खैरागढ़ के नगाड़े पहुंचे बिलासपुर में 200 से लेकर 2000 तक बिक रहे हैं
होली का पर्व पर अब ज्यादा दिन दूर नहीं है लोग तैयारियों में अभी से लग गए हैं होली के पर्व में जितना महत्व रंग गुलाल पिचकारी का होता है उतना ही महत्व नगाड़े का भी होता है कहते हैं जब बरात निकले ओर बैंड बाजा ना हो तो मजा नहीं आता, उसी तरह होली में अगर नगाड़े न बजे तो किसी को आनंद नहीं आता है नगाड़े की आवाज सुनकर लोग झुमने लगते हैं जब नगाड़े बजते हैं तो उसकी आवाज दूर दूर तक जाती है नगाडो़ का अपना अलग ही महत्व है खैरागढ़ से कुछ परिवार बिलासपुर में रपटा चौक के पास नगाड़े बेचने के लिए आए हुए हैं उन्होंने बताया कि मंगाई की मार ने हर किसी को परेशान किया है अब चमड़ा मिलता नहीं है चमडा़ भी महंगा हो गया है और अब नगाडो़ में कमाई भी ज्यादा नहीं रही है और साल में सिर्फ एक बार काम होता है बाकी समय मजदूरी करते हैं नगाड़े का भाव भी पिछली बार से 5 से 10 प्रतिशत बड़ा है अभी किराया भाड़ा भी बढ़ बढ़ गया है हर चीज के उपर महगाई की मार पडी़ है घर परिवार कैसे चलेगा और तो और नगाडा़ बनाने वाले भी बहुत कम परिवार बचे हैं नगाड़े छोटे से लेकर बड़ों तक के लिए अलग-अलग वैरायटी में है ₹200 से लेकर रु.2000 तक प्रति जोड़ी नगाड़े उपलब्ध है अभी सिर्फ चार-पांच परिवार ही आए हैं और परिवार भी आएंगे
बिक्री अभी ज्यादा नहीं है थोड़ी कम है पर एक तारीख से बिक्री बढ़ेगी इसका विश्वास है लोगों का उत्साह भी बहुत है बहुत लोग आ रहे हैं अभी से बुकिंग करके जा रहे हैं छोटे-छोटे बच्चे भी आ रहे हैं देखने के लिए छोटे-छोटे नगाड़े लेने के लिए बिलासपुर के साथ-साथ आस-पास के गांव वाले भी आते हैं विगत 10 से 15 सालों से हम बिलासपुर आ कर दुकान लगाते है
यहां के लोग बहुत अच्छे हैं कोई परेशानी नहीं है भगवान से यही दुआ करते हैं इस बार होली सबकी अच्छी गुजरे खुशहाली रहे सबके घरों में हमारा माल बिक जाएगा तो हमारी होली भी अच्छी मनेगी छोटे-छोटे बच्चों के साथ परिवार के साथ यहां आकर माल बेचना पड़ता है यह पूरा माल बिकेगा तभी खर्चा पानी निकलेगा जब पैसे नहीं होते हैं तो उधार में पैसे लेकर माल बनाते हैं क्या करें पुश्तैनी काम है छोड़ भी नहीं सकते हैं
श्री विजय दुसेजा जी की खबर