इंसान और जानवर दोनों के अंदर है परमात्मा... बलराम भाई
धन गुरु नानक दरबार जरहाभाटा स्थित दरबार में 5 मार्च को भाई मेहरबान सिंह साहेब जी की मासिक वर्षी उत्सव के उपलक्ष्य में महान कीर्तन दरबार सजाया गया
जिसमें चकरभाटा के बाबा आनंद राम दरबार से एकादशी वाले बलराम भैया साहेब जी के द्वारा सत्संग कीर्तन कर संगत को निहाल किया सत्संग रात्रि 8:00 बजे आरंभ हुआ 9:30 समापन हुआ।
सत्संग में बलराम भैया जी ने अपनी अमृतवाणी में कई प्रसंग सुनाए उन्होंने कहा की परमात्मा हर इंसान व जानवर जीव जंतु सब में है पेड़ पौधों में भी परमात्मा है जिस वस्तु में जीवन है उसमें परमात्मा है एक कसाई के अंदर में भी परमात्मा है और उस बकरी के अंदर में भी परमात्मा है जिसे कसाई काटता है फर्क है उस परमात्मा को पहचानने की उस परमात्मा को आत्मा से मिलाने की
जब आप इस मोह माया के जीवन के बारे में सोचना बंद करोगे और भक्ति सिमरन में लगोगे तब आपको परमात्मा के साक्षात दर्शन होंगे जैसे एक कहानी में एक तोता हमेशा बात बोलता है शिकारी आएगा जाल बिछाएगा और हमें फसा लेगा लेकिन तोता खुद दूसरों को आगाह करते करते खुद जाल में फंस जाता है वैसे ही इंसान भी सत्संग कीर्तन में आता जरूर है सतसंग सुनता जरूर है पर उस पर अमल नहीं करता है उस तोते की तरह मोह माया के जाल में फंस जाता है बलराम भैया जी ने संत नामदेव की एक कथा सुनाई कि संत नामदेव हमेशा भक्ति में लगे रहते थे जगह-जगह सत्संग कीर्तन करते थे एक बार उनके घर में आग लग गई और वह सत्संग कीर्तन में व्यस्त थे उसकी माताजी ने देखा और अपने पुत्र को कहा तु यहाँ सत्संग कीर्तन कर रहे हो उधर घर में आग लग गई है उसे पकड़ कर लेकर आई और कहा देखो तो पूरा घर जलकर खाक हो गया है बस खटिया बची है संत नामदेव ने कहा माता आज विट्ठल भगवान साक्षात अग्नि के रूप में आए हैं उसे प्रणाम करो माता ने कहा तुझे संत लोगों ने बिगाड़ दिया है तेरी बुद्धि भ्रष्ट हो गई है हमारा घर जल रहा है और तू बोलता है कि विट्ठल भगवान आए हैं संत नामदेव ने कहा यह खटिया किसने बचाई माता ने कहा मैं अकेली और कुछ सामान तो नहीं बचा पाई खटिया को निकाल कर ले आई
संत नामदेव ने उस खटिया को भी आग मे फेंक दिया माता ने कहा ये तुने क्या कर दिया एक बची खटिया को भी अग्नि में डाल दिया संत नामदेव ने कहा माता जब तक यह खटिया रहेगी तो तेरी माया इस में फंसी रहेगी वैसे भी हम कहीं पर भी जाकर रह लेंगे सो जाएंगे इस खटिया को कहां ले जाएंगे ?उसकी माता रोने लगी कि संतों के चक्कर में फस कर मेरा बेटा भी पगला गया है और नामदेव को चिल्लाने लगी नामदेव ने सोचा अगर और कुछ देर यहां रुकूंगा तो माताजी चिल्लाती रहेगी नामदेव वहां से चला जाता है और सत्संग कीर्तन में लीन हो जाता है, कुछ समय बाद एक सुंदर खूबसूरत लड़का आया देखा सामने माताजी बैठी है और कहा माताजी क्या संत नामदेव का घर यही है ? माताजी ने देखा और उससे बोली घर कहां है यह तो पूरा खाक हो गया है और तुम कौन हो ?उसने कहा माताजी मैं नामदेव का मित्र हूं माताजी ने कहा तो तुम्हारी संगत में बिगड़ गया है मेरा बेटा, यहां क्यों आए हो? उस लड़के ने कहा माताजी मैं इस घर को बनाने आया हूं मैं बड़ई हूं माताजी ने कहा मेरे पास तो कुछ नहीं है लड़के ने कहा कि मैं अपने दोस्त से पैसे लूंगा क्या? मैं फ्री में बनाऊंगा ठीक है ठीक है चलो बनाओ
मकान के जले हुए पूरे सामान को बाहर निकाल कर के और मकान बनाने के लिए लग गया गर्मी में पसीने- पसीने हो रहा था कुछ देर बैठ कर जब वह बांसुरी बजाने लगा तो ऊपर सभी देवी देवता भगवान की यह माया देखने लगे और बांसुरी की मीठी मधुर आवाज में खो गए माता जी ने देखा कि यह तो काम रोककर बांसुरी बजा रहा है उसने फिर चिल्लाया लड़के बांसुरी बंद कर और काम कर भगवान फिर से काम में लग गए और कुछ देर बाद माताजी ने देखा तो लड़का फिर गयाब हो गया है तो माताजी ने पूछा की फिर कहां गायब हो गए थे तुम ? लकड़ी लेने गया था माताजी ने कहा ठीक है ठीक है चलो जल्दी काम करो यह सब देख कर राधा जी को बहुत दुख हो रहा था कि मेरे पति परमेश्वर मेहनत कर रहे हैं राधा जी भी कामवाली बाई बन कर आ गई और भगवान श्री कृष्ण के पसीने को अपने आंचल से पोछने लगी भगवान श्री कृष्ण ने कहा तुम यहां क्यों आई हो राधे ?उसने कहा कृष्ण तुम्हारे बिना क्या मैं अकेली रह सकती हूं और तुम्हें ऐसा पसीने में काम करते देखते हुए गर्मी में मुझे अच्छा नहीं लग रहा था वह तो ठीक है पर सामने अम्मा बैठी है ना तुम्हें देखेगी तो फिर बहुत गुस्सा करेगी बहुत गुस्से वाली है वह जैसे यह बात कृष्ण ने राधा से कहीं और सामने माताजी ने देख लिया और लगी चिल्लाने कौन है यह औरत? यहां क्यों आई है? क्या कर रही है? राधा ने कहा माँ जी मैं उनकी पत्नी हूं यह मेरे पति परमेश्वर है मैं काम करने आई हू
माँ ने कहा ठीक है काम करो राधा कृष्ण दोनों मिलकर उस नामदेव के घर को बनाने लग गए और शाम तक देखते ही देखते सुंदर झोपड़ी तैयार हो गई माताजी देख लो अब तुम्हारी खोली तैयार हो गई है चारों तरफ उसने देखा और ठीक है बढ़िया है अच्छी बात है माँ ने कहा तुम्हारा नाम क्या है बेटा कृष्ण ने कहा परमात्मा और राधा कृष्णा दोनों चले गए जब सत्संग समापन के बाद नामदेव संध्या के समय घर पहुंचे तो देखा कि मेरी जली खोली गायब है वहां पर नई सुंदर खोली बन चुकी है पता नहीं किसका घर है मेरी मां कहां चली गई इधर उधर खोजने लगा देखा तो खोली से उसकी मां बाहर निकल रही थी तो नामदेव ने कहां माताजी यह घर किसका है? मां ने कहा बेटा हमारा घर है नामदेव ने पूछा इतनी जल्दी इतना सुंदर घर किसने बनाया? माताजी ने कहा बेटा तुम्हारा ही दोस्त आया था सुबह बढ़ई अपनी पत्नी के साथ मिलकर दोनों ने बनाया है नामदेव सोचने लगा मेरा कौन सा दोस्त बढ़ाई है उसने पूछा मां वह दिखने में कैसा था उसने कहा बेटा गोरा चिट्टा देख रहा था और नीलमणि की तरह चमक रहा था कपड़े धोती पहनी थी पीले रंग का दुपट्टा लपेटे था और साथ में मुरली भी रखी थी और बजा रहा था बीच में यह सब सुनकर नामदेव ने पूछा उसका नाम पूछा कि नहीं हां बेटा नाम पूछा उसने अपना नाम परमात्मा बताया, नामदेव समझ गया और उसकी आंखों से आंसू बहने लगे अम्मा ने पूछा बेटा तू क्यों रो रहा है नामदेव ने कहा अम्मा जिसे देखने के लिए भगवान भी तरसते हैं वह भगवान श्री कृष्ण और राधा जी के तूने दर्शन किए और कोई नहीं बल्कि राधा कृष्ण थे जिन्होंने हमारी झोपड़ी को महल बना दिया आसपास के लोगों को जब बात पता चला सब पहुंचने लगे देख कर हैरान हो गए कि राजा का इतना बड़ा महल भी सुंदर नहीं है जितनी सुंदर यह एक झोपड़ी है सब ने पूछा नामदेव से कौन सा बढई आया था? बताओ हम तुमसे
10 गुना ज्यादा पैसा देंगे , नामदेव ने कहा कि वह पैसा नहीं लेता है लोगों ने कहा तो क्या जमीन लेता है? नामदेव ने कहा नहीं वह प्रेम लेता है भगवान प्रेम के भूखे होते हैं प्रेम की डोरी में बंध कर भक्तों के दुख दर्द दूर करते हैं जैसे भगवान श्री राम ने शबरी के जूठे बेर खाए थे माता अहिल्या को पत्थर से इंसान बना दिया था भगवान को पाना है दर्शन करना है तो इस मोह माया के जाल से अलग होना पड़ेगा और भक्ति सिमरन प्रेम की गंगा में डुबकी लगानी होगी तभी भगवान के दर्शन हो सकते हैं और भगवान को पा सकते हो
भाई साहब मेहरबान सिंह की याद में साध संगत के द्वारा श्री जपजी साहिब का अखंड पाठ साहब किया गया जीसका रात्रि 9:30 बजे भोग साहब लगाया गया कार्यक्रम के आखिर में अरदास की गई प्रसाद वितरण किया गया
आई हुई साध संगत के लिए गुरु का अटूट लंगर बरताया गया बड़ी संख्या में साध संगत ने लंगर चखा इस पुरे आयोजन को सफल बनाने में दरबार साहब के प्रमुख प्रबंधक भाई साहब मूलचंद नारवानी जी, सोनू लालचंदानी धरमवीर टहलयानी ,सेवादार डॉ.हेमंत कलवानी, जी पूर्व पार्षद सुरेश वाधवानी जी, प्रकाश जज्ञासी, नानक पंजवानी, विजय दुसेजा , , राजू धामेचा, जगदीश सुखीजा, चंदू मोटवानी ,नरेश मेहरचंदानी भोजराज नारवानी, मेघराज नारा ,जगदीश जज्ञासी, विकास बजाज, अनीता नारवानी ,पलक हर्जपाल, कंचन रोहरा, राखी, वर्षा सुखीजा, गंगाराम सुखीजा, रमेश भागवानी का योगदान रहा.
श्री विजय दुसेजा जी की खबर