आज के ही दिन हुआ था भारत के महान क्रांतिकारी, स्वतंत्रता सेनानी, राष्ट्रवादी नेता विनायक दामोदर सावरकर का जन्म
प्रकाशक ने इसे गुप्त रूप से पेरिस भेजा। वहाँ भी ब्रिटिश गुप्तचर विभाग ने इसे छपने नहीं दिया। अन्ततः 1909 में हालैण्ड से यह प्रकाशित हुआ। यह आज भी 1857 के स्वाधीनता समर का सर्वाधिक विश्वसनीय ग्रन्थ है।1911 में उन्हें एक और आजन्म कारावास की सजा सुनाकर कालेपानी भेज दिया गया। इस प्रकार उन्हें दो जन्मों का कारावास मिला। वहाँ इनके बड़े भाई गणेश सावरकर भी बन्द थे। जेल में इन पर घोर अत्याचार किये गये। कोल्हू में जुतकर तेल निकालना, नारियल कूटना, कोड़ों की मार, भूखे-प्यासे रखना, कई दिन तक लगातार खड़े रखना, हथकड़ी और बेड़ी में जकड़ना जैसी यातनाएँ इन्हें हर दिन ही झेलनी पड़ती थीं।
1921 में उन्हें अन्दमान से रत्नागिरी भेजा गया। 1937 में वे वहाँ से भी मुक्त कर दिये गये; पर सुभाषचन्द्र बोस के साथ मिलकर वे क्रान्ति की योजना में लगे रहे। 1947 में स्वतन्त्रता के बाद उन्हें गांधी हत्या के झूठे मुकदमे में फँसाया गया; पर वे निर्दोष सिद्ध हुए। वे राजनीति के हिन्दूकरण तथा हिन्दुओं के सैनिकीकरण के प्रबल पक्षधर थे। स्वास्थ्य बहुत बिगड़ जाने पर वीर सावरकर ने प्रायोपवेशन द्वारा 26 फरवरी, 1966 को देह त्याग दी।
महान क्रांतिकारी विनायक दामोदर सावरकर जी की जयंतीपर हुतात्मा को शत शत नमन..कोटि कोटि वंदन...