आज की कथा में गोवर्धन पूजा एवं 56 भोग प्रसादी भेंट
दुर्ग में पहली बार श्रीमद्भागवत कथा करने आयी देवी चित्रलेखा जी ने आज पांचवे दिवस की कथा में श्री कृष्ण की बाल लीला, गोवर्धन पूजा, एवं 56 भोग की कथा सुनाई, देवी जी ने कथा के माध्यम आए कहा कि भगवान को पाने के लिए अधिक ज्ञान की नहीं बल्कि दीनता और मधुरता की आवश्यकता है।
देवी जी ने कथा में छत्तीसगढ़ के मधुर स्वभाव के लोगो के कहा कि छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया।
अगर देश की सेवा चाहते हो तो गौ माता की सेवा आवश्यक है आप घर में रहकर भी देश की सेवा कर सकते हैं गौ माता की सेवा करके नैतिकताओं का पालन कर के।
रोज़ भगवान् के आगे हृदय से ये भाव निकलना चाहिए कि ...
हे प्रभु ...!!! हमारी सामर्थ्य नहीं है हमारी भक्ति नहीं है हे दीनबंधू आप तो सब पर कृपा करते हो हम पर भी कृपा कीजिये हमारे भी इस जीवन के लक्ष्य को पूरा कीजिये प्रभु मैं अधम कैसे आपको प्राप्त करूँ मेरी तो औकात नहीं के मैं आपके सामने भी आ सकूँ लेकिन प्रभु तुम कृपा करोगे तब ही आपकी प्राप्ति संभव है। जब ये भाव आता है तब गोविन्द कृपा करते हैं।
सप्त दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस में आज देवी चित्रलेखाजी ने बताया की बीते 4 दिन की कथा श्रवण करने की थी जिसे धारण करना था। परंतु अब 3 दिन की कथा को महसूस करना है देखना है और भाव क साथ मिल कर भगवान् की लीलाओं में शामिल होना है।
देवीजी ने सर्व प्रथम बताया की कैसे भगवान् का दर्शन करने सारी सृष्टि नन्दभवन की ओर प्रस्थान करने लगी। पूरे पंडाल में नन्द घर आनंद भयों से गूंज उठा फिर भगवान् की बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए बताया के बिना भाव के भक्ति संभव नहीं । भाव होने से भगवान् खुद भक्त को समर्पित हो जाते है जीव को भगवान के साथ किसी किसी रिश्ते से जुड़ना पड़ता है चाहे भगवान् को वह अपना पिता स्वीकार करे मित्र या फिर प्रियतम।
आगे भगवान् की लीला में माखन चोरी का प्रसंग बताया की कैसे भगवान् ने माखन के साथ गोपियों का मन चुराया और गोपियों के चीर हरण कर के उन्हें पवित्र जल श्रोतों में न स्नान करने की शिक्षा दी।
पश्चात भगवान् की 7 वर्ष की उम्र में की गयी गोवर्धन लीला का श्रवण कराया की कैसे भगवान् ने इंद्रदेव का घमंड चूर किया और इष्ट श्रद्धा का पाठ वृजवाषियों को पढाया।
भगवान् ने गिरिराज पर्वत उठा कर इंद्र द्वारा की गयी मूशलधार बारिश से वृजवाषियों को शरण दी।
आयोजक परिवार के प्रतीक अग्रवाल ने बताया कि कथा के मध्य गाये गए भजनों पर भक्तो ने झूम झूम कर नृत्य किया।और मनोहर झांकियों के द्वारा कथा का दर्शन पान कराया गया।
आयोजक परिवार द्वारा आकर्षित गोवर्धन पर्वत सजाया गया, जो कि पूरे कथा स्थल में आकर्षण का केंद्र रहा, सभी धर्मप्रेमी अपने हाथों में जल लेकर गोवर्धन पर्वत पर चढ़ाए, गोवर्धन पूजा के पश्चात 56 भोग प्रसादी का आयोजन रखा गया, और सभी धर्मप्रेमियों को 56 भोग का प्रसाद वितरण किया गया..
कल की कथा में रूकमणी विवाह का प्रसंग होगा जिसमें आकर्षित साज-सज्जा के साथ आयोजक परिवार अलग अलग रूपों में सजेंगे, और विवाह उत्सव बनाया जावेगा..
आज की कथा में आयोजक परिवार के सुरेश अग्रवाल, गिरधारी लाल शर्मा, आर एन तिवारी, प्रतीक अग्रवाल, सुयश शर्मा, एवं विशेष रूप से दुर्ग गौ सेवा संस्थान, गौ शाला के सभी पदाधिकारी, एवं डॉ. मानसी गुलाटी, मुरारी भूतड़ा, प्रहलाद रुंगटा (अध्यक्ष चेम्बर ऑफ कॉमर्स), नितिन अग्रवाल, विनोद अग्रवाल, ईशान शर्मा, दिनेश शर्मा, मनोज गुप्ता, मनोज सिन्हा, सूजल शर्मा, वाशु शर्मा, लक्की अग्रवाल, एवं हजरों धर्मप्रेमी उपस्थित हुए..