जो शिष्य अपने सद्गुरु की अंगुली पकड़ कर भक्ति करता है निश्चित ही वह भगवान् को पा लेता है :- देवी चित्रलेखा

जो शिष्य अपने सद्गुरु की अंगुली पकड़ कर भक्ति करता है निश्चित ही वह भगवान् को पा लेता है :- देवी चित्रलेखा

जो शिष्य अपने सद्गुरु की अंगुली पकड़ कर भक्ति करता है निश्चित ही वह भगवान् को पा लेता है :- देवी चित्रलेखा

जो शिष्य अपने सद्गुरु की अंगुली पकड़ कर भक्ति करता है निश्चित ही वह भगवान् को पा लेता है :- देवी चित्रलेखा


दुर्गाधाम पुरानी गंजमडी में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में आज तीसरे दिवस देवी चित्रलेखा जी के सुंदर भजनों में धर्मप्रेमी झूम उठे, आज की कथा में लगभग 5 हजार से ज्यादा धर्मप्रेमियों के कथा का लाभ लिए, आज की कथा में देवी जी ने कहा कि सच्चे सद्गुरु भगवद् कृपा से ही प्राप्त होते हैं। जब ठाकुर जी कृपा करते हैं तब परमकृपामयी सद्गुरु का जीवन में आगमन होता है।
    
जब आपके जीवन में आपको सद्गुरु मिल जाए तो समझ लेना कि अब ये गोविन्द का इशारा है कि गुरु तो आ गए हैं अब गोविन्द भी आने वाले हैं। अब उनकी भी कृपा होने वाली है। सद् ये शब्द कोई सस्ता नहीं है ये कोई खरवड हुआ शब्द नहीं है "सद्गुरु" सद्गुरु दीन्ही ऐसी नजरिया, हर कोई लागे मीत रे ...ये दृष्टि सिर्फ सद्गुरु से ही प्राप्त हो सकती है। इसलिए जब जीवन में सद्गुरु धारन हो जाये तो समझ लेना अब प्रभु बहुत प्रसन्न है हमसे हम पर भी कृपा बरसने लगी हैं।

सप्त दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के तृतीय दिवस में पूज्या देवी चित्रलेखाजी ने अपनी मधुर वाणी से श्रवण कराते हुए कहा कि जीव जन्म लेते ही माया में लिपट जाता है। और माया में लिपट जाने के कारण जीव अपने कल्याण के लिए कुछ नहीं कर पाता। वह जैसे जैसे कर्म करता जाता है वैसे वैसे फल उसे भोगने पड़ते हैं।
    
मृत्यु के बाद जीव को 28 नरकों में से अपने कर्म के अनुसार किसी को भोगना पड़ता है तामिस्, अंध्र तामृस्, शैरव, माहरोख, काल असि पत्रवन इत्यादि 28 प्रकार के नरक हैं। देवीजी ने गुरु और शिष्य के बंधन पर प्रकाश डाला कहा कि सच्चे गुरु और शिष्य के सम्बन्ध का उद्देश्य सिर्फ भगवद् प्राप्ति होती है, जो शिष्य अपने सद्गुरु की अंगुली पकड़ कर भक्ति करता है निश्चित ही वह भगवान् को पा लेता है।
    

आज की कथा विश्राम से पूर्व भगवान् के सबसे कम उम्र के भक्त श्री प्रह्लाद जी महाराज की कथा सुनाई। प्रह्लाद जी जो मात्र 5 वर्ष की उम्र में भगवान को पाने के लिए अकेले जंगल में चले गए। उन्हें स्वयं श्री नारद जी ने गुरु बन कर जाप मंत्र दिया। और इस मंत्र का जाप करते हुए जब भक्ति की सबसे ऊँची स्तिथि पर प्रह्लाद जी पहुच गए तब स्वयं नारायण जी ने पधारकर प्रह्लाद जी को दर्शन दिए।
साथ ही साथ हरिनाम नाम के जाप पर विशेष चर्चा करते हुए बताया की हरि नाम सर्वोपरि हैं, मनुष्य को हरिनाम नहीं भूलना चाहिए। इस प्रकार कथा के प्रसंगों को कह के कथा के तृतीय दिवस को वश्राम दिया गया।

आयोजक परिवार के प्रतीक अग्रवाल सुयश तिवारी ने बताया कि कल कथा के चतुर्थ दिवस में भगवान् के भक्तो की कथा और भगवान् के 24 अवतारो में से विशेष श्री वामन अवतार और भगवान् राम जन्म की कथा व कृष्ण जन्मोत्सव् मनाया जाएगा। कृष्ण जन्मोत्सव पर छोटे छोटे बच्चों की आकर्षित झांकी बनाई जावेगी, सभी धर्मप्रेमियों को बधाई स्वरूप मिठाई, बिस्किट, चॉकलेट का वितरण किया जावेगा..
  
आज की कथा में महेंद्र सेक्सरिया, कमल रुंगटा, चतुर्भुज राठी, विमल सेक्सरिया, नवल अग्रवाल, रवि पीडियार, अरुण सिंह, मनमोहन शर्मा, श्री राम हलवाई, विवेक मिश्रा, मनोज गुप्ता, राहुल शर्मा, मनोज सिन्हा, लाखन सिंह, सूजल शर्मा, एवं हजारों धर्मप्रेमी उपस्थित हुए..

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