रूकमणी विवाह में धर्मप्रेमियों ने किया कन्या दान और बने कुछ बराती

रूकमणी विवाह में धर्मप्रेमियों ने किया कन्या दान और बने कुछ बराती

रूकमणी विवाह में धर्मप्रेमियों ने किया कन्या दान और बने कुछ बराती

रूकमणी विवाह में धर्मप्रेमियों ने किया कन्या दान और बने कुछ बराती


आज छठवे दिवस की कथा में देवी चित्रलेखा जी ने रूकमणी विवाह एवं गोपियों संग रास लीला का वर्णन किया, 
    
आज की कथा में देवी जी ने कहा कि समाज की मानसिकता ने ही गोपियों को मज़बूर किया की वो अब एक राक्षस की कैद से बहार आने के बाद वापस घर न जाए, समाज की नज़रों में वो कलंकित थी.
    
इस संसार में कोई किसी के बदलने की जिम्मेदारी नहीं लेता है और स्वयं मैं भी इस संसार को नहीं बदल सकता क्योंकि यह मेरा दायित्व है कि मैं पहले स्वयं को सुधारूं और जिस दिन मैं सुधर जाऊंगा उस दिन यह समाज भी सुधर जाएगा ऐसी विचारधारा लेकर हमें चलना चाहिए
किसी के साथ सेल्फी लेकर हम कह तो देते हैं बड़े गर्व से कि देखो हमारा संपर्क कितने बड़े संत से है लेकिन जब हम सेल्फी लेते हैं तो हमारी जिम्मेदारी बढ़ जाती है की आप जिसका संग कर रहे हैं आपको उसव्यक्ति की मर्यादा को भी लेकर चलना पड़ेगा
      
सबके भीतर अच्छाई हो जरूरी नहीं है लेकिन आप सत्संग से जुड़े हैं तो आपकी जिम्मेदारी है कि हम बुराइयों से दूर रहें श्रवण करते-करते मन में स्मरण की इच्छा आ जाएगी और चिंतन आने के बाद प्रभु भी हमारे चित्र में आकर बैठ जाएंगे। 
     "भगवान् की भक्ति कीजिए जिनका नाम सूर्य के समान है। जिस प्रकार सूर्य के किंचित उदय होने पर रात्रि का अन्धकार दूर हो जाता है, उसी प्रकार कृष्ण-नाम का थोड़ा-सा भी प्राकट्य अज्ञान के सारे अन्धकार को, जो विगत जन्मों में सम्पन्न बड़े-बड़े पापों के कारण हृदय में उत्पन्न होता है, दूर भगा सकता है। "
      
कथा के छटवें दिवस में पूज्या देवी चित्रलेखाजी ने भगवान् के दवारा की गयी लीलाओं का श्रवण कराते हुए बताया कि ब्रज में की गयी भगवान की लीला स्वयं नारायण भी नहीं कर सकते।
 
इन लीलाओं के द्वारा भक्तो को रिझाना सिर्फ भगवान् कृष्ण ही कर सकते हैं । और वृन्दावन भगवान् का घर हुआ इसलिए प्रभु ने सब लीलाओं को एक साधारण बालक की तरह किया। और इस नन्हे से बालक ने अपनी मनमोहक लीलाओं के द्वारा गोपियों का मन ऐसा मोहा के गोपियों को अब न भोजन की सुध रहती है न अपने परिवार की और न ही किसी काम धाम की। गोपियाँ दिन रात कन्हैया का दर्शन करने को लालयत रहती हैं और मैया यशोदा के घर किसी न किसी बहाने के साथ जा के गोविन्द का दर्शन करतीं।
    

इसके पश्चात प्रभु के मथुरा गमन की कथा, प्रभु की शिक्षा, उद्धव संवाद, मामा कंस वध आदि कथा का श्रवण करा कर भगवान् कृष्ण और माता रुक्मिणी के विवाह की कथा कह कर कथा के छठवे दिवस को विश्राम दिया ।
     
योगेन्द्र शर्मा बंटी ने बताया कि अनं कथा में आज गोपियों संग रास लीला में देवी जी द्वारा मधुर गीत में धर्मप्रेमी झूम झूम कर रास गरबा किये, महिलाओं ने पूरे पंडाल में गरबा करके पूरा माहौल धार्मिक कर दिया, रूकमणी विवाह में आकर्षित रूप से आयोजक गण अलग अलग रूपों में सजकर आये और विवाह का आनंद लिए, विवाह में देवी जी ने कुछ कुछ धर्मप्रेमियों में बाराती और कन्यादान देने वाले अलग अलग किया और विवाह उत्सव बनाया, बाराती बनकर आये धर्मप्रेमी बारात के संग बाजा गाजा के साथ झूमते हुए आये और पंडाल में नाच गाना किये, पंडाल में बैठे सभी लोगों ने रूकमणी विवाह में कन्यादान किया, रूकमणी विवाह में आयोजक परिवार की तरफ से श्री कृष्ण जी के रूप में एवं रूकमणी के रूप में सजे..
     

योगेन्द्र शर्मा ने बताया कि कल दिनाँक 8 फरवरी को कथा के अंतिम दिवस सुदामा चरित्र, भागवत सार एवं भागवत के प्रमुख महत्व को देवी से कथा में बताएंगे, एवं कथा समाप्ति के पश्चात पोथी यात्रा होगी..
    
आज की कथा में विशेष रूप से सुश्री सरोज पांडेय जी, (राज्यसभा सांसद,) अरुण वोरा (विधायक) धीरज बाकलीवाल (महापौर) उषा टावरी, चंद्रिका चंद्राकर, भोला महोबिया, संजय कोहले, दीपक साहू, गोपाल खत्री, अमृत खत्री, विक्रम सचदेवा, विवेक मिश्रा, शिशिरकांत कसार,

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