नारियों का स्थान वैदिक काल से ही देवी तुल्य है .... द्रोपती साहू

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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस सुनने में तो बहुत अच्छा लगता है परंतु जब इस मुद्दे पर एकांत में विचार किया जाए तो मन में एक सवाल जन्म लेता है कि आखिर ऐसी क्या थी, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महिलाओ को सम्मान देने के लिए एक दिन की घोषण करनी पड़ी?? क्या इसका उद्देश्य शुरूवात से ही केवल महिलाओं को सम्मान देना था , या उन्होंने अपनी परेशानियों से तंग आकर आक्रोश में इस दिन को मनाना शुरू किया??क्या भारत की ही तरह सम्पूर्ण विश्व मे भी महिलाओं को अपने अधिकार अपने सम्मान को पाने के लिए चुनौतियों का सामना करना पड़ा??आज हम अपने आर्टिकल से आपके इन सवालों का जवाब देने और अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के संबध में संपूर्ण जानकारी देने का प्रयत्न कर रहे है।

1910 में क्लारा जेटकिन नाम की एक महिला ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की बुनियाद रखी थी।एक साल बाद अमरीका की सोशलिस्ट पार्टी ने पहला राष्ट्रीय महिला दिवस मानने का ऐलान किया इसे अंतरराष्ट्रीय बनाने का ख्याल सबसे पहले क्लारा जेटकिन नाम की एक महिला के मन में आया था।क्लारा महिलाओ के हक के लिए आवाज उठाती थी उन्होंने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का सुझाव 1910 में डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन में कामकाजी महिलाओं के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में दिया था। उस सम्मेलन 17 देशों से आई 100 महिलाएं शामिल थी और वो एकमत से क्लारा के इस सुझाव पर सहमत हो गई पहला अंतर राष्ट्रीय महिला दिवस 1911 मे आस्ट्रिया,डेनमार्क ,जर्मनी और स्विटजर्लैंड में मनाया गया ।इसका शताब्दी समारोह 2011 में मनाया गया तो,तकनीकी रूप से इस साल हम 112वा अंतर राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने जा रहे हैं।।

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