हस्ताक्षर साहित्य समिति का मासिक काव्य गोष्ठी संपन्न

हस्ताक्षर साहित्य समिति का मासिक काव्य गोष्ठी संपन्न

हस्ताक्षर साहित्य समिति का मासिक काव्य गोष्ठी संपन्न

हस्ताक्षर साहित्य समिति का मासिक काव्य गोष्ठी संपन्न


दल्ली राजहरा निषाद समाज भवन में हस्ताक्षर साहित्य समिति का मासिक काव्य गोष्ठी संपन्न हुआ। अध्यक्षता जेआर महिलांगे ने किया। कार्यक्रम के प्रथम चरण में वार्षिक कार्य योजना निर्माण पर चर्चा करते हुए समिति के अध्यक्ष श्री संतोष कुमार ठाकुर सरल ने कहा कि आज हस्ताक्षर साहित्य समिति फलों फूलों से लदा वृक्ष बनकर निरंतर समाज को सदविचारों की छाया दे रहा है । समिति द्वारा प्रकाशित वार्षिक पत्रिका ' अरुणिमा ' सबसे पुरानी और महत्वपूर्ण पत्रिकाओं में से एक है ।साहित्य, संस्कृति और समाज की धमनियों को समझने उनकी धड़कनों को आवाज देने और समय को दिशा देने की एक सार्थक समझ और कोशिश का नाम अरुणिमा है। सरिता सिंह गौतम ' मधु ' ने कहा कि अरुणिमा उन मूल्यों और आदर्शों की संवाहक है जो भारतीय संस्कृति को एक पहचान देती है। घनश्याम पारकर ने कहा समय की आवश्यकताओं को समझ कर उनके अनुरूप स्वयं को ढालने और उन आवश्यकताओं की पूर्ति करते हुए समय की शक्तियों को गति देने का एक अविराम संकल्प है ,अरुणिमा ।
         
समिति ने काव्य लेखन व साहित्य के प्रति रुचि रखने वाले युवाओं तथा छात्र-छात्राओं के प्रतिभा को पल्लवित करने के लिए ' बाल साहित्य पुरस्कार' देने की घोषणा की है। अतिशीघ्र ही विभिन्न शैक्षिक संस्थाओं में कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया गया। साथ ही साहित्य के प्रति तत्कालिक समस्याओं पर गहन चिंतन किया गया। हस्ताक्षर साहित्य समिति नगर की एकमात्र पुरानी समिति है,जिसके पास स्वयं का भवन नहीं है।इसके लिए सर्वसम्मति से निर्णय किया गया कि अतिशीघ्र बीएसपी के अधिकारियों से हस्ताक्षर साहित्य समिति को भवन प्रदान करने के लिए पहल की जाएगी।

कार्यक्रम के दूसरे चरण में समिति के कलमकारों द्वारा काव्य पाठ किया। वरिष्ठ साहित्यकार शमीम सिद्धकी ने सामयिक समस्याओं पर आधारित सशक्त काव्य पाठ किए तथा विभिन्न क्षणिकाओ के माध्यम से तात्कालिक राजनीति पर करारा प्रहार किया। आचार्य जी आर महिलांगे ने धीरे-धीरे झूम - झूम के आ बसंत, सुनाकर सभी को झूमने के लिए मजबूर कर दिया। अमित कुमार सिन्हा ने अपनी कविता - मेरे आंगन में जो फूल खिला है यारो मेरी हर सांस में उसकी ही खुशबू होती है। के माध्यम से बेटी के जन्म पर कविता सुना कर वातावरण को सुवाषित कर दिया। कवयित्री सरिता सिंह गौतम ने दर्द जब हद से गुज़र जाए तो, ज़हर रग-रग में उतर जाए तो कद्र होगी तेरी अदाओं की,तू ग़ज़ल बन के संवर जाए तो मनमोहक ग़ज़ल सुना कर सबका मन मोह लिया।हास्य कवि और व्यंग्यकार घनश्याम पाकर ने तोतो के शवों देखकर कैसे लगायें अनुमान । 

कौन है हिन्दू और कौन है मुसलमान*।। सुनाकर संपूर्ण मानव समाज को एकता के सूत्र में बांधने का प्रयास किया। वीर रस के साहित्यकार अमित प्रखर ने अपनी कविता के माध्यम से स्पष्ट किया कि दीपक साहस का प्रतीक है,ऊर्जा का प्रतीक है। सकारात्मक सोच की कविता से वाहवाही बटोरी। युवा साहित्यकार तामसिंह पारकर ने सामाजिक तथा पारिवारिक संबंधों में जो विकार हैं उसे अपनी कविता में उकेरा तथा उससे बचने का संदेश दिया। उनकी कविता कुछ इस प्रकार है निचट शराबी अ ऊ जुआरी, बाप रहे ना भाई उभरते कलमकार मनोज पाटिल ने बहुत ही सुंदर काव्य पाठ कर वाहवाही लूटी। अंत में समिति के अध्यक्ष श्री संतोष कुमार ठाकुर ने अपनी रचना में उजड़ते दल्ली राजहरा की विशेषताओं का वर्णन करते हुए उसे बचाने का आवाहन किया उनकी रचना इस प्रकार है हमर दल्ली राजहरा हा उजरत है काबर, इहु ला गुनव तुमन, हक देव बरोबर सुनाकर कार्यक्रम के समापन की घोषणा की। कार्यक्रम का संचालन अमित प्रखर एवं आभार प्रकट अमित कुमार सिन्हा ने किया।

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