ख़राब रिजल्ट के चलते 2 छात्रों ने फांसी लगाकर की आत्महत्या

ख़राब रिजल्ट के चलते 2 छात्रों ने फांसी लगाकर की आत्महत्या

ख़राब रिजल्ट के चलते 2 छात्रों ने फांसी लगाकर की आत्महत्या

ख़राब रिजल्ट के चलते 2 छात्रों ने फांसी लगाकर की आत्महत्या



शुक्रवार को सीबीएसई बोर्ड के नतीजे घोषित किए गए। इससे दो दिन पहले माध्यमिक शिक्षा मंडल के बोर्ड परीक्षा के रिजल्ट घोषित किए गए थे। जिसमे कई छात्र-छात्राओं ने बेहतर स्कोर किया तो कुछ नाकाम भी रहे। हर बार की तरह इस बार भी नाकाम छात्रों द्वारा निराश होकर मौत को गले लगाने के मामले सामने आ रहे हैं ।

बिलासपुर में भी ऐसे ही एक छात्र ने फांसी लगाकर जान दे दी। 10वीं के छात्र ने सप्लीमेंट्री आने पर खुदकुशी कर ली, इधर दुर्ग में भी 12वीं की छात्रा ने फेल होने पर आत्महत्या की है।

सिरगिट्टी के महिमा नगर निवासी शंकर लाल कौशिक पेशे से प्लंबर है। उनका छोटा बेटा तरुण कौशिक संतोष सिंह मेमोरियल स्कूल में दसवीं कक्षा का छात्र था। 2 दिन पहले ही छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल ने दसवीं और बारहवीं बोर्ड परीक्षा घोषित किये थे, जिसमें तरुण गणित और अंग्रेजी में सप्लीमेंट्री आ गया था। इस वजह से वह काफी तनाव में था। मां और पिता ने समझाया कि कोई बात नहीं सप्लीमेंट्री परीक्षा में वह पास हो जाएगा, लेकिन उसने यह बात दिल में लगा ली। शुक्रवार को फांसी के फंदे पर लटकी उसकी लाश मिली। इस दौरान उसने अपने कान में इयरफोन लगा रखा था। पुलिस अनुमान लगा रही है कि आत्महत्या के दौरान वह किसी से बात कर रहा था।

इधर दुर्ग में भी 12वीं की छात्रा ने खुदकुशी की है। एम जी एम स्कूल में 12वीं की छात्रा उपासना वर्मा 17 वर्ष ने फेल होने पर खुदकुशी कर ली। उपासना ने कॉमर्स विषय में 12वीं कक्षा की परीक्षा दी थी। शुक्रवार को सीबीएससी का रिजल्ट आया था और छात्रा तीन विषय में फेल हो गयी थी, जिसके बाद उसने हिम्मत हार दिया। घर के मेन डोर का दरवाजा बंद कर दुपट्टे से फंदा बनाकर वह फांसी पर झूल गई।

अब इन नादान छात्र-छात्राओं को कौन समझाए कि 10वीं और 12वीं के परिणाम ही सब कुछ नहीं है । 10वीं और 12वीं बोर्ड के रिजल्ट जिंदगी में केवल जन्म प्रमाण पत्र और आधार कार्ड बनवाने के ही काम आते हैं, जबकि इस जीवन में असली संघर्ष तो खुद की बौद्धिक क्षमता और स्किल्स से ही उत्पन्न होती है । परीक्षा परिणाम केवल कुछ प्रश्नों के उत्तर याद करने पर निर्भर होते हैं। यह आपकी बौद्धिक क्षमता नहीं बल्कि स्मृति क्षमता पर निर्भर है, जिसके लिए मौत को गले लगाना कोई समाधान नहीं है।

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