजदूर भी करता है किसान भी करता है पर दो वक्त की रोटी के लिए विचारे परेशान हो जाते हैं यह तुम्हारी मेहनत का फल नहीं बल्कि तुम्हारे बुजुर्गों का आशीर्वाद है उन्होंने धर्म के पुण्य के कार्य किए हैं आप लोग भी अपने इस जन्म में धर्म के पुण्य के कार्य करो
ताकि आपके आने वाली पीढ़ियों को फल मिल सके सत्संग मैं साई जी व रवि रूपावानी ने कई भक्ति भरे भजन गए जिसे सुनकर उपस्थित भक्तजन झूम उठे कार्यक्रम के आखिर में आरती की गई पल्लो पाया गया प्रार्थना की गई प्रसाद वितरण किया गया धर्मराज जसूजा व स् शोभराज जसूजा के द्वारा साईं जी का स्वागत व सम्मान किया गया ब हराणा साहब को तलाब में विधि विधान के साथ विसर्जन किया गया वह अखंड ज्योत तराया गया आए हुए सभी भक्तजनों के लिए प्रभु का प्रसाद भोजन की व्यवस्था की गई थी बड़ी संख्या में लोगों ने भोजन ग्रहण किया इस पूरे सत्संग का सोशल मीडिया के माध्यम से लाइव प्रसारण किया गया था हजारों की संख्या में भक्तों ने घर बैठे आज के सत्संग का आनंद लिया इस पूरे सत्संग को सफल बनाने में बाबा गुरमुख दास सेवा समिति व जसूजा परिवार के सभी सदस्यों का विशेष सहयोग रहा।
श्री विजय दुसेजा जी की खबर