सबसे ईमानदार और बड़े पत्रकार के थे महात्मा गांधी.... राजेश बादल
प्रेस क्लब बिलासपुर में कार्यक्रम पहुना के तहत आज हमारे देश के जाने-माने पत्रकार राजेश बादल जी ने अपने जीवन से जुड़ी हुई कई सारी बातें अनुभव पत्रकारों के साथ शेयर किया किस तरह पहले की पत्रकारिता आज की पत्रिका में क्या अंतर है उन्होंने बताया कि पहले की पत्रकारों में एक जुनून होता था काम करने की ललक थी देश के लिए समाज के लिए सच के लिए लड़ते थे यहां तक कि अपनी जान भी कुर्बान कर देते थे ऐसा ही वाकया उनके साथ भी बीता जब वह एक सत्य घटना का प्रकाशन किया था और बाहुबली लोग उनके पीछे पड़ गए थे किस तरह वह उन से निकलकर अपनी जान बचाते हुए पहुंचे भोपाल और उस लड़ाई को लड़ी आखिर में विजय प्राप्त की आज भी कमी नहीं है जो सच के लिए लड़ते हैं पर सोशल मीडिया के आने से पत्रकारिता में फर्क आया है पत्रकारिता में भी भ्रष्टाचार ने जन्म ले लिया है आज लोगों का भरोसा न्यायपालिका व पत्रकार में ही है हमें उनके भरोसे को कायम रखना है अपनी कलम को अपनी ताकत का सच के लिए इस्तेमाल करना है सच के लिए कार्य करना उस राह पर चलना मुश्किल है पर अंत में विजय सत्य की होती है हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान जो धर्म के आधार पर बना था और जिस जिन्ना ने बनाया था उसी जिन्ना को मरने के बाद भी वह सम्मान नहीं मिला जो हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को हम आज भी देते हैं वहां के रहने वाले सिंध बलूचिस्तान पंजाब ऐसे अनेक प्रदेश वह शहर थे जो वहां के लोग नहीं चाहते थे कि बंटवारा हो पाकिस्तान अलग बने हमारे यूपी बिहार एमपी गुजरात महाराष्ट्र के कुछ जिलों में ऐसे लोग थे जो पाकिस्तान के बने चाहते थे और जब पाकिस्तान बना तो खुशी-खुशी यहां से बोरिया बिस्तर बांध के वहां चले गए वहां जाने के बाद उन्हें मुहाजिर कहा जाने लगा दोयम दर्जे का उनके साथ व्यवहार होने लगा और आज भी उन्हें पाकिस्तानी नहीं कहा जाता है मुहाजिर कहा जाता है हमारे यहां लोकतंत्र जिंदा है पर पाकिस्तान में लोकतंत्र की हत्या हो गई है और एक बार नहीं कई बार उसे सूली पर चढ़ाया गया है और आज भी लोकतंत्र की रोज हत्या हो रही है वह लोकतंत्र के नाम से दिखावा और नाटक होता है
आप आजादी से यहां लिख सकते हैं और वहां बोल भी नहीं सकते हो आजादी की लड़ाई में छोटे से लेकर बड़े तक सब ने अपना योगदान दिया सबका कहीं ना कहीं इस लड़ाई में योगदान रहा ओर पत्रकारों का भी आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान था वह अपनी कलम से अंग्रेजों के सीने छलनी करते थे लोगों को देश भावना के लिए जगाते थे उस समय इससे खुलेआम अखबार नहीं छपते थे छुप छुप कर कखबार छापना पड़ता था और बांटना पड़ता था पत्रकार भी आजादी की लड़ाई के सच्चे सिपाही थे आजादी के बाद भी पत्रकारों का अलग ही महत्व था उनको सम्मान की नजरों से देखा जाता था और जैसे-जैसे समय बीतता गया विज्ञान ने तरक्की की पत्रकारिता में भी बहुत तरक्की की है
सोशल मीडिया के आने के बाद
तो एक नया युग आ गया है पर आज भी ऐसे पत्रकार हैं जो अपनी कलम से अपने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं करते हैं इन्हीं लोगों के कारण पत्रकारिता आज जिंदा है पत्रकारिता कोई बिजनेस नहीं है लेकिन लोगों ने उसे बिजनेस बना दिया है वह तो एक मशाल है अंधेरे को चीरकर उजाला लाने के लिए लोगों को जगाने के लिए देश भावना का प्रेम जगाने के लिए देश की एकता अखंडता के लिए लड़ाई लड़ने के लिए देश की रक्षा के लिए जिस तरह देश के जवान सरहद पर खड़े रहते हैं देश की रक्षा के लिए उसी तरह पत्रकार का भी फर्ज है देश के अंदर रहकर देश के दुश्मनों का पर्दाफाश करें गरीब जनता का दुख दर्द तकलीफ शासन को बताएं जिस तरह भ्रष्टाचार बढ़ रहा है इससे कोई अछूता नहीं रहा है पर कहते हैं ना कीचड़ में ही कमल खिलता है हमें भी इन सब के बीच रहकर उस कमल की तरह की कीचड़ पर रहना है और कमल की तरह खिलना है करोना के बाद कई अखबार छोटे-छोटे बंद हो गए आर्थिक बोझ बहुत बहुत बढ़ गया आज भी एक अखबार निकालना कोई मामूली बात नहीं है पैसे के साथ-साथ खून पसीना भी लगाना पड़ता है तब एक अखबार छप सकता है राकेश बादल जी ने उपस्थित पत्रकारों के सवालों के जवाब भी दिए कई सारे ऐसे बातें बताएं जो आज के पत्रकारों को पता नहीं है एक अनमोल खजाना दे गए पत्रकारों को अगर हम लोग कुछ सीख सके तो हमारे लिए बहुत गर्व की बात है बहुत कम ऐसे पत्रकार होते हैं जो खुद के लिए नहीं देश के लिए जीते हैं समाज के लिए जीते हैं सत्य के लिए जीते हैं उनमें से एक पत्रकार राजेश बादल जी भी है आज इस प्रेस क्लब के कार्यक्रम में प्रेस क्लब के अध्यक्ष वीरेंद्र गहवई जी सचिव इसाद अली उपाध्यक्ष राजेश चौहान कोषाध्यक्ष जितेंद्र ठाकुर व कई वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार उपस्थित थे
श्री विजय दुसेजा जी की खबर