शासकीय शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय रायपुर में आयोजित वार्षिक उत्सव समारोह में मधुरम सदन का शानदार प्रदर्शन सराहनीय
शासकीय शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय शंकर नगर रायपुर के प्राचार्य महोदया एवं कार्यक्रम के संरक्षक श्रीमती जे.एक्का (संयुक्त संचालक संवर्ग) एवं महाविद्यालय के प्रध्यापकगणों के संयोजकत्व में कार्यक्रम के मुख्य अतिथि परम सम्माननीय डॉ.प्रेमसाय टेकाम स्कूल शिक्षामंत्री, आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास पिछड़ा वर्ग अल्पसंख्यक विकास एवं सहकारिता मंत्री छत्तीसगढ़ शासन , समारोह की अध्यक्षता आई.ए.एस. राजेश राणा संचालक राज्य शैक्षिक एवं अनुसंधान परिषद रायपुर एवं अन्य विशिष्ट अतिथि प्रबुद्धजनों के सानिध्य में कार्यक्रम संपन्न हुआ ..।
दो दिवसीय वार्षिक उत्सव के भव्य आयोजन समारोह में बी. एड. एवं एम.एड. के छात्र अध्यापकों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लेकर अपने प्रतिभाओं को संवारने में सफल रहें..। समस्त छात्र अध्यापकों को चार सदन सत्यम ,शिवम, सुंदरम एवं मधुरम सदन में विभाजित किया गया। जो कि सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रभारी डॉ. लता मिश्रा एवं सदन प्रभारिओं के अगुवाई में संपन्न हुआ ।
प्रथम दिवस कार्यक्रम की प्रस्तुति प्रथम दिवस 10 अप्रैल 2023 को एकल नृत्य, युगल गायन, सामूहिक नृत्य, एवं एकल अभिनय तथा द्वितीय दिवस 11 अप्रेल 2023 को युगल गायन, प्रहसन, सामुहिक गायन एवं युगल नृत्य प्रस्तुतियां दी । इस तरह से 32 विधाओं में सहभागिता का परिचय देते हुए अपनी प्रतिभाओं को उकेरकर खूब तालियां बटोरी...। सभी कार्यक्रम देखकर मंचासीन अतिथियों के द्वारा सराहा गया ..।
कार्यक्रम का संचालन मधुरम सदन की ओर से धर्मेंद्र कुमार श्रवण एवं श्रीमती मंजू वर्मा ने अपनी भावनाओं को पल्लवित करते हुए सफलीभूत किया गया ।
मधुरम सदन की ओर से एकल नृत्य में कु. पूजा लहरी बी. एड. की छात्रा कृष्ण भक्त मीरा... सांसो की माला.. जैसे शीर्षक लेकर मनमोहक प्रस्तुतियां दी..। युगल गायन में कु. निधि पांडे एवं तुषेन्द्र तरार जी ने 1959 में बनी हिन्दी भाषा फिल्म अनारी के गीत दिल की नजर से... नजरों की दिल से.. गायक मुकेश दा एवं लता मंगेशकर के स्वरों को स्वरबद्ध करने में सफल रहें..।
सामूहिक नृत्य की शानदार एवं नयनाभिराम प्रस्तुति लोगों को शमां बांधकर मंत्रमुग्ध करने में सफल रहे... बी.एड. एवं एम.एड. छात्र अध्यापकों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया जो कि हर -हर गंगे.....गंगा आरती की तर्ज पर यह नृत्य भारत देश की पवित्र नदी गंगा हिंदू धर्म ग्रंथों में मां गंगे, भागीरथी ..जैसे आदि नामों से पुकारे जाते है बुद्धिजीवी प्राणी मानव वैज्ञानिक शोध के अनुसार इनकी महिमा व महिमा का गुणगान एवं बखान करते हैं ..जो बहुत ही सार्थक एवं सही बात है परन्तु, मानवीय क्रियाकलापों के कारण दूसरी ओर मानव समाज इसे गंदा एवं अस्वच्छ करते हैं...। जो कि पर्यावरण को प्रदूषित कर रहे हैं..।
सामूहिक नृत्य की जिन्होंने प्रस्तुति दी उन प्रतिभागियों पूजा लहरी ,उमेश दिवान, संगीता, निधि पांडे, मंजू वर्मा, मीनाक्षी , नलिनी पटेल ,श्रुति, रेणु ,प्रीति , दीपक तोखन , मनमोहन वेद प्रकाश, लव कुश बंजारे, नम्रता देवगन एवं माधुरी आदि कलाकारों ने मंच कुछ सुशोभित करने में कामयाब रहें...।
एकल अभिनय की शानदार प्रस्तुति से दर्शक दीर्घा बंधुओं को अपने कलाओं को उकरते हुए यह बतलाने का प्रयास किया गया कि भारत पुरुष प्रधान देश होते हुए भी महिलाओं की स्थिति सोचनीय व चिंतनीय रही है ऐसे नारी शक्ति की पीड़ा को समझाने का सराहनीय प्रयास श्रीमती टोमिन ठाकुर के द्वारा नारी शिक्षा पर विशेष रूप से केंद्रित माता सावित्रीबाई फुले... शीर्षक लेकर ... देश की प्रथम महिला, समाज सेविका एवं मराठी कवियत्री रही ..उनके जीवन पर घटित हुई घटनाओं को सरोबोर करने का सफल प्रयास किया गया..। श्रोता समाज इनके अभिनय को देखकर चकित हो गये ...। एक नारी का अपमान करना कितना घातक व घोर अन्याय है क्योंकि नारी जग का मूल है नारी से संसार ... नारी जीवन दायिनी , पूजो बारम्बार इसलिए नारी वंदनीय है अर्चनीय है नारी हमारी माता है हमें सम्मान करना चाहिए ..।
मधुरम सदन के साथ ही साथ अन्य सदनों का भी शानदार प्रदर्शन सराहनीय एवं प्रशंसनीय रहा..
द्वितीय दिवस में एकल गायन विधा को लेकर प्रवीण टोप्पो ने कराओके सांग के माध्यम से किशोर कुमार के हू ब हू आवाज़ में नीले नीले अंबर में ...जैसे गीतों को स्वर बद्ध कर लोगों को मोहित कर दिया जो कि 1983 में हिंदी भाषा में फिल्माई गई फिल्म कलाकार के गीत को गाया गया ..।
देश प्रेम की भावनाओं को पल्लवित करते हुए बहुत ही बेहतरीन एकांकी प्रहसन के माध्यम से प्रवीण टोप्पो एवं साथी.. के द्वारा देश के प्रसिद्ध व ख्याति प्राप्त कहानीकार मुंशी प्रेमचंद जी के द्वारा रचित व सृजित अपने पैनी लेखनी से संवारने वाले ऐसे पारंगत चिंतनशील, विचारक एवं संपादक रहे मुंशी प्रेमचंद के कहानी दुनिया के सबसे अनमोल रतन शीर्षक लेकर समाज को जागरूक करने का सराहनीय प्रयास रहा है ..।
इस प्रहसन में प्रमुख नायक दिल फिगार एवं नायिका दिलफरेब है ..। दिलफि़गार अर्थात दिल से घायल व्यक्ति जो एक आशिक प्रेमी हैं ..नायक की भूमिका को प्रवीण टोप्पो के द्वारा निभाया गया जिन्हें महलों की मलिका दिलफरेब दिलफि़गार को कहती है कि- अगर तू मेरा सच्चा प्रेमी है, तो जो दुनिया की सबसे अनमोल चीज लेकर मेरे दरबार में आ।" फिर दिलफि़गार को पहला रतन फाँसी पर चढ़ने वाले कालाचोर की आँखों से टपका हुआ आँसू मिला किंतु दिलफरेब ने वह स्वीकार नहीं किया। वह दूसरा रतन प्रेमी तथा प्रेमिका की चिता की मुट्ठीभर राख लेकर दिलफरेब के दरबार में गया किंतु वह भी सबसे अनमोल रतन नहीं माना गया। सिपाही के खून का वह आखिरी कतरा जो वतन की हिफाजत में गिरे, दुनिया का सबसे अनमोल रतन माना गया। इस कहानी में प्रेमचंद का देशप्रेम साफ झलकता है।
प्रहसन में दिलफरेब की भूमिका में नलिनी पटेल, चोबदार बना अनिल निर्मलकर, कालाचोर के रूप में जयशंकर तिवारी, फकीरी बाबा का दायित्व निभाया बेदराम पटेल,अजनबी का किरदार निभाया पुसउ राम मरावी, काजी के रोल में लवकुश बंजारे, दिलफरेब की दासी बनी लक्ष्मी देवी,खेलते हुए बच्ची के रुप में वोमेश्वरी दिवान, भारतीय सिपाही के रूप में साकेत कतलम सैनिक पुरुषोत्तम दिल्लीवार भीड़ बढ़ाने वाले साथी एवं अन्य साथी की उपस्थिति में प्रहसन दुनिया का सबसे अनमोल रतन का प्रस्तुतिकरण हुआ..।
बेहतरीन सामूहिक गायन..
विश्व की पटल पर देखा जाए असंख्य जीव जंतु एवं प्राणी पदार्थ होते हुए भी मानव की जो दर्जा वसुंधरा मां की कोख में मिला है वह अद्भुत, बेजोड़, अद्वितीय ,अनुपम है.. इसलिए मानव को सिरमौर प्राणी कहा गया है क्योंकि उनके मनोमस्तिष्क में सोचने, समझने, परखने, अवलोकन करने , विचार करने आदि गतिविधियों को यथार्थ रूप में करने की क्षमता है वह अद्भुत है अनुकरणीय है अतुलनीय है की प्रशंसा की जाती है । जब भी विपत्ति या विपदा आती है तो अपने ईष्टदेव की स्तुति करते हैं या खुशी के माहौल में भी अलग-अलग धर्मो में अपने शुभकार्य ,सुख समृद्धि के लिए भजन किया जाता है ..।
ऐसे ही मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की भजन को याद करते हुए.. 1974 में फिल्माया गया परिणय फिल्म की एक गीत जैसे सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को.. इस फिल्म को संगीतबद्ध किया गया जयदेव वर्मा ने.. तथा गीत को सजाया गया शर्मा बंधुओं के द्वारा ..इस भजन के माध्यम से भगवान एवं भक्त के बीच एक गहरा नाता होता है शायद इस विश्वास, श्रद्धा, भक्ति को शब्दों में बयां कर दें, अमूमन जटिल लगता है अपने आराध्य भगवान को प्रसन्न करने के लिए भक्तगण ऐसी स्थिति में भजन की माध्यम से लोगों को संदेश देते हैं जिसे सुख समृद्धि व शांति की प्राप्ति होती है..।
सामूहिक गायन प्रतिभागी रहे हैं.. मनोज कुमार राखी, अनिल दिल्लीवार , नीता साहू ,राजेश्वरी पटेल ,सियाराम साहू ,आनंद पांडे राकेश रजक, प्रतिमा चंद्राकर,पुसउ राम मरावी आदि प्रतिभागियों ने बहुत ही सहजता व शालीनता का परिचय देते हुए गीत को प्रस्तुत किया ..।
मधुरम सदन की अंतिम प्रस्तुति युगल नृत्य जिसमें मीनाक्षी ध्रुवे एवं लोकेश कुमार बेहतरीन तरीके से महाभारत का एक हिस्सा द्रोपदी चीरहरण ...प्रचंड है आरंभ का.. का शीर्षक लेकर लोगो का मन मोह लिया..
महाभारत की कथा का हिस्सा महाभारत द्वापरयुग में भाइयों के मध्य सम्पत्ति के लिए लड़ा गया युद्ध था। एक ओर धृतराष्ट्र और गांधारी के सौ पुत्र कौरव थे वहीं दूसरी ओर पांडु और कुंती तथा माद्री से उत्पन्न पाँच पुत्र पांडव थे। कौरवों का पक्ष अधर्म का था एवं पांडवों का पक्ष धर्म का कहा गया है।
सम्पत्ति के साथ ही यहाँ एक प्रसंग का उल्लेख करना अनिवार्य जान पड़ता है कि कौरवों ने पांडवों को न केवल वनवास भेजा बल्कि उन्हें मारने की भी योजनाएं बनाईं। किन्तु पांडवों का पक्ष धर्म का था एवं धर्म के साथ परमात्मा होते हैं सो वे बचते रहे। पांडवों का महल देखते समय द्रौपदी के दुर्योधन पर उपहास ने उसे उस स्थिति पर ला खड़ा किया जब भरी सभा में गुरुजनों के मध्य पांडवों को छल से चौपड़ (जुए) के खेल में हराया एवं दुर्योधन के आदेशानुसार द्रौपदी को सभा में दुशासन के द्वारा बाल खींचते हुए सभा में लाया गया और चीरहरण की घटना हुई अर्थात तब द्रौपदी द्वारा पिछले जन्म में किये वस्त्र दान से पूर्ण परमेश्वर कविर्देव द्वारा लाज बचाई गई। इसके बाद आरम्भ हुई युद्ध की भूमिका एवं रचा गया इतिहास का सबसे बड़ा महायुद्ध- महाभारत। इस तरह से दोनों कलाकारों के द्वारा बहुत ही सुंदर ढंग से मंचन करने में सफल रहे...।
मधुरम के शानदार प्रस्तुति को सॅंवारने और सजाने में जिनकी अहम भूमिका रही ..सम्मानीय धीरज कुकरेजा जी एवं भूषण रोहित वार के दिशा निर्देशन में कलाकारों को मंच प्रदान करने में सराहनीय योगदान रहा।
महाविद्यालय के प्राचार्य श्रीमती जे.एक्का , सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रभारी डॉ.लता मिश्रा ,श्रीमती अर्चना वर्मा,श्रीमती सीमा अग्रवाल, श्रीमती विजया लक्ष्मी, सदन प्रभारी श्रीमती भावना चौहान , शेफाली मिश्रा, श्रीमती सोनी मैम , शांतनु विश्वास, सतीश कुमार तिवारी , आदरणीय बोदले जी, श्रीमती धारा बेन, चंद्राकर मैम एवं महाविद्यालय के समस्त छात्र अध्यापकगण कार्यक्रम में सभी प्रतिभागियों की हर्षित मन से उनके उपलब्धि पर सराहना व्यक्त करते हुए हार्दिक शुभकामनाएं संप्रेषित किये हैं ..।