रंग गुलाल पिचकारी की दुकानें सजी इस बार इस बार भी होली पर महंगाई की मार 10 से 15% महंगा हुआ सामान
हमारे देश के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक रंगों के पर्व होली पर्व के अवसर आम जनो ने तैयारी करना शुरू कर दी है व्यापारियों ने भी तैयारी शुरू कर दी है छोटे छोटे व्यापारियों ने भी रंग गुलाल पिचकारी की दुकानें लगाना शुरू कर दिया है और चौक चौराहे में दुकानें सजने शुरू हो गई है बिलासा चौक के पास भी कई दुकानें रंग गुलाल पिचकारी की सजी हैं इस बार अलग-अलग वैरायटी आई है जो बच्चों व ,बड़ों को अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं इस बार बच्चों से लेकर बड़ों सभी उम्र के लोगों के लिए होली की टी शर्ट मार्केट में आई है जिसमें कृष्ण राधा संग होली खेलते हुए दिख रहे हैं अलग-अलग टी-शर्ट जिसमें बच्चे होली खेल रहे हैं व कई में स्लोगन लिखा है होली की बधाइयां सफेद रंग की टीशर्ट जिसकी कीमत ₹100 है
एक से बढ़कर एक कलर व मुखौटे एवं तरह तरह की वैरायटी भी उपलब्ध है जो आमजनों को अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं जिसकी कीमत ₹10 से लेकर ₹100 तक है छोटे-छोटे गुब्बारे का पैकेट 100 में 3 पैकेट टोपियां मोटू पतलू वाला ढोलक भी बाजार में है होलसेल व्यापारी के पास बिक्री बढ़ी है परन्तु चिल्लर व्यापारी ने बताया कि बाजार में अभी ग्राहकों की डिमांड ज्यादा नहीं है दुकानदार का कहना है सप्ताह के आखरी में ग्राहकी बढ़ेगी क्योंकि ज्यादातर मजदूर और लेबर कास्ट के लोग जो छोटे-छोटे काम करते हैं उनको शनिवार के दिन ही पेमेंट मिलता है और रविवार छुट्टी है इसलिए शनिवार रविवार के दिन भारी डिमांड रहेगी मार्केट में उठाव ज्यादा होगा
इस बार सभी उम्र के लोगों में उत्साह दिख रहा है है आसपास के गांव वाले भी खरीदारी करने पहुंच रहे हैं होली का माहौल है और शक्कर माला की बात ना हो तो होली फीकी हो जाती है शक्कर माला का रेट ₹160 किलो है लेकिन पहले जैसे लोग शक्कर मला नहीं खरीद रहे हैं जो पुराने बुजुर्ग थे परंपरा थी वह अब कम हो रही है आज के युवा पीढ़ी को शक्कर माला के बारे में पता ही नहीं है कि क्यों खरीदते हैं कयो पहनाते हैं शक्कर मला भी हमारी परंपरा का एक हिस्सा है होली में शक्कर माला का महत्व है बड़े बुजुर्गों को पहनाते हैं गुलाल का टीका लगाते हैं आशीर्वाद लेते हैं आज की पीढ़ी अपनी संस्कृति को भूलती जा रही है और परंपरा को छोड़कर लोग मौज मस्ती करने के लिए ही त्यौहार मना रहे हैं आज कि युवा पीढ़ी मौज मस्ती को ही त्यौहार समझती है पर हमारे बड़े बुजुर्गों आज की पीढ़ी को समझाना चाहिए सिखाना चाहिए युवा पीढ़ी का कर्तव्य है अपनी संस्कृति अपने तीज तयोहार की मर्यादा को बनाए रखे एवं संस्कार संस्कृति को संजोकर के रखे
श्री विजय दुसेजा जी की खबर