तीन दिन के हड़ताल के बाद मांगे हुई पूरी, भारतीय मजदूर संघ
अनुबंध के बाद रंग गुलाल खेलते श्रमिक
भिलाई इस्पात संयंत्र के राजहरा खदान समूह के अंतर्गत संचालित महामाया खदान में कार्यरत ठेका श्रमिकों द्वारा भारतीय मजदूर संघ के नेतृत्व में दिनांक 26.02.2023 से शुरू किया गया काम बंद आंदोलन आज समाप्त हुआ। इसकी जानकारी देते हुए भारतीय मजदूर संघ के बालोद जिला मंत्री श्री मुस्ताक अहमद एवं भा.म.सं. से सम्बद्ध खदान मजदूर संघ भिलाई के अध्यक्ष (केंद्रीय) एम पी सिंग ने बताया कि दिनांक 28.02.2023 को स्थानीय खदान प्रबंधन के मुखिया श्री आर.बी.गहरवार, मुख्य महाप्रबंधक खदान (आईओसी) राजहरा के अगुवाई में संघ के प्रतिनिधियों एवं खदान प्रबंधन के वरिष्ठ अधिकारीयों के साथ लम्बी चर्चा हुई। उक्त चर्चा में संघ द्वारा श्रमिकों के हितार्थ की गयी बारह सूत्रीय मांगों पर विस्तृत चर्चा हुई। उक्त चर्चा का मुख्य बिंदु महामाया खदान के ठेकों में कार्यरत टिप्पर/शॉवेल ऑपरेटर्स एवं सुपरवाइजर, जिन्हे कुशल श्रेणी के कामगारों हेतु केंद्र सरकार द्वारा तय न्यूनतम वेतनमान दिया जा रहा था उन्हें राजहरा खदान समूह के अन्य खदानों में कार्यरत टिप्पर/शॉवेल ऑपरेटर्स एवं सुपरवाइजर के समकक्ष अतिकुशल श्रेणी के कामगारों के लिए केंद्र सरकार द्वारा तय न्यूनतम वेतन देने की मांग थी।
चर्चा के दौरान श्रमिकों का पक्ष रखते हुए संघ के प्रतिनिधियों ने कहा कि महामाया के श्रमिकों की मांग जायज है क्योंकि राजहरा खदान समूह के अन्य खदानों में कार्यरत टिप्पर/शॉवेल ऑपरेटर्स और सुपरवाइजरों को शुरुवात से ही अति कुशल श्रेणी का भुगतान किया जा रहा है, किन्तु महामाया में केंद्र सरकार के नियम कानून और वर्ष 2014 में खदान प्रबंधन और श्रम संगठनों के बीच हुए एक समझौते का हवाला देते हुए महामाया क्षेत्र के स्थानीय श्रमिकों को कुशल श्रेणी का भुगतान किया जा रहा है। प्रबंधन के इस दोहरे नीति का संघ विरोध करता है और श्रमिकों के मांग को वाजिब मानते हुए उनका समर्थन करता है। जहाँ तक काम बंद करने की बात है तो भा.म.सं. की निति देश हित, उद्योग हित, श्रमिक हित है, किन्तु संघ भेद भाव की नीति का स्पष्ट विरोधी है और वर्तमान प्रकरण में खदान प्रबंधन के कार्मिक विभाग के इस दलील से सहमत नहीं है कि अन्य खदानों में अति कुशल श्रेणी का भुगतान ठेकेदार द्वारा किया जा रहा है और वे इसमें कुछ नहीं कर सकते हैं। संघ कार्मिक विभाग के इस दलील को भेदभाव भरा कदम मानता है और इसे प्रबंधन के कुछ अधिकारीयों द्वारा जान-बूझकर महामाया के ग्रामीण श्रमिकों का खुला शोषण करार देता है।
इस पर प्रबंधन का पक्ष रखते हुए मुख्य महाप्रबंधक खदान ने कहा कि सैद्धांतिक रूप से प्रबंधन इस बात से सहमत है कि अगर राजहरा खदान समूह के अन्य खदानों में टिप्पर/शॉवेल ऑपरेटर्स और सुपरवाइजरों को पहले ही दिन से अतिकुशल श्रेणी का भुगतान किया गया है अथवा किया जा रहा है तो ऐसे में महामाया खदान में वही कार्य करने वाले श्रमिकों को भी अति कुशल श्रेणी के कामगारों का भुगतान किया जाना चाहिए। किन्तु वर्तमान प्रकरण में कुछ श्रम संगठनों ने प्रबंधन को यह पत्र लिखकर कहा है कि अगर महामाया खदान के आंदोलनकारी श्रमिकों की मांग प्रबंधन द्वारा मान ली जाती है तो यह वर्ष 2014 में हुए समझौते का उल्लंघन होगा और ऐसे परिस्थिति में सभी ठेका श्रमिकों को S-1 ग्रेड का वेतनमान देने हेतु वे आंदोलन करेंगे। अतः प्रबंधन इस मामले के निपटारे हेतु कुछ और समय चाहता है ताकि अन्य संगठनों के साथ चर्चा कर समाधान निकाला जा सके। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि बीच ठेके में अतिरिक्त पैसे की व्यवस्था करना भी प्रबंधन के लिए एक बड़ी समस्या है अतः प्रबंधन को थोड़ा समय दिया जावे।
प्रबंधन पक्ष की बात सुनने के उपरांत संघ के प्रतिनिधियों ने स्पष्ट कहा कि जहाँ तक ठेका श्रमिकों को S-1 ग्रेड का वेतनमान दिए जाने की बात है तो उक्त मुद्दा सेल प्रबंधन के समक्ष NJCS सब-कमिटी के माध्यम से पहले से ही लंबित है। ठेका श्रमिकों के लिए गठित की गयी NJCS सब-कमिटी में शामिल पाँचों श्रम संगठनों ने इस मुद्दे को रखा है जिसपर सेल प्रबंधन द्वारा विचार किया जा रहा है। इसके अलावा यह बात भी सभी पक्ष अच्छी तरह से जानते हैं कि अकेले राजहरा खदान समूह में अथवा सेल के किसी भी इकाई में ठेका श्रमिकों को S-1 ग्रेड का भुगतान करने हेतु समझौता करने के लिए कोई भी स्थानीय प्रबंधन सक्षम नहीं है। ऐसे में जिन श्रमिक नेताओं ने इस तरह की मांग की है वे श्रमिक हितैषी नहीं है बल्कि उनका मुख्य उद्देश्य महामाया खदान के आंदोलनरत श्रमिकों को उनके वाजिब हक से वंचित करना है और ऐसे श्रमिक नेता श्रमिक हितैषी हो ही नहीं सकते हैं। जहाँ तक वर्ष 2014 में किये गए समझौते की बात है तो स्वयं राजहरा खदान समूह के उप-महाप्रबंधक (कार्मिक) श्री विकास चंद्र जी ने उप मुख्य श्रमायुक्त के समक्ष यह कहा है कि वर्ष 2014 में किया गया समझौता एक बार के लिए था जिसके तहत श्रमिकों को उसका लाभ दिया जा चुका है। ऐसे में अब उस समझौते की बात करना औचित्यहीन है। जहाँ तक बीच ठेके में अतिरिक्त पैसे की व्यवस्था करने की बात है तो संघ मुख्य महाप्रबंधक के इस बात से सहमत है और संघ ने पहले भी चर्चा के दौरान उप मुख्य श्रमायुक्त (केंद्रीय) के समक्ष भी स्पष्ट कहा था कि अगर प्रबंधन इस बात का लिखित समझौता करता है कि आने वाले नए ठेके से पीड़ित श्रमिकों को अति कुशल श्रेणी का भुगतान सुनिश्चित कर दिया जावेगा तो संघ इसके लिए भी तैयार है।
चर्चा के दौरान एटक के स्थानीय महामंत्री कवलजीत सिंह मान और इंटुक के स्थानीय अध्यक्ष अभय सिंह भी उपस्थित थे जिन्होंने संघ के मांग का समर्थन करते हुए कहा कि जो मुद्दा पहले से ही NJCS सब-कमिटी के माध्यम से सेल प्रबंधन के समक्ष लंबित है उस मुद्दे को स्थानीय स्तर पर जो भी नेता उठा रहे हैं वे श्रमिक हितैषी नहीं हो सकते हैं। जहाँ तक वर्ष 2014 में किये गए समझौते की बात है तो स्थानीय कार्मिक विभाग के अधिकारीयों द्वारा उन्हें भी कई बार यही कहा गया है कि उक्त समझौता एक बार के लिए था और इसलिए अब किसी भी ठेके में इस समझौते का लाभ श्रमिकों को नहीं दिया जा रहा है। किन्तु इस सम्बन्ध में आजतक कई बार मांगने के बावजूद कार्मिक विभाग ने कोई लिखित आदेश नहीं दिखाया है। अतः वे मुख्य महाप्रबंधक खदान से निवेदन करते हैं कि अगर ऐसा कोई आदेश है तो कार्मिक विभाग के अधिकारीयों को निर्देशित किया जावे कि वे इसे सार्वजानिक करें। इन दोनों नेताओं ने यह भी स्पष्ट कहा कि महामाया के पीड़ित श्रमिकों की मांग को वे जायज मानते हैं और संघ द्वारा इस सम्बन्ध में की गयी पहल का समर्थन करते हुए वे खदान प्रबंधन से यही अपेक्षा करते हैं कि वह जल्द से जल्द श्रमिकों के इस जायज मांग को मानते हुए समझौता करे।
लम्बी चर्चा के उपरान्त प्रबंधन पक्ष एवं संघ के प्रतिनिधियों के बीच इस बात पर लिखित सहमति बनी कि महामाया में आगे से होने वाले ठेके में टिप्पर/शॉवेल ऑपरेटर्स और सुपरवाइजरों को अन्य खदानों के तर्ज पर अति कुशल श्रेणी के कामगारों हेतु केंद्र सरकार द्वारा तय न्यूनतम वेतन दिया जावेगा। जहाँ तक अन्य मांगों की बात है तो इसके लिए मुख्य महा प्रबंधक खदान ने संघ से कुछ समय माँगा ताकि वे इस सम्बन्ध में समुचित जानकारी जुटा सकें जिसे संघ के प्रतिनिधियों ने मान लिया। साथ ही चर्चा में उपस्थित सभी श्रमिक नेताओं ने यह भी कहा कि राजहरा खदान समूह के सभी खदानों में चल रहे ठेकों में वेतन पद्धति में एक रूपता होनी चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह के विवाद न हो जिसपर प्रबंधन पक्ष ने कहा कि शीघ्र ही इसपर सकारात्मक पहल करते हुए सकारत्मक निर्णय लिया जावेगा और यह सुनिश्चित किया जावेगा कि इस तरह के विवाद भविष्य में न हो ।
चर्चा में प्रबंधन पक्ष की तरफ से राजहरा खदान समूह के मुख्य महाप्रबंधक खदान, सभी खदानों के महाप्रबंधक/एजेंट, सभी खदानों के खदान प्रबंधक, कार्मिक अधिकारी श्री जोत कुमार, डॉ बघेल, एवं सभी अतिरिक्त श्रम कल्याण अधिकारी उपस्थित थे।संघ की तरफ से भा.म.सं. के बालोद जिला मंत्री मुस्ताक अहमद, खदान मजदूर संघ भिलाई के केंद्रीय अध्यक्ष एम.पी.सिंह, उप-महा सचिव केंद्रीय लखन लाल चैधरी उपस्थित थे।
अंत में नेताद्वयों ने मुख्य महाप्रबंधक खदान श्री आर.बी.गहरवार को तत्परता के साथ श्रमिक हित में निर्णय लेने और वर्षों से लंबित समस्या के निवारण करने हेतु धन्यवाद दिया। साथ ही चर्चा में उपस्थित सभी खदानों के अधिकारीयों को उनके सहयोगात्मक रुख के लिए धन्यवाद दिया। नेताद्वय मुस्ताक अहमद और एम.पी.सिंह ने एटक के महामंत्री कवलजीत सिंह मान और इंटुक के अध्यक्ष अभय सिंह को भी श्रमिक हितार्थ उनके द्वारा उठाये गए कदम और दिए गए सहयोग के लिए धन्यवाद और बधाई के पात्र कहते हुए आशा व्यक्त की कि भविष्य में भी श्रमिक/कर्मी हितार्थ इसी तरह का सामंजस्य बना रहेगा जिससे कि श्रमिक/कर्मी हितों के लिए सभी श्रम संगठन एकजुट होकर कार्य करेंगे।
श्री मुश्ताक अहमद जी की खबर