किस्मत वाले होते हैं वो जो राजावीर के मंदिर में पहुंचते हैं,,, वरुण साई
श्री राजा विक्रमादित्य जी का 67 वां वार्षिक उत्सव मेला प्रतिवर्ष अनुसार इस वर्ष भी हर्षोल्लास श्रद्धा भक्ति के साथ हुआ समापन।
चार दिवसीय मेला वार्षिकोत्सव बड़े ही श्रद्धा के साथ 26 फरवरी को प्रारंभ हुआ चार दिवसीय मेला उत्सव के चौथे दिन आज राजावीर मंदिर तोरवा बिलासपुर में श्री झूलेलाल मंदिर झूलेलाल नगर चकरभाटा के संत सांई लाल दास जी के बड़े सुपुत्र वरुण साईं एवं भाभी बरखा मां के द्वारा सत्संग कीर्तन कर भक्तों को निहाल किया कार्यक्रम का शुभारंभ रात्रि 8:00 बजे वरुण साईं व भाभी बरखा मां के आगमन से हुई राजा विक्रमादित्य महिला समिति की सदस्यों के द्वारा आतिशबाजी और फूलों की वर्षा से भव्य स्वागत किया गया मंदिर पहुंचकर मत्था टेक दीप प्रज्वलित करके कार्यक्रम काआरंभ किया गया
सत्संग में वरुण साई जी ने फरमाया कि बड़े किस्मत वाले होते हैं वह लोग जो ऐसे दरबार व मंदिरों में पहुंचते हैं यह सिद्ध मंदिर है सच्चे मन से राजावीर के दरबार में पहुंचता है पल्लव पाता है पूजा करता है उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है इस मंदिर से नाता हमारा बरसों पुराना है हमारे पूज्य दादा जी भाऊ गुरमुखदास जी भी मेले में हाजीरी लगाने के लिए आते थे हमारे पूज्य पिता साईं लाल दास जी भी इस मेले में हाजिरी लगाने के लिए जरूर आते हैं परंतु इस वर्ष कुछ कारण वंश उन्हें सत्संग करने दूसरे शहर जाना पड़ा और मुझे यह मौका मिला कि मैं इस दरबार में पहुंचकर हाजरी लगाऊ में बडा खुश किस्मत हूं कि मुझे इस दरबार में आने का मौका मिला और आप जैसी प्यारी संगत के दर्शन करने का अवसर मिला।
आज हर किसी को कुछ न कुछ दुख तकलीफ है हर घर में परेशानी है उसका कारण एक ही है कि हम लोग अपने इष्ट देव भगवान झूलेलाल वह अपने संत जनों को भूल गए हैं हर घर में हर दुकान में भगवान झूलेलाल की फोटो होनी चाहिए आज की जो हमारी युवा पीढ़ी है उन्हें जो हमारे संत हैं उनका नाम भी नहीं पता उन्हें जानते भी नहीं है उसका कारण है कि वह मंदिर नहीं जाते दरबार नहीं जाते सत्संग कीर्तन में नहीं जाते तो उन्हें कैसे पता चलेगा अपने संस्कृति अपने तीज त्यौहार अपने संतो के बारे में जानकारी कैसे मिलेगी अगर हम बचपन से ही अपने बच्चों को झूलेलाल मंदिर व सत्संग कीर्तन मिले जाए तो उन्हें अच्छे संस्कार भी मिलेंगे वह अपने संस्कृति से जुड़े भी रहेंगे आने वाले 23 मार्च को हमारे इष्ट देव पालनहार भगवान झूलेलाल जी का जन्म उत्सव है इस उत्सव को हर सिंधी को बड़े ही धूमधाम के साथ मनाना है जैसे होली दिवाली मनाते हैं उससे भी ज्यादा बढ़चढ चेट्री चंड महोत्सव मनाना है और ज्यादा कुछ मत करो कम से कम अपने घर के बाहर 5 दीपक जलाना मीठी ताहयरी बनाकर नदी या तलाब में ले जाना अपने घर और दुकान में भगवान झूलेलाल की फोटो रखना आरती करना और जब आपके शहर से चेटीचंड का जुलूस निकले तो बहराणा साहब का दर्शन करना।
इतना भी कर लेंगे तो वही बहुत है जरूरी नहीं है कि आप लाखों रुपए खर्चा करो दिखावा करो सच्चे मन से बस भगवान झूलेलाल को याद करो यही बहुत है इस अवसर पर अनिल पंजवानी व दीपक अथवानी के द्वारा कई भक्ति भरे भजन गाए जिसे सुनकर उपस्थित भक्तजन झूम उठे इस अवसर पर पत्रकार ट्विंकल आडवाणी व विजय दुसेजा का वरुण सांई जी के द्वारा शाल ओढ़ाकर श्रीफल दे कर सम्मान किया गया।
कार्यक्रम के आखिर में आरती की गई पल्लव पाया गया प्रसाद वितरण किया गया आए हुए सभी साध संगत के लिए आम भंडारे का आयोजन किया गया बड़ी संख्या में भक्तजनों ने भंडारा ग्रहण किया आज के इस आयोजन का सोशल मीडिया के माध्यम से लाइव प्रसारण किया गया हजारों की संख्या में घर बैठे थे भक्त जनों ने आज के सत्संग का आनंद लिया इस पूरे कार्यक्रम को सफल बनाने में राजावीर विक्रमादित्य मेला उत्सव समिति के सभी सदस्य का विशेष योगदान रहा
श्री विजय दुसेजा जी की खबर