500 किलो फूल से पूरे कथा पंडाल में खेली गई फूलों की होली

500 किलो फूल से पूरे कथा पंडाल में खेली गई फूलों की होली

500 किलो फूल से पूरे कथा पंडाल में खेली गई फूलों की होली

500 किलो फूल से पूरे कथा पंडाल में खेली गई फूलों की होली


आज कथा के अंतिम दिवस देवी चित्रलेखा जी ने सुदामा चरित्र, एवं पंडाल में फूलों की होली आयोजन की, फूलों की होली में पूरा पंडाल फूल फूल हो गया, चारो तरफ धर्मप्रेमी अपने हाथों से फूल उठाते हुए नजर आए, आयोजको द्वारा लगभव 500 किलो फूल पूरे पंडाल में वितरण किया गया था।
    
आज की कथा में देवी जी ने कहा कि अपने सनातन धर्म पर अडिग रहो, चाहे कैसी भी परिस्थिति हो 
सच्चा वैष्णव दुख हो या सुख दोनों परिस्थिति में समान रहता है। सुख में न वो फूलता है और दुख में वो न डूबता है।
    
सुख में मनुष्य सरकती रेती जैसा बन जाता है, समय कब बीत गया पता ही न चला और दुख में मनुष्य के हृदय में कांटा जैसा चुभता है, लेकिन दोनों ही स्थिति में वैष्णव को स्थिर रहना चाहिए।
       
जीवन में कई बार बहुत सारी ऐसी बातें होती हैं जो हमे अच्छी नहीं लगती हैं लेकिन तब भी ये विश्वास रखना चाहिए कि भगवान जो करे सो भली करे। जिस प्रकार माँ बाप अपने सन्तान की रक्षा करते हैं उसी प्रकार अपने भक्तों की रक्षा भी भगवान करते हैं।
     
कथा के सप्तम दिवस में आज पूज्या देवी चित्रलेखाजी ने कथा आरंभ करते हुए भगवान् के 16,108 विवाह का वर्णन करते हुए बताया कि भगवान् की 8 मुख्य पटरानी हुए और बताया कि एक भौमासुर नामक दैत्य 1,00,000 कन्याओं के साथ विवाह करने के उद्देश्य से उन्हें बंदी बना कर रख रहा था ।
    
तब उन कन्याओं के जीवन की रक्षा के लिए भगवान् ने उस दैत्य का संहार किया और उन कन्याओं को कैद से बचाया मगर जब कन्याओं ने कहा कि इतने वक़्त परिवार से दूर रहने के बाद उन्हें कौन स्वीकार करेगा। तो उन्हें इस लांछन से बचाने के लिए भगवान् ने उन 16,100 कन्याओं से विवाह किया।
   
उसके पश्चात सुदामा चरित्र एवं सुदामा मिलन की कथा सुनाई, इसके पश्चात कथा के मुख्य प्रसंगों को श्रवण करा के कथा सार सुनाया और फिर शाप की अवधि के अनुसार सुखदेव जी ने वहां से प्रस्थान किया परीक्षित जी ने खुद को भगवान् में लीन कर लिया और तक्षक नाग ने उन्हें डंसा ।
   
 इस सब के पश्चात कथा के विश्राम से पहले फूल होली का उत्सव हुआ और महा आरती के साथ सप्तम दिवस की कथा को विश्राम दिया गया 
   
योगेन्द्र शर्मा बंटी ने बताया कि कार्यक्रम की समाप्ति में कल दिनाँक 9 फरवरी को दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक भंडारा प्रसादी का आयोजन कथा स्थल पुरानी गंजमडी में किया गया,
     
कथा के अंत मे इस धार्मिक आयोजन में सहयोग करने वाले सीताराम मन्दिर समिति, गंजपारा दुर्गाउत्सव समिति, सत्तीचौरा दुर्गाउत्सव समिति, जन समर्पण सेवा संस्था, सभी समाज के पदाधिकारी एवं सदस्य, नगर निगम, पुलिस प्रसाशन, समस्त पत्रकार, न्यूज रिपोर्टर का धन्यवाद दिया गया जिनके सहयोग एवं साथ से आयोजन को सफलता मिली
     
आज की कथा में सुरेश अग्रवाल, गिरधारी शर्मा, आर एन शर्मा, प्रतीक अग्रवाल, सुयश तिवारी, श्रीमती मंजू अरुण वोरा, अशोक राठी, कैलाश रुंगटा, राजेन्द्र शर्मा, प्रहलाद रुंगटा, आशीष अग्रवाल, गिरीश अग्रवाल, उज्ज्वल दत्त, विनोद अग्रवाल, संतोष राजपुरोहित मनोज सिन्हा, ईशान शर्मा, विवेक मिश्रा, मयंक शर्मा, मनोज गुप्ता, सुजल शर्मा, सोनू, राकेश चक्रधारी, सुनील एवं हजारों भक्त उपस्थित थे।।

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