भाई मेहरबान सिंह साहेब जी की वर्षी उत्सव श्री धन गुरु नानक दरबार मेंश्रद्धा पूर्वक मनाई गई

भाई मेहरबान सिंह साहेब जी की वर्षी उत्सव श्री धन गुरु नानक दरबार मेंश्रद्धा पूर्वक मनाई गई

भाई मेहरबान सिंह साहेब जी की वर्षी उत्सव श्री धन गुरु नानक दरबार मेंश्रद्धा पूर्वक मनाई गई

भाई मेहरबान सिंह साहेब जी की वर्षी उत्सव श्री धन गुरु नानक दरबार मेंश्रद्धा पूर्वक मनाई गई 


जरहाभाटा स्थित धन गुरु नानक दरबार डेरा संत बाबा थाहिरीया सिंग दरबार में भाई साहब मेहरबान सिंह साहेब जी की मासिक वर्षी उत्सव के उपलक्ष्य में महान कीर्तन दरबार सजाया गया ,रात्रि 8:00 से 10:00 तक इस अवसर पर उल्हासनगर से आए मनोहर भाई साहब यंग मैन द्वारा कथा, सत्संग, कीर्तन कर संगत को निहाल किया अपने अमृतवाणी में मनोहर भाई साहब ने गुरु नानक देव जी के कई प्रसंग सुनाए ओर एक ज्ञानवर्धक कथा सुनाई.उन्होंने बताया कि एक होता है भगत व एक होता है सांसारिक व्यक्ति जो संस्कारी व्यक्ति होता है वह हमेशा भगवान से सुख मांगता है, अच्छी चीजें मांगता है ,शांति मांगता है, धन दौलत मांगता है, सुख समृद्धि मागता है और दूसरा भगत वह होता है जो भगवान से कहता है कि जो आप दोगे मैं उसमें खुश रहूंगा, आप दुख दोगे तो मैं दुख में खुश रहूंगा, आप सुख दोगे तो में सुख में खुश रहूंगा, आप जो दोगे में सब कुछ में खुश रहूंगा, आप कुछ नहीं दोगे तभी भी मैं खुश रहूंगा मैं हर उस रजा में राजी हूं जिसमें आप मुझे रखेंगे, बस हे प्रभु आप मेरे साथ रहोगे मुझे किसी भी चीज की कमी नहीं संसारिक इंसानों में एक कमी होती है कि वह चंद क्षण के लिए दुख आता है तो वह घबरा जाते हैं अरे दुख आया है तो सुख भी आएगा और सुख आएगा तो दुख भी आएगा 

ये दोनों एक सिक्के के दो पहलू हैं एक दूसरे से अलग नहीं है जुड़े हुए हैं सुख चाहिए तो दुख तो आएगा ही आएगा और दुख आएगा तो सुख भी आएगा सुबह है तो रात भी होगी जीवन है तो मृत्यु भी होगी इंसान सोचता है कि मैं हमेशा जवान रहूं बुढ़ापा नहीं आए....
 पर ऐसा नहीं हो सकता है वह सोचता में हमेशा जीवित रहुँ पर ऐसा नहीं हो सकता है भगवान ने सृष्टि बनाई है तो जीवन और मृत्यु जन्म के साथ ही जुड़ जाता है और यह मृत्यु लोक हैं यहां ईश्वर ने भी जब इंसान का रूप धारण किया है उसे भी अपना समय पूरा करके वापस जाना पड़ा है अपने लोक में इसे मृत्यु लोक कहते हैं हर किसी को अपना कर्म करना है जो आया है राजा हो या रंक, फकीर उसे जाना जरूर है फर्क इतना है कि आप यहां पर आकर कौन सी कमाई करके जा रहे हो, क्या लेकर जा रहे हो, प्रभु के घर से...कुछ लोग जीवन भर मोह माया व धन दौलत के पीछे भागते हैं कुछ लोग भगवान की भक्ति में लगे रहते हैं जिसे उस ईश्वर पर भरोसा है वह कभी नहीं घबराता है वह हर हाल में खुश रहता है क्योंकि उसे विश्वास है कि उसका भगवान उसे हमेशा खुश रखेगा और वह हर सुख में दुख में भी खुश रहता है जिस तरह एक छोटे से बच्चे को विश्वास होता है कि उसका पिता उसकी हर इच्छा पूरी करेगा हर सुख देगा और वह बहुत खुश होता है अपने पिता के साथ उस इंसान को भी भगवान पर विश्वास होना चाहिए ,अपने गुरु पर विश्वास होना चाहिए जगह-जगह दर-दर नहीं भटकना चाहिए एक स्थान पर एक ही जगह पर एक ही भगवान का नाम सिमरन करना चाहिए कोई राम कहता है, कोई अल्लाह कहता है ,कोई वाहेगुरु कहता है ,तो कोई जय श्री राम कहता है नाम अलग अलग हैं, मंजिल अलग अलग हैं, रास्ते अलग अलग हैं, जाना सबको एक ही जगह है उस ईश्वर के पास 10 जगह भटकने की जरूरत नहीं है एक ही स्थान पर एक ही जगह पर आपको ईश्वर मिलेगा मन को नियंत्रण करोगे तभी आत्मा को परमात्मा से मिला सकते हो नहीं तो यह 84 लाख यूंनीयो में यूं ही भटकते रहोगे इस अवसर पर एक नए वर वधु ने गुरु घर आकर हाजिरी लगाई व मत्था टेका अपने जीवन की नई शुरुआत गुरु घर से की भाई साहेब मूलचंद नारवानी जी ने गुरु की पाखरं पहना कर उन्हें आशीर्वाद दिया 

भाई साहब मेहरबान सिंह की याद में साध संगत के द्वारा श्री जपजी साहिब का अखंड पाठ 4 फरवरी रात 9:00 आरंभ किया गया था जिसका भोग साहेब दिनांक 5 फरवरी रात्रि 10 बजे लगाया गया.कार्यक्रम के आखिर में अरदास की गई, प्रसाद वितरण किया गया, गुरु का अटूट लंगर बरताया गया बड़ी संख्या में साध संगत ने गुरु का लंगर चखा और इस दुख निवारण समागम में शामिल होकर गुरु घर की खुशियां प्राप्त की और अपने जीवन को सफल बनाया .

इस पूरे आयोजन को सफल बनाने में दरबार साहिब के प्रमुख प्रबंधक भाई साहब मूलचंद नारवानी जी ,सोनू मूलचंदानी जी, सेवादार डॉ.हेमंत कलवानी जी ,पूर्व पार्षद सुरेश वाधवानी जी, प्रकाश जज्ञासी, नानक पंजवानी, विजय दुसेजा, खुशाल वाधवानी,विकी नागवानी, राजू धामेचा, जगदीश सुखीजा, चंदू मोटवानी, नरेश मेहरचंदानी ,भोजराज नारवानी, मेघराज नारा, जगदीश जज्ञासी, विकास बजाज, अनीता नारवानी, पलक हर्जपाल, कंचन रोहरा, पलक मखीजा राखी लदनानी ,वर्षा सुखीजा, कशिश जैसवानी गंगाराम सुखीजा बलराम रमानी , रमेश भागवानी व अन्य सदस्यों का सहयोग रहा




श्री विजय दुसेजा जी की खबर 

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