पूँजीवादी व्यवस्था से ही बढ रही आम जनता की परेशानियां : सीटू
अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के अवसर पर लौह नगरी दल्ली राजहरा में हिंदुस्तान स्टील एंप्लाइज यूनियन सीटू द्वारा धूमधाम से मई दिवस मनाया गया। यूनियन के तयशुदा कार्यक्रम के अनुसार सुबह 5:30 बजे माइन्स ऑफिस गेट के पास ध्वजारोहण करने के पश्चात यूनियन कार्यालय में झंडा फहराया गया ।दि्वतीय चरण के कार्यक्रम में शाम 5:00 बजे सैकड़ों की तादाद में मजदूरों ने विशाल रैली निकाली। यह रैली माइंस ऑफिस चौक से बाजार और टाउनशिप का भ्रमण कर यूनियन कार्यालय में आम सभा के रूप में तब्दील हुई। रैली में भाग ले रहे श्रमिकों ने भारी जोश और उत्साह के साथ श्रम संशोधनों को वापस लेने, केंद्र सरकार की आर्थिक नीति के विरोध, और प्रबंधन द्वारा ठेका मजदूरों के शोषण के खिलाफ जमकर नारेबाजी की । आम सभा में उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए यूनियन के अध्यक्ष पुरुषोत्तम सिमैया ने कहा कि आज से 137 साल पहले अमेरिका के शिकागो शहर के हे मार्केट में हुई घटना के बाद ही पूरी दुनिया के अंदर मजदूर वर्ग संगठित हुआ और यूनियनों का निर्माण हुआ । ट्रेड यूनियनों के लंबे संघर्षों के परिणाम स्वरूप मजदूरों ने जीवन जीने लायक हक को हासिल किया । आज से सैकड़ों साल पहले मजदूरों के लिए न तो कोई कानून था ना तो कोई सुविधाएं थी । मजदूरों ने उस समय सिर्फ काम के घंटों को लेकर अपनी आवाज बुलंद की थी जो मालिकों और पूंजीवादी सरकारों को नागवार गुजरी और उन्होंने निहत्थे मजदूरों पर गोलियां चलाई। जिसके परिणाम स्वरूप लाल झंडे का निर्माण हुआ। यही लाल झुंड झंडा आज पूरी दुनिया में मजदूर आंदोलन का प्रतीक है। यूनियन के सचिव प्रकाश सिंह क्षत्रिय ने कहा कि यदि किसी देश की व्यवस्था खराब हो तो वह देश कभी तरक्की नहीं कर सकता । इतिहास गवाह है कि जिन देशों में समाजवादी व्यवस्था रही है उन देशों में पूंजीवादी व्यवस्था से ज्यादा तरक्की की और वहां मानव कल्याण को पहली प्राथमिकता में रखा गया। मसलन सोवियत रूस, चाइना, क्यूबा जैसे देशों में भौतिक तरक्की के साथ आम जनता को बेहतर जीवन देने की दिशा में सबसे ज्यादा सकारात्मक काम किए गए हैं, और इन देशों ने आज इतनी तरक्की कर ली अमेरिका जैसे शक्तिशाली देशों को टक्कर दे रहे हैं । हमारे देश की पूंजीवादी व्यवस्था में आम जनता के हितों को तिलांजलि देते हुए भ्रष्ट राजनीतिक दलों ने सिर्फ देश को लूटने का काम किया है, और इनकी इस लूट में सबसे ज्यादा देश का किसान, मजदूर, नौजवान परेशान है । कमोबेश ऐसा ही बदलाव हमें देश के ट्रेड यूनियन आन्दोलन में देखने को मिला है। अब देश के अधिकांश ट्रेड यूनियनें वर्ग संघर्ष के रास्ते छोड़कर वर्ग सहयोग के रास्ते पर चलने लगी, जिसके कारण मजदूरों के वर्षों से हासिल हक को बचा पाना भी मुश्किल होते जा रहा है। इसके लिए हम सेल प्रबंधन के रवैया स्पष्ट रूप से देख सकते हैं जहां पहली बार एनजेसीएस में बहुमत के आधार पर वेज रिवीजन कर कर्मचारियों को नुकसान पहुंचाया गया । इस समझौते को वर्ग सहयोग की भावना पर चलने वाली ट्रेड यूनियनों ने समर्थन किया, और वर्ग संघर्ष के रास्ते पर चलने वाली सीटू ने इसका पुरजोर विरोध किया । लेकिन जब कर्मचारी इस बात को नहीं समझते तब तक अपने किसी भी हक को पचा पाना काफी मुश्किल है। उन्होंने आह्वान किया अब समय आ गया है, कि देश के तमाम नियमित कर्मचारी, ठेका मजदूर किसान, छात्र, नौजवान सब मिलकर सरकार की जनविरोधी नीतियों का विरोध करें । एकता में ही ताकत है। किसानों के आंदोलन का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि किस तरह किसानों ने एकता के बल पर तीन काले कानून वापस करवाए। उसी तरह अब देश के मजदूर किसानों को एक साथ होकर सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ बड़ी लड़ाई लड़नी होगी, मई दिवस का यही संदेश है । यूनियन के कार्यकारी अध्यक्ष ज्ञानेंद्र सिंह ने उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि आज से 137 साल पहले जिस परिवेश में मई दिवस मनाने की शुरुआत हुई उस समय की परिस्थितियों और अभी की परिस्थितियों में अंतर तो आया है लेकिन जिस सपने को लेकर समाजवादी देशों ने इस दिवस को बनाने की शुरुआत की थी वह सपना आज भी अधूरा है । पूरी दुनिया के अंदर में सोवियत रूस समाप्त होने के बाद सर्वहारा वर्ग की कठिनाइयां लगातार बढ़ती जा रही है पूंजीपतियों के मुनाफा कमाने की हवस में आम जनता का जीवन स्तर गिरते जा रहा है। हमारे देश में चल रही वर्तमान केंद्र सरकार देश के दो बड़े पूंजीपतियों के इशारे पर संचालित है , देश की तमाम सार्वजनिक व्यवस्थाओं को जो सरकार के नियंत्रण में है उन्हें बेच कर इन पूंजी पतियों के हवाले किया जा रहा है । और आम जनता के लिए कठिनाइयां पैदा की जा रही है । सरकार उद्योगपतियों के हित में किसानों के खिलाफ, मजदूरों के खिलाफ, नौजवानों के खिलाफ, लगातार कानून बनाने का काम कर रही है। अपने बहुमत के दम पर सरकार आम जनता के विरुद्ध तमाम नीतियां थोप रही है, और आम जनता को गुमराह करने के लिए देश में बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक खेल जारी है। इस सांप्रदायिक खेल के चलते समाज में जो विभाजन हो रहा है उसका सबसे बड़ा नुकसान आम जनता ही उठा रही है। बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, महंगी शिक्षा, जैसी समस्याएं विकराल रूप लेते जा रही है। इसलिए हमको हमारी चेतना को दुरुस्त करना होगा, और इन तमाम भ्रम की स्थितियों से बाहर निकलते हुए आम जनता को एकताबद्ध होकर सरकारों की पूंजीपरस्त नीतियों के खिलाफ संघर्ष के मैदान में आना होगा । आज सेल मैनेजमेंट भी सरकार की नीतियों से प्रभावित है और सरकार के इशारे पर ही सेल के अंदर भी मजदूरों का शोषण जारी है, इस शोषण के खिलाफ संघर्ष के लिए मजदूरों ने जिन ट्रेड यूनियनों पर भरोसा जताया उन्होंने भी वर्ग सहयोग की नीति अपनाते हुए कर्मचारियों के साथ छलावा किया है। इसलिए सेल में कार्यरत नियमित एवं ठेका मजदूरों को इस बात को समझना होगा कि हमारी लड़ाई केवल मैनेजमेंट से नहीं है, बल्कि इसके साथ केंद्र की नीतियों से संघर्ष किए बगैर उन्हें पीछे धकेले बगैर हमें हमारे अधिकारों को हासिल कर पाना संभव नहीं होगा । इसलिए सेल के तमाम नियमित एवं ठेका मजदूरों को एक साथ मिलकर आधे- अधूरे वेतन समझौते को पूरा करने के लिए, ठेका मजदूरों की वेतन वृद्धि के लिए, और सेल को निजीकरण से बचाने के लिए, ग्रेच्युटी पर लगी सीलिंग को हटाने के लिए, एक साथ आकर मैनेजमेंट और सरकार के खिलाफ संघर्ष के लिए आज मजदूर दिवस के अवसर पर संकल्प लेना होगा, तभी मई दिवस को मनाने का उद्देश्य पूरा होगा। यूनियन के उपाध्यक्ष विनोद मिश्रा ने श्रमिकों को एकता बंद होकर सरकार और प्रबंधन के खिलाफ लड़ाई को तेज करने के आह्वान के साथ उन्होंने सभा का समापन किया इस अवसर पर यूनियन के तमाम पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता जे गुरुवुलु, चार्ली वर्गिस, सुजीत मंडल, विजय शर्मा,संतोष बंजारे, एहसान अली, प्रशांत त्रिवेदी, अजय चौबे, गंगाधर साहू ,अमरजीत यादव,पीके चापके, आलोक श्रीवास्तव, शशि, इंद्र दमन ठाकुर, विद्या शंकर सिंह, विजय देवांगन ,सुनील, नकुल, आसाराम, संतोष, गिरीश सिंह, भोजराम, यशवंत सिंह, रोहित साहू समेत सैकड़ों की तादाद में लोग उपस्थित रहे ।