अधूरे वेतन समझौते को पूर्ण करने एवं ठेका मजदूरों की मांगों पर सीटू का महा धरना

अधूरे वेतन समझौते को पूर्ण करने एवं ठेका मजदूरों की मांगों पर सीटू का महा धरना

अधूरे वेतन समझौते को पूर्ण करने एवं ठेका मजदूरों की मांगों पर सीटू का महा धरना

अधूरे वेतन समझौते को पूर्ण करने एवं ठेका मजदूरों की मांगों पर सीटू का महा धरना 


 स्टील वर्कर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (सीटू) के आह्वान पर सेल कर्मियों की वेज रिवीजन एवं लंबित मांगों को लेकर आज स्थानीय हिंदुस्तान स्टील एंप्लाइज यूनियन सीटू राजहरा के नेतृत्व में खदान कर्मचारियों ने माइंस ऑफिस के समक्ष विशाल महाधरना किया । 
 
सेल के नियमित कर्मचारियों के आधे अधूरे वेतन समझौते और ठेका मजदूरों की वेतन बढ़ोतरी पर प्रबंधन के नकारात्मक रवैए के खिलाफ खदान सहित पूरे सेल के कर्मचारी बेहद आक्रोशित है। सेल की तमाम इकाइयों में बिगत एक वर्ष से अलग-अलग प्रकार से धरना प्रदर्शन के माध्यम से यह प्रयास किया गया कि प्रबंधन जल्द से जल्द एनजेसीएस की बैठक बुलाकर लंबित मुद्दों का निराकरण करे, लेकिन सेल प्रबंधन अपने अड़ियल रवैया पर डटा हुआ है । लगभग एक वर्ष से इन मुद्दों पर कोई पहल प्रबंधन की ओर से नहीं की जा रही है। प्रबंधन के इस रवैया से क्षुब्ध, स्टील वर्कर्स फेडरेशन आफ इंडिया ( सीटू) ने अब ठान लिया है कि सेल में सिलसिलेवार संघर्ष को तेज करते हुए प्रबंधन से आर-पार की लड़ाई करनी होगी । 

इसी रणनीति के तहत पूरे सेल में 15 और 16 जून को विशाल धरना कर प्रबंधन को आगाह किए जाने का कार्यक्रम किया जा रहा है । दल्ली राजहरा में आयोजित खदान कर्मियों के धरने को संबोधित करते हुए यूनियन के सचिव प्रकाश क्षत्रिय ने कहा कि सेल प्रबंधन का रवैया न केवल नकारात्मक है बल्कि श्रमिक विरोधी भी है। प्रबंधन लगातार किसी न किसी बहाने सेल कर्मचारियों को मिली हुई सुविधाओं और लाभों में एकतरफा ढंग से कटौती करने के आदेश जारी करते जा रहा है। ग्रेज्युटी सीलिंग का आदेश इसका ज्वलंत उदाहरण है। उन्होंने कहा कि सेल में पहली बार ऐसा हुआ है जब बहुमत यूनियनों के हस्ताक्षर से सेल कर्मियों पर एक नुकसानदेह,और अधूरा वेतन समझौता लाद दिया गया। बेहद कम एमजीबी पर 10 साल के लिए किया गया वेतन समझौता किसी भी कीमत पर कर्मचारियों के हित में नहीं है। इस समझौते में 39 माह के एरियर्स के संबंध में कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं किए जाने के कारण सेल के कर्मचारी एरियर्स से आज तक वंचित है । इसी तरह नाइट शिफ्ट एलाउंस एचआरए एवं अन्य भक्तों पर मात्र कमेटी बनाकर छोड़ दिया गया है ,जिन कमेटियों की बैठक तक नहीं हो रही है। आक्रोशितकर्मचारी अपना गुस्सा सोशल मीडिया पर उतार रहे हैं लेकिन समस्या का समाधान संघर्ष के बिना नहीं निकलने वाला है। उन्होंने कहा कि बहुमत के आधार पर समझौते पर हस्ताक्षर करने वाली यूनियने अब ना तो प्रबंधन से कुछ करवा पा रही है और ना ही संघर्ष के मैदान में उतरने को तैयार है। निश्चित रूप से यह रवैया किसी गुप्त समझौते की ओर इशारा करता है। एनजेसीएस ने बहुमत की परिपाटी सेल कर्मचारियों को बहुत ही खतरनाक स्थिति में ले जाने वाली है। बोनस के मुद्दे पर भी बहुमत के आधार पर जो फार्मूला तय किया गया उससे कर्मचारियों को नुकसान होना तय है। कर्मचारियों को ट्रेड यूनियनों का चरित्र पहचान कर संघर्षरत संगठन के साथ खडा होना होगा तभी इस तानाशाह प्रबंधन से हम अपने अधिकारों को बचा पायेंगे।
यूनियन के अध्यक्ष पुरषोत्तम सिमैया ने कहा कि कर्मचारियों को नुकसान पहुंचाकर चुप्पी साधे यूनियनों से कोई उम्मीद नहीं की जा सकती है।खदान की भी कुछ यूनियनों ने खदान कर्मचारियों का दासा 10% की जगह 8% करवा दिया।जिसके खिलाफ सीटू आज भी संघर्षरत है।हमें नये बेसिक पर 10% दासा हर हाल में चाहिए। यूनियन के कार्यकारी अध्यक्ष ज्ञानेन्द्र सिंह ने कहा कि सेल के ठेका मजदूरों के साथ प्रबंधन व बहुमत यूनियनों ने बहुत बडी धोखाधड़ी की है। 30 जून का हडताल में यूनियनों ने वादा किया था कि नियमित व ठेका कर्मचारियों का वेतन समझौता एक साथ किया जायेगा लेकिन अक्टूबर में ठेका मजदूरों को दरकिनार कर एक आधा अधूरा समझौता कर लिया गया। ठेका मजदूरों को मात्र कमेटी का लालीपॉप ही मिल पाया।इस कमेटी में भी प्रबंधन मात्र ए डब्ल्यू ए में 30% बढोतरी का शर्मनाक प्रस्ताव देकर चुप हो गया। ठेका मजदूरों के लिए अच्छे वेतन की मांग का एक कानूनी आधार है आज सेल ठेका मजदूर नियमित कर्मचारियों का पूरा काम संभाल रहे हैं, जबकि एन जे सी एस एग्रीमेंट और कांट्रैक्ट लेबर एक्ट में स्पष्ट है कि ठेका मजदूरों को स्थायी प्रकृति के काम में नहीं लगाया जा सकता, फिर भी प्रबंधन द्वारा जब इन मजदूरों से नियमित कर्मचारियों का काम लिया जा रहा है , तो इन्हें नियमित कर्मचारियों की तरह वेतन एवं सुविधाएं क्यों नहीं मिलनी चाहिए ।

सीटू ठेका मजदूरों के वेतन बढ़ोतरी की जायज मांग के लिए संघर्ष हेतु प्रतिबद्ध है। एवं सभी यूनियनों से भी अपील है ठेका मजदूरों के योगदान को देखते हुए संघर्ष में सभी साथ दें । यूनियन के उपाध्यक्ष विनोद मिश्रा ने कहा कि आज सेल में नियमित एवं ठेका मजदूरों के स्थिति एक ही है, जहां एक और नियमित कर्मचारियों का वेतन समझौता आधा अधूरा पड़ा है, वही ठेका मजदूरों का भी वेतन समझौता लंबित है। इसलिए दोनों ही वर्गों को एक साथ मिलकर संघर्ष करना होगा। तभी हम अपनी सभी मांगों को एवं अधिकारों को हासिल कर सकते हैं ।उन्होंने कहा कि सीटू इस लड़ाई को और व्यापक बनाकर अंतिम अंजाम तक पहुंचाने के लिए अब पूरी तरह तैयार है, जरूरत पड़ी तो पूरे सेल में जल्द ही हड़ताल का आह्वान किया जाएगा ।आज के महा धरना के दौरान यूनियन के प्रतिनिधि मंडल ने सीजीएम माइंस से मुलाकात कर सेल चेयरमैन को संबोधित एक ज्ञापन सौंपा जिसमें दो अतिरिक्त इंक्रीमेंट, 39 माह का एरियर्स, नाइट शिफ्ट एलाउंस एवं एचआरए तथा दासा में बढ़ोतरी, पदनाम मुद्दे का तत्काल निराकरण करने,एवं ठेका मजदूरों का वेतन समझौता व दुर्घटना बीमा करने की मांग को प्रमुखता से रखा गया है।

 आज के इस महा धरना में यूनियन के पदाधिकारीगण जे गुरुवुलु, चार्ली वर्गिस, मुकेश मानस, विजय शर्मा, मान सिंह कनवर,इंद्रदमन सिंह ठाकुर, रामाधीन राम, बृजमोहन, सुनील, प्रशांत त्रिवेदी, सुजीत मुखर्जी,हरिश्चन्द्र मंढारे, बी एल रोकडे, यशवंत भंडारी, सुजीत मंडल, गिरीश सिंह, यसवंत सिंह, भोज राम साहू, जसवंत, कमलेश,मंगेश,अजय चौबे, गंगाधर साहू,सुरेश,ईश्वर खरे, भास्कर दर्रो,बबलू शाह, सहित सैकड़ों लोगों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया एवं आगे के संघर्ष के लिए भी अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की ।
       

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