हस्ताक्षर साहित्य समिति की मासिक रूप से होने वाली कविगोष्ठी 17 जून शनिवार को निषाद भवन में निर्विघ्न रूप से सम्पन्न

हस्ताक्षर साहित्य समिति की मासिक रूप से होने वाली कविगोष्ठी 17 जून शनिवार को निषाद भवन में निर्विघ्न रूप से सम्पन्न

हस्ताक्षर साहित्य समिति की मासिक रूप से होने वाली कविगोष्ठी 17 जून शनिवार को निषाद भवन में निर्विघ्न रूप से सम्पन्न

हस्ताक्षर साहित्य समिति की मासिक रूप से होने वाली कविगोष्ठी 17 जून शनिवार को निषाद भवन में निर्विघ्न रूप से सम्पन्न 


नारी की निर्मम हत्या की गाथा लिख दूं,
सत्य लिखूं क्या ?सत्ता की परिभाषा लिख दूं।

दल्लीराजहरा 18 जून।नगर की ख्यातिलब्ध साहित्य संस्था हस्ताक्षर साहित्य समिति की मासिक रूप से होने वाली कविगोष्ठी 17 जून शनिवार को निषाद भवन में निर्विघ्न रूप से सम्पन्न हुआ।स्थानीय कवियों ने आज के परिवेश में रंग बदलती दुनियां की सच्चाई को अपनी रचनाओं के माध्यम से उकेरा, साथ ही हर व्यक्ति आज के दौर में इस कदर स्वार्थी हो गया है कि ईमान ढूंढते रह जाओगे,की ओर इशारा किया।
          
हस्ताक्षर साहित्य समिति नगर के लिए कोई नया नाम नही है।इस संस्था से जुड़े साहित्य साधक नियमित रूप से साहित्य के क्षेत्र में अपना योगदान दे रहे है।संस्था की गौरव रूपी इतिहास एवं परंपरा को कायम रखने के उद्देश्य से काव्यगोष्ठी एवं अन्य साहित्यिक गतिविधि समय समय आयोजित किये जाते रहे है।17 जून शनिवार को आयोजित कविगोष्ठी की शुरुआत में युवाकविकाव्य गोष्ठी में आनन्द बोरकर ने देशप्रेम की परिभाषा को परिमार्जित करते हुए अपनी रचना के माध्यम से कुछ इस तरह रखे- मैं इश्क की स्याही से
लिखता हूं,तभी तो
मैं जिंदाबाद नहीं,
इंकलाब कहता हूं।
          
कवयित्री शोभा बेंजामिन ने देश मे हो रही अकारण नारियों की निर्मम हत्या को लेकर सत्ता सरकार को सवालों के कटघरे में खड़ा किया।रचना की बानगी देखिये -
आज लिखने का मन में विचार आया,
सब कुछ लिख दूं
नारी की निर्मम हत्या की
गाथा लिख दूं,
सत्य लिखूं क्या ?सत्ता की परिभाषा लिख दूं।
संतोष ठाकुर "सरल" ने अपनी रचना- *मीत मन से मन मिला ले,और स्वर से स्वर मिला,
हम कभी तो यूं मिलें जब, तू नज़र से नज़र मिला। के जरिये वाहवाही बटोरी।
शमीम अहमद शिद्दिकी ने अपने जाने पहचाने अंदाज में अपनी रचनाओं का पठन किया।रचना कुछ इस तरह से कांच की एक मंजूषा में बंद हो गए,
खोखले यहां कितने संबंध हो गए,
सिसकियों की आंच से जो पिघले नहीं,
पत्थरों से मोम के संबंध हो गए...

सरिता गौतम "मधु" ने वर्तमान में इंसानों के पतन पर अपनी सशक्त रचना के जरिये वाहवाही बटोरी साथ ही सभी के समक्ष यक्ष प्रश्न रख दिया।रचना की पंक्तियों की बानगी इस तरह से-
आज का दौर है बनावट का,
ढूंढें से सादगी नहीं मिलती
ज़िंदगी आन है,ईमान है 'मधु'
ऐसी दीवानगी नहीं मिलती।

कवयित्री राजेश्वरी ठाकुर की रचना कुछ इस तरह से - शिशु के जन्म पर माता पिता की भावना को व्यक्त करती हुई-
माता पिता के सपने जन्म लेते हैं जब, नन्हें आशाओं के क़दम बढ चलते हैं तब!
कामता प्रसाद देशलहरा ने अपनी छत्तीसगढ़ी रचना के माध्यम से प्रेम का रसास्वादन कराया।

जिनगी के साथी बना लेते मोला तैं
तोर संग म जिनगी पहा लेतैव न

 टी एस पारकर ने भी छत्तीसगढ़ी रचना के जरिये मिलजुलकर रहने और बिगड़े काम कैसे बनेंगे उससे उत्प्रेरित रचना का पठन किया।रचना की चंद पंक्तियां कुछ ऐसे 
कहिथे हमर पारकर,राखव पोठ समाज साहित सेवा संग म,बनही जम्मो काज।
अमित सिन्हा ने अपनी रचना चल,चलो,चले चलो,दिया एक जलाओ ना के माध्यम से उपस्थित लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा।
अमित प्रखर ने आज के परिवेश एवं आपाधापी जीवन पर प्रश्न उछालते हुए अपनी रचना पेश की 
मेरा एक प्रश्न है आपसे,आपसे और आपसे,
क्या सचमुच हम जिंदा है।
आचार्य जे. आर. मंहिलांगे के गोष्ठी में व्यक्तित्व विकास पर जोर दिया।रचना की पंक्तियां इस तरह से-
 व्यक्तित्व विकास का आधार है,अपनी धारणाओं का सुधार है,
क्षमताओं पर विश्वास करें,आत्म सम्मान में शक्ति अपार है
शिरोमणि माथुर ने मृत्यु और आत्मा के गठबंधन के शास्वत सत्य को स्वीकार कर मृत्यु का स्वागत कैसे करें पर अपनी रचना के माध्यम से आगाह किया कि इस संसार का हर प्राणी को मृत्यु से सामना करना है।फिर भला ऐसे क्षण से क्या घबराना। श्रीमती माथुर द्वारा प्रस्तुत रचना ने तालियां बटोरी-

हे मृत्यु! तुम्हारा स्वागत है,पग,पग पर अभिनंदन है,
हम गले लगाने उत्सुक हैं,करते हर पल वदंन है
यह शाश्वत खेल नियति का है,आत्मा शरीर का बंधन..

घनश्याम पारकर ने वाह वाह रे शीशी के दारू,छठ्ठी होय चाहे मरनी,सब पिये बर होवथे उतारू पढ़ी,और नशा के घातक परिणाम पर कविता के माध्यम सेसंदेश दिया।
मनोज पाटिल ने दुआ घर लेके आऊंगा,के माध्यम से नक्सली मूठभेंठ में शहीद हुए पुत्र की बहु की अनुकम्पा नियुक्ति के बाद उसके द्वारा सताये जाने पर बुजुर्ग दंपति द्वारा सब्जी बेचने को लेकर मार्मिक चित्रण किया ।
कार्यक्रम का सफल संचालन अमित प्रखर द्वारा और धन्यवाद ज्ञापन मनोज पाटिल ने किया।

शिरोमणि माथुर कोआध्यात्म पर डी लिट्
हस्ताक्षर साहित्य समिति से श्रीमती शिरोमणि माथुर लंबे समय से जुड़ी हुई है।उनकी साहित्य साधना से हर कोई वाकिफ़ है।श्रीमती माथुर ने अपनी प्रतिभा और लेखनी के दम पर साहित्य प्रेमियों को अचंभित करती रही है।यूं तो उन्होंने अनेक पुस्तकें अलग अलग विषयो पर लिखी है।गत वर्ष उनके द्वारा अध्यात्म पर आधारित अर्पण नामक पुस्तक लिखी गई थी।आध्यात्म पर प्रकाशित उस पुस्तक में तथ्यात्मक ढंग से व्याख्या की गई थी।पिछले दिनों श्रीमति माथुर की पुस्तक में शामिल सामग्री के आधार पर मन और शरीर की रहस्यमयी इन्द्रियां, आध्यात्मिक और ज्योतिष संस्था द्वारा श्रीमती शिरोमणि माथुर को डि लिट् की उपाधि प्रदान की गई। कविगोष्ठी स्थल पर श्रीमती माथुर को इस उपलब्धि के लिए सदस्यों ने बधाई दी तथा करतल ध्वनि से स्वागत किया।

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