डॉ. प्रतीक उमरे द्वारा विश्व बाल श्रम निषेध दिवस पर बाल श्रमिक को रोकने हेतु जागरूकता अभियान चलाया गया

डॉ. प्रतीक उमरे द्वारा विश्व बाल श्रम निषेध दिवस पर बाल श्रमिक को रोकने हेतु जागरूकता अभियान चलाया गया

डॉ. प्रतीक उमरे द्वारा विश्व बाल श्रम निषेध दिवस पर बाल श्रमिक को रोकने हेतु जागरूकता अभियान चलाया गया

डॉ. प्रतीक उमरे द्वारा विश्व बाल श्रम निषेध दिवस पर बाल श्रमिक को रोकने हेतु जागरूकता अभियान चलाया गया


दुर्ग नगर निगम के पूर्व एल्डरमैन डॉ. प्रतीक उमरे द्वारा विश्व बाल श्रम निषेध दिवस पर बाल श्रमिक को रोकने हेतु जागरूकता अभियान चलाया गया।पूर्व एल्डरमैन डॉ. प्रतीक उमरे ने बताया कि हर साल 12 जून को पूरी दुनिया में विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के रूप में मनाया जाता है।इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से श्रम न कराकर उन्हें शिक्षा दिलाने के लिए जागरूक करना है।भारत का संविधान मौलिक अधिकारों और राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत की विभिन्न अनुच्छेदों के माध्यम से कहता है कि 14 साल के कम उम्र का कोई भी बच्चा किसी फैक्ट्री या खदान में काम करने के लिए नियुक्त नहीं किया जाएगा और ना ही किसी अन्य खतरनाक नियोजन में नियुक्त किया जाएगा।बच्चों को स्वस्थ तरीके से स्वतंत्र व सम्मानजनक स्थिति में विकास के अवसर तथा सुविधाएं दी जाएगी और बचपन वा जवानी को नैतिक व भौतिक दुरुपयोग से बचाया जाएगा।बाल मजदूरी रोकने का सबसे महत्वपूर्ण उपाय है बाल मजदूरी के खिलाफ जागरूकता फैलाना ताकि लोग समझ सके कि बाल मजदूरी भविष्य के साथ खिलवाड़ है।उन्हें बताना होगा कि बाल मजदूरी के द्वारा भारत के भविष्य जो बच्चों में है वह मानसिक व शारीरिक रूप से कमजोर हो रहा है।बाल मजदूरी रोकने का दूसरा उपाय है शिक्षा का प्रचार-प्रसार क्योंकि अशिक्षित व्यक्ति बाल मजदूरी को नहीं समझता है।शिक्षा का प्रसार होगा तो बाल मजदूरी पर रोक लगेगी तथा लोग बाल श्रम के प्रति जागरूक होंगे।


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