पदोन्नति में आरक्षण नहीं दिया तो होगा बड़ा आंदोलन, अनुसूचित जाति- जनजाति के 2 लाख कर्मियों ने मांगा पदोन्नति में आरक्षण

पदोन्नति में आरक्षण नहीं दिया तो होगा बड़ा आंदोलन, अनुसूचित जाति- जनजाति के 2 लाख कर्मियों ने मांगा पदोन्नति में आरक्षण

पदोन्नति में आरक्षण नहीं दिया तो होगा बड़ा आंदोलन, अनुसूचित जाति- जनजाति के 2 लाख कर्मियों ने मांगा पदोन्नति में आरक्षण

पदोन्नति में आरक्षण नहीं दिया तो होगा बड़ा आंदोलन, अनुसूचित जाति- जनजाति के 2 लाख कर्मियों ने मांगा पदोन्नति में आरक्षण


रायपुर:- छत्तीसगढ़ के अनुसूचित जाति अधिकारी / कर्मचारी संघ, अनुसूचित जनजाति शासकीय सेवक संघ, सोजलिफ गेवा एवं अन्य संगठनों के संयुक्त मोर्चा के बैनर तले यह प्रेस कांफ्रेंस आयोजित की जा रही है।

जैसे कि विदित है कि, दिनांक 04/02/2019 माननीय छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने छत्तीसगढ़ में जारी पदोन्नति नियम की कंडिका-5 को अपास्त कर दिया था, जिससे छत्तीसगढ़ में पदोन्नतियों पर रोक लग गई थी फिर छत्तीसगढ़ सरकार ने सितम्बर 2018 को एक अध्यादेश जारी कर पदोन्नति में अनुसूचित जाति को 13 प्रतिशत एवं अनुसूचित जानजातियों को 32 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान कर दिया था, जिसे पुनः कुछ याचिकर्ताओं के द्वारा माननीय न्यायालय में जाने पर 09/12/2019 को एम. नागराज केस के शर्तों का पालन नहीं किया गया है. यह कहते हुए पुनः उस पर रोक लगाते हुए पदोन्नति में आरक्षण बंद हो गया तब से विगत तीन वर्षों से छत्तीसगढ़ में पदोन्नति में आरक्षण पर रोक लगी हुई है, • परंतु कुछ संगठनों द्वारा माननीय उच्च न्यायालय में अपील करने पर माननीय उच्च न्यायालय ने वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति अंतिम निर्णय तक जारी रखने के लिए कहा। तब से छत्तीसगढ़ में जो भी पदोन्नतियां जारी हो रही है, उसमें अनुसूचित जाति एवं जनजातियों को बहुत से पदों को सामान्य वर्गों से भरने का खेल चल रहा है। इस सम्बंध में कई बार जनप्रतिनिधियों से मुलाकात की गई एवं मुख्यमंत्री पर जब संगठनों को भारी दबाव आया तब उन्होंने पिंगुआ कमेटी गठित कर दी जिसने अपनी रिपोर्ट करीब 2 वर्षों बाद राज्य शासन को सॉपी जिस पर अभी तक माननीय उच्च न्यायालय से कोई भी अंतिम निर्णय नहीं हो पाया। इसी बीच दिनांक 19/09/2022 को माननीय उच्च न्यायालय ने एक अंतिम निर्णय में आरक्षण नियम 2012 को असंवैधानिक बताते हुए निरस्त कर दिया उसके बाद से ही छत्तीसगढ़ में नियुक्ति एवं पदोन्नति से आरक्षण पूरी तरह से खत्म हो गया, इस बीच संगठनों एवं मंत्रियों, जनप्रतिनिधियों के दबाव में राज्य शासन ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर नये आरक्षण नियम जिसमें 32 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति, 27 प्रतिशत पिछड़ा वर्ग, 13 प्रतिशत अनुसूचित जाति एवं 4 प्रतिशत ई.डब्ल्यू.एस. आरक्षण पास कर माननीय राज्यपाल छत्तीसगढ़ को भेजा गया, जो अब तक राजभवन, छत्तीसगढ़ में लंबित है, इस बीच विभिन्न संगठनों एवं

राज्य सरकार ने माननीय उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ के आदेश दिनांक 19/09/2022 के विरूद्ध माननीय उच्चतम न्यायालय में अपील किया जिस पर माननीय उच्चतम न्यायालय ने अंतरिम आदेश दिनांक 01/05/2023 को पारित कर यह राहत दी कि अंतिम निर्णय होने तक छत्तीसगढ़ में नियुक्तियों एवं पदोन्नतियों में 58 प्रतिशत के अनुसार आरक्षण जारी रहेगा, जिसके पश्चात् राज्य शासन के सामान्य प्रशासन विभाग ने भी दिनांक 03/05/23 को आदेश पारित कर नियुक्तियों एवं पदोन्नतियों में आरक्षण को छत्तीसगढ़ शासन के समस्त विभागों में लागू करने को कहा।

परन्तु अत्यंत रोष एवं पीड़ा के साथ यह कहना पड़ रहा है कि माननीय उच्चतम न्यायालय एवं राज्य शासन के सामान्य प्रशासन विभाग के स्पष्ट आदेशों के बाद भी पॉवर कंपनीज एवं शासन के अन्य विभागों में दिनांक 03/05/2023 के बाद जो पदोन्नति आदेश प्रसारित किये जा रहे है, उसमें माननीय उच्चतम न्यायालय एवं राज्य शासन के आदेशों की अवहेलना एवं दरकिनार करते हुए बिना आरक्षण के ही पदोन्नति आदेश प्रसारित किये जा रहे है। यह समझ से परे है कि इतने सालों से पदोन्नतिओं में आरक्षण न देने के बाद जब आज यह राहत मिली है तो इन वर्गों के हित एवं अधिकार को छिना जा रहा है, जिससे इन वर्गों के 45 प्रतिशत लोगों में भारी रोष व्याप्त है।

आज प्रेस कांफ्रेस के बाद सभी तथ्यों को सामने रखने पर भी अगर राज्य शासन ने पदोन्नति में आरक्षण को लागू करने के निर्देश विभिन्न विभागों को नहीं दिये एवं पुराने आदेशों जो दिनांक 03/05/2023 के बाद प्रसारित किये गए है, उनके निरस्त कर दोषी अधिकारियों के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही नही की गई तो छत्तीसगढ़ में वृहद जन आंदोलन किया जायेगा एवं जिसकी जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी।

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