संत श्री राम बालक दास जी के द्वारा छेरछेरा पुन्नी के अवसर पर भी भक्तों के लिए सुंदर सत्संग का आयोजन किया गया
संत श्री राम बालक दास जी का ऑनलाइन सत्संग उनके भक्त गणों के लिए प्रतिदिन आयोजित किया जाता है आज की छेरछेरा पुन्नी के अवसर पर भी भक्तों के लिए सुंदर सत्संग का आयोजन बाबा जी के द्वारा किया गया जिसमें सभी लोगों को बाबाजी ने छेरछेरा पूर्णिमा की बधाई दी एवं शुभकामनाएं प्रेषित की
पुरुषोत्तम अग्रवाल जी ने जिज्ञासा रखी कि छेरछेरा पर्व को अमीर - गरीब के बीच की दूरी तथा आर्थिक विषमता दूर करने का पर्व कहते हैं बाबा जी ?, बाबा जी ने बताया की दान करना हमारी संस्कृति है। छत्तीसगढ़ में भी हिंदू संवत्सर के पौष माह की पूर्णिमा तिथि पर हर घर में दान देने की परंपरा निभाई जाती है। इस दिन कोई भी मांगने के लिए आ जाए तो उसे कुछ न कुछ देकर ही विदा किया जाता है। दान देने का यह पर्व छेरछेरा के नाम से जाना जाता हैँ, मांगने के लिए यह नहीं देखा जाता कि कोई गरीब है या अमीर एक गरीब के घर में भी अमीर दान मांगने के लिए जाता हैँ ,, और एक करोड़पति भी अगर गरीब के घर जाकर छेरछेरा बोल दे तो वह भी एक मुट्ठी अनाज जरूर दान करता है,,जहां हम आर्थिक विषमता में जी रहे हैं उसमें यह पर्व हमारे लिए बहुत महत्व रखता है क्योंकि इस समय अमीर और गरीबी से उठकर अन्न के दान को महत्व दिया गया है.
सत्संग परिचर्चा में राहुल तिवारी जी मुम्बई के सुविचार पर बाबा जी ने बताया की तृष्णा और इच्छा दो चीज भगवान ने ऐसी बनाई है कि खत्म हो जाए तो संसार की सारी भागदौड़ से ही मुक्ति प्राप्त हो जाएगी और मनुष्य एक जगह बैठ ना जाए इसीलिए शायद भगवान ने इच्छा तृष्णा का को जन्म दिया,जो इनको काबू में कर अपने मन को जीत लेता है, कछुए की तरह अपने जीवन को समेट लेता है,वही व्यक्ति सचमुच महावीर कहलाता है,इस संसार में रहने वाले व्यक्तियों को ना ही गम चाहिए और ना ही कम चाहिए जो कि असंभव है इन संसार में आए हो तो गम भी मिलेगा और अभाव का भी आपको सामना करना ही पड़ेगा इसीलिए जैसी स्थिति आए उसी में सुख का निर्माण करके हमें खुश रहना चाहिए
रामफल जी ने रामचरितमानस की पंक्तियों पर जिज्ञासा रखी की विधि बस सुजन कुसंगत परही।फनि मनि सम निज गुन अनुसरही। यह जिज्ञासा पर प्रकाश डालने की कृपा हो प्रभु,बाबा जी ने बताया कि कभी-कभी अच्छे लोग भी कु संगत के प्रभाव में पढ़कर गलत सोच को अपनाकर गलत कार्य करने लगते हैं, लेकिन जिस तरह से बादल सूर्य को नहीं ढक सकता और बादल हटने पर सूर्य फिर से दिखने लग जाता है वैसे ही हमारे अच्छे गुण भी कभी छुप नहीं सकते, तुलसीदास जी भी इन पंक्तियों में इसी बात को स्पष्ट करना चाह रहे हैं कि सही इंसान बुरी संगत में भी अपनी अच्छाई और सत्यता नहीं छोड़ता जैसे सर्प के पास रहकर भी मणि उसके विष से विषैली नहीं होती
इस प्रकार आज का ऑनलाइन सत्संग संपन्न हुआ जय गौ माता जय गोपाल जय सियाराम