श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह ग्राम कोहंगाटोला में साकेत धाम अयोध्या से पधारे पंडित जय प्रकाश शुक्ला जी के श्री मुख से भागवत कथा प्रसंग का श्रवण का सातवां दिन
भगवान परशुराम ने कंस को भगवान शंकर की धनुष भेंट करते कहा जिस किसी भी दिन यह धनुष टूट गया तो समझ लेना तुम्हारी मृत्यु नजदीक है। भगवान कृष्ण जी बलराम के साथ मथुरा नगरी पहुंचे जहां उन्हें कंस ने मल्लयुद्ध के लिए ललकारा था जाते-जाते भगवान ने शंकर के धनुष को उठाकर तिनके की तरह तोड़ दिया ठीक उसी तरह जिस तरह भगवान श्रीराम ने त्रेता युग में स्वयंवर में धनुष तोड़ा था । टूटते किसी ने नहीं देखा लेकिन जब खबर पहुंची तो कंस अज्ञात भय से कांप उठा । भगवान ने कंस वध की खानी और उनके राज दरबार में पहुंचे तब उन्होंने अपनेे मुस्टंडे पहलवानों से उनको मल्लयुद्ध का न्योता दिया जिसे सुनकर स्त्री पुरुष नर नारी कंस को धिक्कारने लगे क्योंकि नन्हें-नन्हें सुकुमार बालकों से विशाल हाथी के समान पहलवानों से मल युद्ध अशोभनीय था, भगवान ने पहलवानों को मौत के घाट उतार दी,और कंस के बाल उसी तरह पकड़ कर घसीटा जिस तरह माता देवकी के बाल पकड़कर घसीटते हुए निकाला था उसी तरह भगवान कृष्ण ने कंस के बाल पकड़ घसीटकर बाहर निकाला और उनकी हत्या कर दी, उनकी दोनो पत्नी अस्थि और प्रस्थि जो कि जरासंध की बेटी थी, कारुण्य विलाप करती रही।
मथुरा में होने वाले अत्याचार को देखकर भगवान मथुरा छोड़कर द्वारिका में अपना निवास बनाया तब जरासंध ने 23 अक्षोहिनी सेना लेकर भगवान पर आक्रमण कर दिया 17 बार भगवान ने उन्हें परास्त किया पूरी 23 अक्षोहिनी सेना मारकर जरासंध को जीवित छोड़ दिया। 18 वीं बार भगवान खुद हार जाते हैं और युद्ध छोड़कर भाग जाते हैं इस तरह भगवान श्री कृष्ण का नाम रणछोड़ पड़ा। आगे आगे भगवान पीछे पीछे जरासंध । भगवान भागा तो भागते एक पर्वत में चढ़ गये भगवान पर्वत के उस पार समुद्र में छलांग लगाई और जंगल के रास्ते से द्वारिका पहुंच गए । इधर जरासंध ने जंगल में आग लगा दी और अफवाह फैला दी कि भगवान श्रीकृष्ण जंगल की आग में जल कर मर गए ।
भगवान ने धरती का भार कम करने जन्म लिया था, इस तरह जरासंध के तेइस अक्छोहिनी सेना को 17 बार मारकर धरतीके भार कम करते हैं ।
आगे कथा प्रसंग में संस्कारों की शिक्षा देते महराज जी नें कहा कि हम अपनी मां के पेट में रहते हैं तो हमें रोटी कौन खिलाता है, हम अपनी रोटी की चिंता न करें, भगवान रोटी सबको देता है, जो नसीब में लिखा है उसको कोई टाल नहीं सकता, अपने कर्म पर विश्वास करो, आलस्य कभी मत करो, जब आप कर्म करोगे तब उसी कर्मी के माध्यम से भगवान आपको फल देगा । कर्म पर विश्वास रखो, कर्म से भाग्य बनता है । प्रभु की कृपा कभी मत भूलना क्योंकि आज मैं देख रहा हूं जो जितना ज्यादा पढ़ रहा है उतना ही ज्यादा मूर्ख हो रहा है।उन्होंने अध्ययनरत बच्चों को संबोधित करते कहा _बच्चों ध्यान दीजिएगा इस दुनिया में कौन है जो बलवान नहीं बनना चाहता, धनवान नहीं बनना चाहता, संसार के लोग मुझे जाने, मेरा यश कीर्ति हो और मेरी उम्र लंबी है, यह कौन नहीं चाहता यह चीज कैसे मिलती है, बड़े जनों को जनों प्रणाम करना, बुजुर्गों की नित्य सेवा, छोटे बड़ों का लिहाज रखिए इससे आप यश कीर्ति को प्राप्त करेंगे।
उन्होंने आगे कहा भगवान श्रीरामचंद्र जी से माता कौशल्या एक बार पूछती हैं, क्योंकि माता को मालूम है हमारा बेटा भगवान हैं इसलिए उन्होंने भगवान से पूछा है, हे पुत्र श्री राम भाग्य कैसे बनता है तो भगवान श्रीराम ने अपनी मां को बताया, हे माता, सुनो वही पुत्र बड़ा भागी है जो माता-पिता के वचन के अनुरागी हो, हर व्यक्ति स्वार्थवश ही प्रेम करता है, जो माता पिता के वचन के प्रति प्रतिबद्ध हो, उन्होने सुपुत्र और कुपुत्र की सरल व्याख्या करते कहा जो मांगने के बाद देता है वह पुत्र होता है जो मांगने के बाद भी नहीं देता वह कुपुत्र होता है और बिना मांगे जो देता है वह सुपुत्र होता है। जो पिता की सेवा बिना मांगे करता है वह सुपुत्र होता है जो मांगने के बाद भी सेवा नहीं नहीं करता वह कुपुत्र कहलाता है,अगर आप भी भाग्यवान बनना चाहते हो तो अपने माता पिता गुरु देवता साधु संत के प्रति कभी आस्था कम मत करना इनके प्रति निस्वार्थ प्रेम रखना, निस्वार्थ अनुराग रखना,लगाव रखना। उन्होंने आगे कहा प्रेम के कई रूप होते हैं संस्कार से ही दुनिया में सुख प्राप्त किया जा सकता है ।
आप सभी संस्कारवान बनो जैसे भक्त प्रहलाद, श्रवण कुमार, बालक ध्रुव, सती सावित्री आदि की कथा भागवत कथा में बताई जाती है। उन्होंने अगले क्रम में बाणासुर की बेटी चित्ररेखा और भगवान कृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध की कथा का सविस्तार वर्णन किया। कथा में परीक्षित अनूप साहू श्रीमती सोमिन साहू एवं रति राम साहू , संजय साहू, बंशी लाल देवांगन, देवलाल सिन्हा, अमृत साहू, कपिल शर्मा , पोषण साहब, शिवराम साहू, गायत्री यादव, सरिता, विमला देवांगन, लता देवांगन सहित ग्रामवासी स्त्री पुरुष बच्चे उपस्थित रहे।