भक्तों के वश में है भगवान,,, संतलाल साईं

भक्तों के वश में है भगवान,,, संतलाल साईं

भक्तों के वश में है भगवान,,, संतलाल साईं

भक्तों के वश में है भगवान,,, संतलाल साईं


श्री झूलेलाल नगर सिंधु अमरधाम आश्रम के पीठाधीश्वर संत लाल साई जी का 26 जनवरी की पूर्व संध्या पर सत्संग का आयोजन सिंधी धर्मशाला हेमू नगर में किया गया साईं जी का आगमन रात्रि 8:00 बजे हुआ भक्तों के द्वारा आतिशबाजी और ढोल बाजे के साथ स्वागत किया गया महिला समिति के द्वारा फूलों की वर्षा की गई आरती उतारी गई पूज्य पंचायत के सदस्यों द्वारा फूल माला पहनाकर स्वागत किया गया 

कार्यक्रम की शुरुआत भगवान झूलेलाल और बाबा गुरमुख दास जी की फोटो पर पुष्प अर्पण कर व बहराणा साहब की अखंड ज्योत प्रज्वलित करके की गई रवि रूपवानी के द्वारा भक्ति भरे भजनों की शानदार प्रस्तुति दी सत्संग में साई जी ने ज्ञानवर्धक एक कथा सुनाई कथा का विषय था

,( भक्तों के वश में है भगवान) एक गांव रामपुर में गरीब परिवार रहता था रामू का उसकी पुत्री थी गीता जो बचपन से ही भक्ति भाव वाली थी भगवान की पूजा करना अर्चना करना मंदिर जाना सत्संग कीर्तन में जाना उसके दिन चर्चा में था जैसे-जैसे समय बीतता गया उम्र भी बढ़ती गई पर उसकी दिनचर्या में बदलाव नहीं आया शादी हो गई शादी के बाद भी वह भगवान की पूजा अर्चना करना भक्ति करना सिमरन करना उसने बंद नहीं किया था बच्चे हो गए बच्चे बड़े हो गए बच्चों की शादी भी हो गई अब वह बहू से मां  मां से दादी बन गई फिर भी उसकी दिनचर्या में कोई अंतर नहीं आया एक बार वह तीरथ यात्रा करने वृंदावन गई वहां से भगवान श्री कृष्ण जी की बाल गोपाल वाली एक मूर्ति लेकर आई और घर में विराजमान करके उसे अपना पुत्र मानने लगी 

प्रतिदिन उसे स्नान कराकर पूजा पाठ करती भोग लगाती और फिर खुद खाती थी एक दिन उसकी तबीयत खराब हो गई जैसे ही भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति को ले जाने लगी नहलाने के लिए तो वह हाथ से गिर गई उसने उठाया और वापस रखा अपनी बहू और बेटे को बुलाया कि देखो मेरे बेटे को कुछ हुआ है क्या बहू ने पूछा कौन से बेटे की बात कर रही हो माताजी  गीता ने कहा यह बाल गोपाल भगवान श्रीकृष्ण मेरा सुपुत्र है मैं इसकी बात कर रही हूं उन्होंने कहा कुछ नहीं हुआ ठीक है गीता ने कहा नहीं मैं तुम्हारी बात पर विश्वास नहीं करूंगी जाओ डॉक्टर को बुलाओ उन्होंने अपने पति को बुलाया उनसे कहा मां उसको कुछ नहीं हुआ है वह ठीक है पर उसकी मां नहीं मानी आखिर में उन्होंने फोन किया व एक डॉक्टर आया और उसके बेटे ने सारी बात बताई कि मां का दिमाग काम नहीं कर रहा है उम्र के साथ ऐसा हो गया है आप सब ठीक है कह देना..... 

डॉक्टर ने मूर्ति को देखा हाथ लगाया है और कहा सब ठीक है कुछ नहीं हुआ है मां ने कहा तुम डॉक्टर हो तो 1 मशीन कहां है जो कान में लगाकर नारी हाथ में दिल में चेक करते हैं डॉक्टर ने कहा है मेरे पास तो मां ने कहा उससे चेक करो डॉक्टर कान में लगाया वह जैसे ही  दिल में लगाते हैं तो धड़कन चलने की आवाज आती है

डॉक्टर ने कई बार कोशिश की फिर से चेक किया कि कहीं मेरा वयंम थोड़ी है पर हर बार धड़कन की आवाज कानों में आने लगी डॉक्टर समझ गया उसने गीता से पूछा माताजी बाल गोपाल लड्डू गोपाल मूर्ति आपने कहां से खरीदी है तो उसने कहा बेटा मैं तो वृंदावन गई थी वहां से लेकर आई थी मां ने पूछा क्या बात है डॉक्टर ने कहा कुछ नहीं मैं भी प्रभु के चरणों में जा रहा हूं वह डॉक्टर भी अपना घर बार सब छोड़कर वृंदावन पहुंचा और भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में लग गया 

इस कहानी का तात्पर्य है कि अगर प्रीत सच्ची है प्रेम सच्चा है भक्ति सच्ची है तो पत्थर में से भी भगवान बोल पड़ते हैं भाव सच्चा है तो भगवान तुम्हरा भोजन खाएंगे झूठे बेर भी खाएंगे हर दुख तकलीफ में तुम्हें बचाने आएंगे बस जरूरत है विश्वास की सत्संग में साईं जी ने बहराणा साहब की कथा सुनाई व कई भक्ति भरे भजन गाए जिसे सुनकर उपस्थित भक्तजन झूम उठे
  
कार्यक्रम के आखिर में आरती की गई पल्लो पाया गया प्रसाद वितरण किया गया बहराणा साहब को विधि विधान के साथ तालाब में विसर्जन किया गया आज के इस कार्यक्रम को सफल बनाने में सुरेश जीवनानी विनोद जीवनानी विकास खटवानी मोहन जैसेवानी मोहन मोटवानी रोशन रोहरा विजय मूलचंदानी गोविंदा दुसेजा मुकेश विधानी मन्नू भाई इंदर भाई वह अन्य कई लोगों का विशेष सहयोग रहा।





श्री विजय दुसेजा की की खबर 

Ads Atas Artikel

Ads Atas Artikel 1

Ads Center 2

Ads Center 3