मरणोपरांत नेत्रदान के लिए आगे आया संचेती परिवार

मरणोपरांत नेत्रदान के लिए आगे आया संचेती परिवार

मरणोपरांत नेत्रदान के लिए आगे आया संचेती परिवार

मरणोपरांत नेत्रदान के लिए आगे आया संचेती परिवार

                   

जीते जी रक्तदान और मरणोपरांत नेत्रदान सच्ची मानव सेवा है. ऐसा ही कुछ हुआ कोंडागाँव में जब कोंडागाँव के धर्मनिष्ठ सुश्रावक श्री पारसमल जी संचेती की धर्मसहायिका श्रीमती बक्सू बाई संचेती का आज मंगलवार प्रातः आकस्मिक निधन हो जाने पर संचेती परिवार द्वारा नेत्र दान कराया गया।
                            


श्रीमती बक्सू बाई का कुछ महीनों की अस्वस्थता के पश्चात आज प्रातः ज़िला अस्पताल में निधन हो गया था। जीवित रहते उन्होंने एक बार नेत्रदान की प्रबल इच्छा जताई थी।दो अंध आँखों को नई रोशनी मिले,इस नेक उद्देश्य से जैन श्री संघ के पदाधिकारियों और सदस्यों द्वारा उनकी नेत्रदान की भावना की याद दिलाये जाने और प्रेरणा दिये जाने पर संचेती परिवार ने अपनी स्वीकृति दे दी। इसके बाद ज़िला अस्पताल की ओर से नेत्र सहायक अधिकारी अनिल वैध,अशोक कश्यप और फागुराम मंडावी की टीम ने अविलंब आकर नेत्र दान की प्रक्रिया को पूर्ण कराया।नेत्रदान की प्रक्रिया को पूर्ण करने आये डाक्टरों ने बताया कि नेत्रदान की प्रक्रिया जल्दी संपन्न हो जाती है,ज़रुरत केवल जागरूकता की है।उन्होंने कहा कि अंधविश्वास के कारण लोग आगे नहीं आते जबकि यह सच्ची सेवा है।
                     

इस दौरान जैन समाज के वर्तमान पदाधिकारी,वरिष्ठ सदस्य एवं संचेती परिवार के सभी सदस्य उपस्थित थे।सभी ने नेत्रदान कराने में सहयोग करने पर संचेती परिवार का आभार व्यक्त किया।



श्री ओम गोलछा जी की खबर 

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