मेरे लहू का हर एक कतरा ईस देश के काम आएगा मेरे जाने के बाद एक हेमू नहीं पूरा सैलाब आएगा.... वंदे मातरम अमर शहीद हेमू कालाणी

मेरे लहू का हर एक कतरा ईस देश के काम आएगा मेरे जाने के बाद एक हेमू नहीं पूरा सैलाब आएगा.... वंदे मातरम अमर शहीद हेमू कालाणी

मेरे लहू का हर एक कतरा ईस देश के काम आएगा मेरे जाने के बाद एक हेमू नहीं पूरा सैलाब आएगा.... वंदे मातरम अमर शहीद हेमू कालाणी

मेरे लहू का हर एक कतरा ईस देश के काम आएगा मेरे जाने के बाद एक हेमू नहीं पूरा सैलाब आएगा.... वंदे मातरम अमर शहीद हेमू कालाणी


भारतीय सिंधु सभा महिला विंग, पूज्य सिंधी सेंट्रल पंचायत व हेमू नगर गुरुद्वारा समिति के द्वारा आजादी का महोत्सव व शहिद हेमू कालाणी के जन्म शताब्दी समारोह के अंतर्गत लखीराम ऑडिटोरियम में सिंधी नाटक अम्मा मां मोटी इंदुस का आयोजन किया। गया नाटक अविभाजित भारत के वीर सपूत हेमू कलाणी पर आधारित था । इसमें बड़ी संख्या में समाज के लोग उपस्थित रहे कार्यक्रम की शुरुआत  ईष्ट देव भगवान झूलेलाल व शहिद हेमू कालाणी के फोटो पर फूल माला अर्पण कर दीप प्रज्वलित करके व अराधना से कि गई। जिसमें झूलेलाल साईं भक्तिमय भजन की प्रस्तुति यश डोडवानी, खुशी डोडवानी ने दी जिसे सुनकर दर्शक झूम उठे।

  अविभाजित भारत वीर सपूत ने आजादी की लड़ाई मे किस तरह अपना योगदान दिया देश के युवाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत रहा मात्र 19 साल की उम्र में हेमू कलाणी को फांसी दी गई क्योंकि उन्होंने अपने साथियों के नाम नहीं बताए अंग्रेजी शासन के सामने नहीं झुके आधारित है नाटक लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया हेमू कलाणी ने कहा मैं दोबारा जन्म लूंगा इस भारत मां के लिए, ऐसे वीर सपूत ने आजादी के लिए हंसते-हंसते अपनी जान दे दी 
इस नाटक में कई ऐसी बातें भी थी जो बहुत कम लोगों को पता थी जैसे जब हेमू को पकड़ा गया तब जेल में रखा गया बहुत यातनाएं दी गई और जब अदालत में केस चल रहा था तब भी बार-बार उसके ऊपर दबाव डाला गया कि वह अपने साथियों को नाम बता दे पर वह हर बार एक ही बात बोलता था भारत माता की इंकलाब जिंदाबाद अपने साथियों के नाम पाना छैनी हथौड़ी है जिससे वह पटरी को तोड़ रहा था अपने औजारों को ही अपना दोस्त का बता रहा था और जब पूछा गया अपने माता-पिता का नाम बताओ तो आजादी आजादी बोल रहा था जज ने उसे आजीवन कारावास की सजा दी जब यह बात उनके गांव में उनके माता-पिता को पता चली तार के द्वारा तो वह बहुत रोने लगे वह तुरंत वहां से निकलकर हेमू से मिलने जेल पहुंचे वह हेमू को समझाने लगे कि अपने दोस्तों को नाम बता दो क्योंकि अंग्रेजों को डर लग रहा था कि यह आग पूरे देश में फैल जाएगी और कई हेमू आ जाएंगे इसलिए रातों-रात उम्र कैद की सजा को फांसी में बदल दिया था तभी उसकी मां बहुत रो रो कर अपनी वेदना प्रगट करती रही पर हेमू अपनी मां को समझाने लगा कि तू ही मां कहती थी कि देश के लिए आजादी के लिए लड़ाई लड़ो हर घर घर में जाकर कहती थी एक बेटा दो देश के आजादी के लिए आज जब तुम्हारा बेटा देश की आजादी के लिए कुर्बान हो रहा है तो क्यों रो रही हो तब माँ ने कहा आखिर मैं एक मां हूं मेरे दिल में भी ममता है तब हेमू ने कहा मां तू चिंता मत कर एक हेमू जाएगा तो हजारों हेमू वापस आएंगे सिंध के हर घर में तेरे को हेमू मिलेगा और मैं लौट कर वापस आऊंगा आज अगर तेरे बेटे के बलिदान देने से इस देश को आजादी मिलती है तो उससे बड़ी खुशी की बात और क्या होगी मेरे लिए जिस तरह भगत सिंह की मां ने उसे हंसते-हंसते विदा किया था वेसे मुझे भी हंसते-हंसते विदा कर ताकि मैं भी हंसते हंसते फांसी पर चढ़ जाऊं माँ ने कहा ठीक है बेटा तुम भी हंसते हंसते फांसी पर चढ़ना 

यह यह सीन देखकर दर्शको के अंदर देशभक्ति भाव के साथ साथ सभी लोगों की आंखों से अविरल अश्रु धारा बहने लगी वाकई कई पल ऐसे आए जब उपस्थित लोगों ने भारत माता की जय वंदे मातरम के नारे लगाने लगे, हम 75 साल पूर्व अंग्रेजों के शासनकाल में पहुंच गए हैं ऐसा देश प्रेम व देश भक्ति से भरा नाटक देख कर सभी उपस्थित लोग मंत्रमुग्ध हो गए वैसे आजादी की योगदान में सिंध का बहुत बड़ा योगदान था सिंधी समाज का भी बड़ा योगदान था पर बंटवारे के कारण हमारा इतिहास वही छुट गया और हमारे पूर्वज जो खाली आए थे रोजी रोटी के लिए ही लग गए पर आज वक्त है कि हम अपने इतिहास को पकड़े व अपने युवाओं को बताएं कि सिंध वीर सपूत हेमू जैसे कई लोगों से भरा पड़ा है सभी कलाकारों के द्वारा बहुत बेहतरीन प्रस्तुति दी गई।

इस नाटक का प्रथम मंचन बिलासपुर में हुआ देशभर में वह विदेशों में भी इसका मंचन किया जाएगा
 इस नाटक के निर्देशक जयप्रकाश मंसंद व जेठो लालवानी लेखक व जसपाल हबलानी, कुसुम हबलानी ,प्रीति सत्यवान पंजाबी व नरेश लुल्ला,आशीष सिहांनी ,हरीश अबिचंदानी कलाकार के रूप में अपनी उम्दा प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का संचालन गरिमा शाहणी व रेखा आहूजा ने किया।

इस आयोजन में समाज के पदाधिकारियों द्वारा विख पुस्तक का विमोचन किया गया लेखक शत्रुघ्न जेसवानी है।व सिंधी फिल्म वरदान पार्ट 2 के पोस्टर का विमोचन किया गया। सभी कलाकारों का सम्मान किया गया।
कार्यक्रम को सफल बनाने में भारतीय सिंधु सभा की राष्ट्रीय महामंत्री विनीता भवनानी , सेंट्रल पंचायत महिला विंग की अध्यक्ष राजकुमारी मेहानी, सोनी बहरानी, कंचन मलघानी, कृति लालवानी, भारती सचदेव,अनु आहूजा, ,सुनीता खत्री,दिपा आहूजा, विमला हिरवानी,कविता सिदारा,डॉक्टर रिया माखीजा, डॉक्टर प्रतिभा माखीजा, रूपल चंदवानी, कंचन जैसवानी, नीलु गिडवानी, दिपा सचदेव, रेशमा तोलानी ,कविता मंगवानी, अनिता लालचंदनी, गीता प्रेमानी,माया सबवानी, पूज्य सिंधी सेंट्रल पंचायत के अध्यक्ष पीएन बजाज डीडी आहूजा, प्रकाश गवलानी डॉक्टर ओम मखीजा ,वार्ड पंचायतों के अध्यक्ष भी उपस्थित थे जिनमें प्रमुख हैं सुरेश सिदारा जगदीश जगियासी मोहन मोटवानी हरीश भागवानी नरेश मूलचंदानी, वह समाज के वरिष्ठ जन उपस्थित थे रूपचंद डोडवानी नंदलाल पूरी राकेश चौधरी मोहन जेसवानी नानक मखीजा किशोर गेमनानी मनोहर पमनानी श्रीचंद टहलयानी धनराज आहूजा भारतीय सिंधु सभा बिलासपुर के अध्यक्ष शंकर मनचंदा अपनी पूरी टीम के साथ पूज्य सिंधी सेंट्रल युवा विग के अध्यक्ष अभिषेक विधानी , गुरुद्वारा सेवा समिति से वासु रायकेश, सिंधू कल्चरल अलायन्स फोरम से हेमंत कलवाणी, नानक माखीजा, एक नई पहल से सतराम जेठमलानी, हेमू कालानी सांस्कृतिक सेवा समिति से प्रभाकर मोटवानी खुशाल वाधवानी , प्रकाश बहरानी, प्रचार मंत्री विजय दुसेजा पत्रकार ट्विंकल आडवाणी दिलीप जगवानी गोवर्धन मोटवानी गोवर्धन नागदेव, डा कुमार मोटवानी, अमर रुपाणी ,मोहन जैसवानी, सुनील लालवानी, जगदीश जज्ञासि हरीश मोटवानी व बड़ी संख्या में समाज के महिलाएं युवा बुजुर्ग उपस्थित थे।




श्री विजय दुसेजा जी की खबर 

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