शासकीय शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय रायपुर में मनाया गया अंतर्राष्ट्रीय किन्नर दिवस
शासकीय शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय रायपुर
कार्यक्रम समन्वयक योगेश्वरी माणिक, डॉ लता मिश्रा एवम् महाविद्यालय अकादमी सदस्य शामिल हुए जिसमें एम.एड. प्रवेश प्रभारी अर्चना वर्मा शेष शुभ वैष्णव धारा बेन सहायक अध्यापकों के संयोजकत्व में इंटरनेशनल ट्रांसजेंडर डे ऑफ विजिबिलिटी के उत्सव पर लैंगिक संवेदनशीलता कार्यशाला का आयोजन हुआ
;जो कि बहुत ही सराहनीय एवं प्रशंसनीय रहा । कार्यक्रम का शुभारंभ विद्या की देवी वीणा वादिनी मां सरस्वती के तैल्य चित्र पर पूजा अर्चना एवं मंत्रोच्चारण के साथ हुआ । डाॅ. लता मिश्रा द्वारा तृतीय लिंग की पृष्ठभूमि बताते हुए एक शिक्षक होने के नाते शिक्षकों की भूमिका एवं मानवीय व्यवहार किए जाने की बात कही । विभागीय एम.एड. के सभी छात्र अध्यापक भी उपस्थित रहे जिसने स्व -अनुशासन का परिचय देते हुए शालीनता की भूमिका को बखूबी से निभाया गया ।
लैंगिक संवेदनशीलता कार्यशाला में आए हुए मेहमान के रूप में रवीना बरिहा तृतीय लिंग सोसाइटी के प्रमुख वक्ताओं के भाषण को श्रवण कर रहे थे। मंच का संचालन डॉ. लता मिश्रा ने बहुत ही सुंदर नपी तुली शब्दों का प्रयोग करते हुए दर्शक दीर्घा बंधुओं को मंत्रमुग्ध करने में सफल रहे।
किन्नर समाज आए हुए बहुत प्रबुद्ध सुधिजन, बुद्धिजन ,गुणिजन एक पढ़ी-लिखी ट्रांसजेंडर जो कि सभ्यता का परिचायक रवीना राजपूत जी ने बहुत ही शानदार थर्ड जेंडर के बारे में प्रमुखता से प्रकाश डाला गया आज इनकी एक संगठन है जहां पर समय अनुसार विभिन्न सरकारी संस्थाओं से अनुमति लेकर स्कूलों में कॉलेजों में थर्ड जेंडर संवेदनशीलता कार्यशाला का आयोजन करते रहते हैं ताकि पढ़ने वाले स्कूली छात्र छात्राएं थर्ड जेंडर की पहचान समाज में उनकी पहचान, समाज की दिशा एवं दशा को कैसे सुधारने हेतु निर्धारण करें ..? एक ट्रांसजेंडर जैसी शब्दावली समाज के लिए एक बहुत बड़ा चुनौती भरा कार्य है ..? इसको बहुत ही सरल एवं सहज भाव से पल्लवित करने का जो तौर तरीका था वह एक सभ्य समाज में पढ़ी लिखी नारी की भांति अपने प्रतिभाओं को मंच के माध्यम से उकेरती है ऐसा महसूस हो रहा था वाजिब में यह किन्नर नहीं बल्कि समाज की पढ़ी-लिखी सभ्य नारी का परिचायक है ऐसा बिल्कुल महसूस होने नहीं दिया यह उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि रही। इस बारे में बहुत ही सारगर्भित विचारों को रखी। कार्यक्रम में यह दिन, दुनिया भर में ट्रांसजेंडर लोगों के साथ होने वाले भेदभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ समाज में उनके योगदान का जश्न मनाने के लिए समर्पित है
हर एक चुनौती को पार करके आगे बढ़ने वाली ट्रांसजेंडर अपने लक्ष्य को पाने के लिए लंबी लड़ाई लड़ने के दौरान आज सरकारी संस्थाओं में अच्छे पदों पर पदासीन है ..यह किसी छुपा नहीं है ..।
प्रमुख प्रवक्ताओं में शामिल रही थर्ड जेंडर समाजसेवी..
विषय पर चर्चा तृतीय लिंग सोसाइटी के समाज सेविका रविना बरिहा सचिव छ.ग. मितवा संकल्प समिति विद्या राजपूत सदस्य तृतीय लिंग कल्याण बोर्ड छत्तीसगढ़ शासन , गोविंद तांडेकर जी सामाजिक कार्यकर्ता एवं देवनाथ ट्रांसमैन सामाजिक कार्यकर्तायों के द्वारा प्रमुख बिंदु पर विशेष रूप से चर्चा किया गया जैसे :- ट्रांसजेंडरों का इतिहास एवं उनकी पहचान, सामाजिक चुनौतियां पर विशेष रूप से ध्यान आकृष्ट करना, परिवारिक सहयोग न होना, ट्रांसजेंडर कानून, तृतीय लिंग पर शिक्षकों की भूमिका एवं जिम्मेदारी क्या होगी..? जिन बच्चों का जेंडर कंफर्म नहीं है..। ऐसे बच्चों को किस तरह से काउंसलिंग एवं मानिटरिंग कर सकते हैं..?
छत्तीसगढ़ संकल्प मितवा समिति ने छत्तीसगढ़ शासन के साथ वार्तालाप के दरमियान पैरवी करते हुए लैंगिक संवेदनशीलता के संबंध में विशेष रूप से मनोबल बढ़ाने हेतु कार्य करने में सफल रहे ।
जेंडर समाज सेवकों के द्वारा किया गया सराहनीय कार्य -
छत्तीसगढ़ संकल्प मितवा समिति के द्वारा जेंडर कम्युनिटी ऑर्गेनाइजेशन २००९ से काम पूरे छत्तीसगढ़ में ट्रांसजेंडर के लिए इनपावरमेंट का काम बखूबी से कर रही है ऐसे समाज के द्वारा किया कार्यक्रम सफलता की शिखर पर पहुंचा रही है जो उल्लेखनीय पहल है और लगातार नित नए आयाम लेकर क्रियान्वयन किया जा रहा है ।
किन्नर समाज सेविका की योग्यता किसी से कम नहीं-
शिक्षा के क्षेत्र में महारत हासिल करते हुए 23 तृतीय लिंग समाज के लोग छत्तीसगढ़ में पुलिस सेवा के रूप में कार्यरत है इसके अतिरिक्त बाल्को, वेदांता एवं 3-4 एस सिक्योरिटी गार्ड जैसे अलग-अलग कंपनियों में कुल 128 लोग एवं अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों में अपने योग्यता के बल से काम कर रहे हैं । इनके अलावा मितवा संकल्प समिति ने अलग-अलग विभागों से पैरवी करते हुए सैक्स संबंधित सर्जरी को स्वास्थ्य विभाग में नि: शुल्क कराने की व्यवस्था तथा नगरीय प्रशासन की दुकानों और मकानों में 1% प्रतिशत का आरक्षण दिलवाया। शिक्षा विभाग में भी ट्रांसजेंडर को पाठ्यक्रम में शामिल कराने में यह समुदाय सफल रहे।
सहयोगात्मक संगठन हमसफर ट्रस्ट मुंबई एवं छत्तीसगढ़ मितवा संकल्प समिति के सहयोग से शासकीय शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापकगण एवं विभागीय एम एड छात्र अध्यापक के आयोजकत्व में कार्यक्रम बेहतरीन ढंग से संपन्न हुआ।
संकल्प समिति छत्तीसगढ़ के द्वारा एक बहुत बड़ा परिणाम सामने आया है प्रवेश और भर्ती में ट्रांसजेंडरों को भी स्थान नौकरी हेतु वैकेंसी में आरक्षित कर रहे हैं इससे ट्रांसजेंडर को भी अपने आर्थिक स्थिति को मजबूत प्रदान कर सकेंगे छत्तीसगढ़ शासन ने हर विभाग में व्यापम के माध्यम से ट्रांसजेंडरों के लिए विशेष रुप से ध्यान दें रहे हैं और ऐसे समाज के लिए आरक्षित सीट है ।
रविना बरिहा एक पढ़ी-लिखी सभ्य ट्रांसजेंडर है जिन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में तो कार्य किया पर दर्शन शास्त्र, समाजशास्त्र, समाज कार्य जैसे विषय एवं अन्य विषयों में स्नातकोत्तर हासिल किए हुए हैं । सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्रालय भारत सरकार के अधीन राष्ट्रीय रक्षा संस्थान नई दिल्ली सरकार ने सलाहकार के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे है वर्तमान में बरिहा जी काउंसलर है। इसी तरह से विद्या राजपूत भी ट्रांसजेंडर होते हुए भी काफी पढ़ी लिखी है उन्होंने भी समाजशास्त्र एवं अन्य विषयों के साथ पीजीडीसी भी की हुई है और भाषण भी एक सरल ,सहज, सरस भाखा का प्रयोग करते हुए अपने लहजे में सभी को मंत्रमुग्ध करने वाली नपी तुली शब्दों का प्रयोग करते हुए दर्शक दीर्घा को क्षमा बांध रखने में सफल शमां बांधने में सफल रही जो कि बहुत ही अनुकरणीय है ।
अंत में विभागीय एम एड छात्र अध्यापकों द्वारा अपने संदेही युक्त प्रश्नों का जवाब ट्रांसजेंडरों के समाजिक कार्यकर्ता के समक्ष रखते गए और उनका जवाब बहुत ही शालीनता के साथ रिस्पांस मिलता रहा जो विभागीय छात्र अध्यापकों के लिए एक सराहनीय कदम है और ऐसी कार्यशाला को कभी भूलेंगे भी नहीं ।
अब तक किन्नरों को एक हेय की दृष्टि से देखा जाता था जो कि ऐसा नहीं है ऐसे ट्रांसजेंडरों को समाज में स्थान मिलना चाहिए इनके दुख और पीड़ा को समझते हुए इन्हें भी समाज में न्याय एवं सम्मान मिलना चाहिए आखिर समाज के ही अभिन्न अंग है। आखिर वह भी इंसान है और इंसान में इंसानियत है मानव में मानवता है मनुष्य में मनुष्यता है आदमी आदमी में आदमीयत है तो यही एक सच्चा समाज है जो दशा और दिशा को निर्धारण करने में महती भूमिका निभाने की आवश्यकता है।
विषय विशेषज्ञ के रूप तृतीय लिंग समुदाय की समाज सेविकाओं ने अपने उद्बोधन में बचपन से लेकर अब तक की भावनाओं को उजागर करते हुए अनुभव शेयरिंग कर छात्र अध्यापकों को सुप्रीम कोर्ट एवं हाई कोर्ट में उनके समाज को जो न्याय मिला है ऐसे दिशा निर्देशों से छात्र अध्यापक को अवगत कराया गया । साथ ही साथ बचपना से घटनाएं घटने की जानकारी देते हुए शिक्षकों से अपेक्षा की कि वे एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते तृतीय लिंग समुदाय के बच्चों को शिक्षा में आगे बढ़ने एवं उन्हें सुरक्षा प्रदान कर अनुकूल वातावरण प्रदान करने की बात कही उसके पश्चात देव जी एवं गोविंद जी ने भी अपने अनुभव शेयरिंग किए ,छात्र अध्यापकों ने जिज्ञासा एवं बड़े ही उत्साह से कार्यशाला में भाग लिया गया । अंत में किन्नर सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा बहुत ही सुंदर एवं सुपाच्य भोजन कराया गया सभी ने उनके सुपाच्य भोजन की व्यवस्था को सराहा गया और धन्यवाद ज्ञापित किया गया । कार्यशाला में एम एड के छात्र अध्यापक धर्मेंद्र कुमार श्रवण, रंतिकुमार पांडे डॉक्टर गोपा शर्मा ,स्मृति दुबे उदय राम वर्मा , होम लाल देवांगन ,सीमा शर्मा ,लक्ष्मी श्याम , नीता साहू, ज्योति तारम , कीर्ति साहू, साकेत कतलम,तामेश्वर जांगड़े एवं सभी एम एड छात्र अध्यापक गण उपस्थिति प्रदान करते हुए कार्यक्रम को सुशोभित करने में प्रमुख योगदान दिये।