बसंत पंचमी पर हूआ कवि गोष्ठी

बसंत पंचमी पर हूआ कवि गोष्ठी

बसंत पंचमी पर हूआ कवि गोष्ठी

बसंत पंचमी पर हूआ कवि गोष्ठी



बेमेतरा - छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति जिला बेमेतरा के तरफ से बसंत पंचमी के अवसर मे छत्तीसगढ़ी कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया उक्त आयोजन मे मुख्य अतिथि के रूप मे छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति के प्रदेश सचिव और हास्य व्यंग्य कवि रामानन्द त्रिपाठी जी मौजूद रहे कवि गोष्ठी की अध्यक्षता आकाशवाणी के गीतकार और छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति के विशेष सलाहकार लेखराम भारतीय जी ने किया विशिष्ठ अतिथि के रूप मे ललित रजक एवं खोमलाल मिर्झा जी उपस्थित थे।

कार्यक्रम की शुरूआत अतिथियों ए्वं कवियों द्वारा माता सरस्वती के पूजन कर किया गया तत्पश्चात उपस्थित समस्त कवियों ने बारी बारी कर अपनी रचना का पाठ किये.

सबसे पहले अमीन बंजारे बेमेतरा ने माता सरस्वती की वंदना कुछ ईस तरह प्रारंभ किये....
हे मां तोला हे प्रनाम,मोला दे तैं ज्ञान औ सम्मान..
छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति के सचिव और गीतकार मनोज पाटिल ने कहा कि...गावैं कोयली गीत आगे बसंत बहार,
मोर बांधे खड़े हवै हंसत आमा डार,
छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति के विशेष सलाहकार और कवि संगम के अध्यक्ष सुनील झा जी ने कुछ ईस तरह पढ़े...जिंदगी हो सुहानी,नये साल मे,
चाहत आसमानी नये साल मे।
बेमेतरा के गीतकार मनोज मिर्झा ने अपनी रचना मे कुछ ईस तरह कहे कि....फूल बनके महके, एक दिन मोर कोरा म,
जल्दी आबे बेटी मोर तीजा पोरा म।
कवि गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे लेखराम भारतीय जी ने कुछ ईस तरह कहे कि....कोयली रानी कुहुक मारे,मैना गीत गाये,
रहि रहि के बगिया म,भौंरा ह गुन गुनाए।
कवि गोष्ठी के मुख्य अतिथि और हास्य व्यंग्य कवि बेमेतरा के रामानन्द त्रिपाठी जी ने अपनी हास्य अंदाज मे कुछ ईस तरह कहे कि...जै हो माता भद्रकाली तोर दर पे जाये न खाली,
औ जो कोई एक भी बजाये न ताली ओला पीटै ओखर घर वाली
अंत मे कवि गोष्ठी के संचालन कर रहे छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति के बेमेतरा अध्यक्ष गोकुल बंजारे चंदन ने कचछ ईस तरह कहे...हमर बेमेतरा ये,सुघ्घर बेमेतरा ये,
साजा बेरला नवागढ़,सब्बो एके तरा ये।
अंत मे कवि गोष्ठी का आभार छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति बेमेतरा के सचिव मनोज पाटिल ने किया।

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