हवन भंडारे के साथ श्रीमद्भागवत कथा का समापन
दूर्गाधाम, पुरानी गंजमडी, गंजपारा, दुर्ग चल रही श्रीमद्भागवत कथा जोकि देश की प्रसिद्ध कथा वाचक देवी चित्रलेखा जी के श्रीमुख से दिनाँक 2 से 8 फरवरी तक आयोजित की गई, कथा के अंतिम दिवस आज दिनाँक 9 फरवरी को हवन भंडारे के साथ समापन किया गया..
कथा व्यास में देश की प्रसिद्ध कथा वाचक देवी चित्रलेखा जी ने 7 दिन तक चली कथा में भक्तों को श्रीमद भागवत कथा की महिमा बताई। उन्होंने लोगों से भक्ति मार्ग से जुड़ने और सत्कर्म करने को कहा। देवी जी ने कहा कि हवन-यज्ञ से वातावरण एवं वायुमंडल शुद्ध होने के साथ-साथ व्यक्ति को आत्मिक बल मिलता है। व्यक्ति में धार्मिक आस्था जागृत होती है। दुर्गुणों की बजाय सद्गुणों के द्वार खुलते हैं। यज्ञ से देवता प्रसन्न होकर मनवांछित फल प्रदान करते हैं। उन्होंने बताया कि भागवत कथा के श्रवण से व्यक्ति भव सागर से पार हो जाता है। श्रीमद भागवत से जीव में भक्ति, ज्ञान एवं वैराग्य के भाव उत्पन्न होते हैं। इसके श्रवण मात्र से व्यक्ति के पाप पुण्य में बदल जाते हैं। विचारों में बदलाव होने पर व्यक्ति के आचरण में भी स्वयं बदलाव हो जाता है। कथावाचक चित्रलेखा जी ने भंडारे के प्रसाद का भी वर्णन किया। उन्होंने कहा कि प्रसाद तीन अक्षर से मिलकर बना है। पहला प्र का अर्थ प्रभु, दूसरा सा का अर्थ साक्षात व तीसरा द का अर्थ होता है दर्शन। जिसे हम सब प्रसाद कहते हैं। हर कथा या अनुष्ठान का तत्वसार होता है जो मन बुद्धि व चित को निर्मल कर देता है। मनुष्य शरीर भी भगवान का दिया हुआ सर्वश्रेष्ठ प्रसाद है। जीवन में प्रसाद का अपमान करने से भगवान का ही अपमान होता है। भगवान का लगाए गए भोग का बचा हुआ शेष भाग मनुष्यों के लिए प्रसाद बन जाता है।
योगेन्द्र शर्मा बंटी ने बताया कि कथा के समापन में सर्वप्रथम आयोजक परिवार गिरधारी शर्मा के निवास स्थान में हवन पूजन एवं पूर्णहुति की गयी, ततपश्चात कथा स्थल में भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें भारी मात्रा में धर्मप्रेमियों ने प्रसादी ली..
भागवत कथा का आयोजन सुरेश अग्रवाल एवं गिरधारी शर्मा परिवार की ओर से करवाया गया था।
कथा समापन के दिन विधिविधान से पूजा करवाई। दोपहर तक हवन और भंडारा कराया गया। पूजन के बाद दोपहर को भंडारा लगाकर प्रसाद बांटा गया, जिसमें हजारों धर्मप्रेमियों ने प्रसादी ली..
इस आयोजन में आयोजक परिवार के रूपनारायण तिवारी, प्रतीक अग्रवाल, सुयश तिवासी,एवं विशेष रूप से रामफल शर्मा, किशोरीलाल सिंघानिया, कैलाश रुंगटा, नवल अग्रवाल राजेन्द्र शर्मा, अशोक राठी, प्रहलाद रुंगटा, रवि पीडियार, ईशान शर्मा, श्री राम हलवाई, मनोज सिन्हा, सूजल शर्मा, दिनेश शर्मा, लक्की अग्रवाल, विनोद अग्रवाल, कमलेश राजपुरोहित, ओमप्रकाश टावरी, एवं हाजरों धर्मप्रेमी उपस्थित थे..