सिंधी गिहर हुए महंगे,, होली की मिठास हुई फिकी
देशभर में विदेशों में भी मनाया जाने वाला त्यौहार होली
नाम लेते ही आंखों के सामने रंग बिरंगी गुलाल कलर पिचकारिया सामने आ जाती हैं और सामने आ जाता हैं
वह दृश्य जब भगवान श्री कृष्ण राधा के संग व सखियों के संग होली खेलते हैं वह बृज की होली याद आ जाती है होली रंगों का त्योहार प्यार मोहब्बत का त्यौहार पहले एक महा पूर्व ही होली की तैयारियां शुरू हो जाती थी बसंत पंचमी के दिन से ही बच्चे लकड़ियां काटने के लिए जगह-जगह जाते थे छेना चोरी करते थे लकड़िया लाते थे घर घर जाते थे लकड़ियां मांगने पैसा मांगने के लिए वह बचपन की यादें ताजा हो गई पर जैसे-जैसे वक्त बीतता जा रहा है अब बड़े बुजुर्ग भी भगवान के पास चले गए आज की पीढ़ी अपनी संस्कृति अपने इस त्यौहार को भूलते जा रही है अब नाम मात्र के लिए ही त्यौहार लोग मना रहे हैं पर कुछ लोग आज भी हैं जो अपनी संस्कृति अपने त्यौहार को सजोए के रखे हैं रिती रिवाज के अनुसार ही धर्म के अनुसार ही त्योहारों को मनाते हैं उनमें एक सिंधी समाज भी है इस बार भी करोना के बाद जिस तरह लोग भव्य रूप से लोग त्यौहार मना रहे हैं वह शादियां कर रहे हैं व्यापार भी उठा है पर महंगाई की मार भी पड़ी है इसी महंगाई के कारण होली में सबसे ज्यादा बिकने वाले सिंधी गीहर मीठा समोसा गुजिया खसता सलोनी 15 से 20 परसेंट महंगे हो गए सिंधी कॉलोनी में चकरभाटा वाले गिहर की दुकान में जब हम पहुंचे व दुकानदार दीपक वाधवानी ने बताया कि इस बार महंगाई की मार पड़ी है इसलिए रेट में भी 15 से 20 परसेंट बढ़ोतरी हुई है पर करोना के बाद ईस बार विश्वास है कि ज्यादा से ज्यादा माल बिकेगा कयोकि शादियां भी ज्यादा हो रही है और सिंधी समाज में रिवाज है कि जब भी कोई पहला त्यौहार आता है लड़की वाले बेटी को देने के लिए त्यौहार के अनुसार मिठाईयां फल वगैरह लेकर जाते हैं और होली में सबसे ज्यादा सिंधी समाज जो खरीदता है वह सिंधी गिहर मिठा समोसा गुजिया खस्ता सलोनी दीपक भाई ने बताया कि वह विगत 15 साल से दुकान लगा रहे हैं और संपूर्ण छत्तीसगढ़ के अलग-अलग छोटे-छोटे शहरों से लोग आते हैं सामान खरीदते हैं कई लोग आजकल ऑनलाइन भी आडर दे रहे हैं और उनहे सामान बनाकर भेज भी रहे हैं
इस बार से ज्यादा माल बिकेगा धनधा अच्छा होगा इसका विश्वास है पर घर के लिए पहले लोग ले जाते थे ज्यादा मात्रा में गिहर वह अपने आसपास के पड़ोसियों को व रिश्तेदारों को भी देते थे पर वैसे आजकल लोग ज्यादा नहीं ले जा रहे हैं शगुन के लिए मात्र आधा किलो 1 किलो ले जा रहे हैं के लिए वैसे भी आज कि नई पीढ़ी को ज्यादा पता नहीं है दिपक ने बताया कि गिहर 140 रुपए किलो है मीठा समोसा ₹260 किलो गुजीया 280 किलो खस्ता है तो ₹140 किलो सलोनी ₹140 किलो अभी डिमाड कम है पर 28 तारीख के बाद डिमांड बढ़ेगी वैसे भी सिंधी गिहर बिलासपुर में दो चार लोग ही बनाते हैं औरज्यादा जगह नहीं मिलता है जिसमें एक शनिचरि पड़ाव है सिंधी कॉलोनी है व चकरभाटा है हमारा मशहूर गिहर चकरभाटा के नाम से बिकता है जो एक बार ले जाता है वह दोबारा जरूर आता है
श्री विजय दुसेजा जी की खबर