कलश पूजन से होती है "पांच तत्वों" की पूजा जिनसे हमारा शरीर बना: संत श्री राम बालक दास
बालोद जिला पाटेश्वर धाम के संत श्री राम बालक दास जी का ऑनलाइन सत्संग उनके भक्त गणों के लिए प्रतिदिन आयोजित किया जाता है जिसमें भक्तगण जुड़कर अपनी विभिन्न जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त करते है
आज के सत्संग परिचर्चा में पुरुषोत्तम अग्रवाल जी ने जिज्ञासा रखी की सभी मांगलिक कार्यों में कलश की स्थापना, पूजा, कलशयात्रा का विधान क्यों हैं। इसका क्या पौराणिक महत्व है बाबाजी कृपया बताने की कृपा करेंगे।,बाबा जी ने बताया कि हमारे पृथ्वी में अधिकांश भाग जल से ही अच्छादित है, और हमारा स्नायु तंत्र भी जल के सहयोग से ही संचालित होता है हमारे पूजा विधि विधान में पंचतत्व की पूजा अनुष्ठान का बहुत अधिक महत्व है कलश में पांचों तत्व विराजमान होते हैं इसीलिए किसी भी पूजा अनुष्ठान के पूर्व कलश की ही पूजा सर्वप्रथम की जाती है, कलश में 5 तत्व को विराजमान किया जाता है, अग्नि जलाई जाती है मिट्टी रखी जाती है,चावल रखा जाता है आम पत्र जो वायु का प्रतीक है उसे रखा जाता है, तांबे के लोटे में ही कलश स्थापना होती है जो कि अग्नि का प्रतीक होता है, कलश में जल भरा जाता है तो एक तत्व जल तत्व हो जाता है इस तरह कलश के माध्यम से पंच तत्वों का विधि विधान से पूजन हम करते हैं और कलश यात्रा इन के सम्मान का प्रतीक होता है
कलश यात्रा का पौराणिक महत्व देखे तो पुराने समय में ऋषि मुनि जो आश्रम और जंगलों में रहा करते थे उनके पास ही पवित्र नदियां प्रवाहित हुआ करती थी तो वे अपने पूजा अनुष्ठान के लिए वही से घड़ा भर लिया करते थे लेकिन जब राजा महाराजा पूजा पाठ करवाते थे तो वह ऋषि-मुनियों के आश्रम के पास बहने वाली पवित्र नदियों से ही जल लेकर आया करते थे तब पूरे सम्मान के साथ हाथी घोड़े पालकी के साथ वह कलश यात्रा निकाली जाती थी इस तरह से ईसका पौराणिक महत्व है
राधेश्याम जी ने प्रश्न रखा कि हम क्या बाये उंगली से मंत्र जाप कर सकते हैं तो बाबा जी ने बताया कि यह स्थिति तभी सही मानी जा सकती है जब आप दाएं हाथ से अनुष्ठान, हवन आदि कर रहे हो
इस प्रकार आज का ऑनलाइन सत्संग संपन्न हुआ जय गौमाता जय गोपाल जय सियाराम