लालपानी प्रभावितों को रेल्वे प्रभावितों की तरह नियमित कर्मचारियों की तरह नौकरी में रखें बीएसपी प्रबंधन, भारतीय मजदूर संघ
भारतीय मजदूर संघ के जिला मंत्री मुश्ताक अहमद और खदान मजदूर संघ भिलाई के सचिव लखनलाल चौधरी ने संयुक्त विज्ञप्ति जारी कर बताया कि आज भारतीय मजदूर संघ ने मुख्य महाप्रबंधक (खदान एवं रावघाट)आई.ओ.सी. राजहरा भिलाई इस्पात संयंत्र को ज्ञापन सौंपकर Provision of Assistant at Boirdih Pump House, DMM के नाम से निकाले गए ठेका में "पिक एण्ड चूज” पद्धति अपनाते हुए चिन्हीत श्रमिकों को निविदा कार्य में समाहित करने हेतु क्लॉज 3.14 को डालने का विरोध एवं उक्त क्लॉज को तत्काल प्रभाव से निष्क्रिय करने को कहा है। दोनों
नेताओ ने बताया कि उल्लेखित कार्य को राजहरा खदान समूह प्रबंधन ने पम्प हाऊस बोईरडीह में कार्य हेतु मैनपावर का एक ठेका निकाला हुआ है। उक्त ठेके में प्रबंधन ने कार्य हेतु 07 श्रमिकों को रखने की शर्त रखी है। किन्तु उक्त निविदा के क्लॉज 3.14 के माध्यम से ठेकेदार को उक्त कार्य हेतु श्रमिकों को रखने की छूट नहीं दी गई है। जिस पर संघ के नेताओं ने अपना विरोध दर्ज किया है और कहा है कि उक्त निविदा के नियम और शर्त पढ़ने के बाद कई सवाल खड़े होते हैं, जिनका जवाब राजहरा खदान समूह प्रबंधन से मिलना अनिवार्य है। जैसे कि निविदा के शर्तों में इस बात का उल्लेख करना कि उक्त ठेका कार्य में चिन्हित व्यक्ति ही कार्य करेंगे। ठेका पद्धति के नियमों का ही विरोधाभास है। साथ ही संघ इस बात का विरोध नहीं करता है कि प्रभावितों को कार्य पर रखा जावे किन्तु प्रभावितों में राजहरा के युवा बेरोजगार भी आते हैं। इनके पास न तो अपनी जमीन है और न ही अपना मकान है तो सिर्फ राजहरा खदान के खनन से होने वाले प्रदूषण
का दुष्प्रभाव है। उसके बाद भी राजहरा के लोगों बीएसपी प्रबंधन प्रभावितों की श्रेणी में रखने से इंकार करतीं हैं जो समझ से परे है। संघ का मानना है कि लालपानी से प्रभावितों को भी रेल्वे प्रभावितों की तरह बी.एस.पी. में नियमित कार्य पर रखा जावे। जिससे उनके साथ बीएसपी प्रबंधन द्वारा जो दोहरा मापदंड अपनाया जा रहा है उस विराम लग सकें।
संघ के नेताओं ने कहा कि अगर चिन्हित श्रमिकों को ही कार्य पर रखा जाना है तो बी.एस. पी. को ठेका निकालने की आवश्यकता ही क्यों है? वह चिन्हित श्रमिकों को ही कार्य पर सीधे रख सकती है। क्योंकि जब उल्लेखित कार्य में ठेकेदार को किसी भी श्रमिकों की भर्ती का अधिकार ही नहीं है तो फिर इस ठेका का कोई औचित्य हीं नहीं है। और ठेके की शर्तों में यह दर्शाना की इस ठेके में चिन्हित व्यक्ति ही कार्य करेंगे, केन्द्र सरकार के बनाये नियमों का खुला उल्लंघन है। और बीएसपी प्रबंधन के कुछ अधिकारी तो केन्द्र सरकार बनाये नियमों का उल्लघंन करने में माहिर हैं। आगे दोनों नेताओं ने बताया कि संघ का मानना है कि ठेके की शर्तो में यह लिखना कि यही श्रमिक इस ठेके में कार्य करेंगे, इसका अर्थ संघ यह निकालता है कि बी.एस.पी. प्रबंधन इन चिन्हित श्रमिकों को नियमित कर्मचारी मानता है। और इन्हें नियमित कर्मचारी के रूप में भर्ती कर रहा है। एक बात यहां महत्वपूर्ण है कि, TheContract Labour (Regulation and Abolition Act.1970) के सेक्शन 10 के तहत किसी भी पेरेनियल स्वभाग के कार्य में ठेका श्रमिकों से कार्य करना वर्जित है। बोईरडीह पम्प हाउस कार्य एक पेरेनियल स्वभाव का कार्य है और जब तक खदान चलता रहेगा, तब तक उक्त कार्य भी चलेगा। ऐसे में उक्त पेरेनियल स्वभाव के कार्य में ठेका श्रमिकों को किस प्रावधान के तहत कार्य कराये जाने वाला है, इसका खुलासा होना भी आवश्यक है। संघ का यह सुझाव है कि इसमें लगाने वाले श्रमिकों की नियमित कर्मचारी के रूप में भर्ती की जावे जिससे केन्द्र सरकार के बनाये नियमों का भी पालन हो जायेगा और लालपानी प्रभावितों को भी रेलवे प्रभावितों की तरह नियमित कर्मचारियों की तरह नौकरी मिल जायेगी।
संघ का मानना है कि जिस तरह लालपानी से प्रभावितों के लिए बी.एस.पी. प्रबंधन नौकरी में एक कोटा निर्धारित कर रही है, उसी तर्ज पर खदान के प्रदूषण से सीधे प्रभावित राजहरा के बेरोजगार युवाओं के लिए भी बी.एस.पी. प्रबंधन से निकलने वाली नौकरियों में एक कोटा निर्धारित हो । अंत में दोनों नेताओं ने प्रबंधन से इस ज्ञापन में उल्लेखित तथ्यों का लिखित जवाब मांगा है और निविदा के क्लॉज 3.14 को तत्काल हटाने की मांग की है जिससे समानता के अधिकार का उल्लंघन न हो । अन्यथा संघ इस ठेके में कार्य पर लिये जाने वाले श्रमिकों के नियमितिकरण के लिए अन्य संवैधानिक संस्थाओं में जाने के लिए बाध्य होगा, जिसके लिए बी.एस.पी. प्रबंधन पूर्ण रूप से जवाबदार होगी।