आज है श्री माधव सदाशिव राव गोलवलकर “श्री गुरूजी” का अवतरण दिवस जानिए इनका जीवन परिचय

आज है श्री माधव सदाशिव राव गोलवलकर “श्री गुरूजी” का अवतरण दिवस जानिए इनका जीवन परिचय

आज है श्री माधव सदाशिव राव गोलवलकर “श्री गुरूजी” का अवतरण दिवस जानिए इनका जीवन परिचय

आज है श्री माधव सदाशिव राव गोलवलकर “श्री गुरूजी” का अवतरण दिवस जानिए इनका जीवन परिचय



श्री माधव सदाशिव राव गोलवलकर “श्री गुरूजी” का जन्म 19 फरवरी 1906 को प्रातः साढ़े चार बजे नागपुर के श्री रायकर के घर में हुआ। ताई-भाऊजी की कुल 9 संतानें हुई थीं। उनमें से केवल मधु ही बचा रहा और अपने माता-पिता की आशा का केन्द्र बना। डाक्टर जी के बाद श्री गुरुजी संघ के द्वितिय सरसंघचालक बने और उन्होंने यह दायित्व 1973 की 5 जून तक अर्थात लगभग 33 वर्षों तक संभाला। 1948 में गांधीजी की 30 जनवरी को हत्या, उसके बाद संघ-विरोधी विष-वमन, हिंसाचार की आंधी और संघ पर प्रतिबन्ध का लगाया जाना, इस कालखण्ड में परम पूजनीय श्री गुरुजी ने संघ का पोषण और संवर्धन किया। भारत भर अखंड भ्रमण कर सर्वत्र कार्य को गतिमान किया और स्थान-स्थान पर व्यक्ति- व्यक्ति को जोड़कर सम्पूर्ण भारत में संघकार्य का जाल बिछाया। विपुल पठन-अध्ययन, गहन चिंतन, आध्यात्मिक साधना व गुरुकृपा, मातृभूमि के प्रति निस्वार्थ समर्पणशीलता, समाज के प्रति असीम आत्मीयता, व्यक्तियों को जोडने की अनुपम कुशलता आदि गुणों के कारण उन्होंने सर्वत्र संगठन को तो मजबूत बनाया ही, साथ ही हर क्षेत्र में देश का परिपक्व वैचारिक मार्गदर्शन भी किया। विश्व हिंदू परिषद्, विवेकानंद शिला स्मारक, अखिल भारतीय विद्दार्थी परिषद्, भारतीय मजदूर संघ, वनवासी कल्याण आश्रम, शिशु मंदिरों आदि विविध सेवा संस्थाओं के पीछे श्री गुरुजी की ही प्रेरणा रही है। राजनीतिक क्षेत्र में भी डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी को उन्होंने पं. दिनदयाल उपाध्याय जैसा अनमोल हीरा सौंपा। 5 जून, 1973 को इस राष्ट्रऋषी का परिनिर्वाण हुआ।
परम् पूज्य श्री गुरुजी के परिनिर्वाण दिवस पर उन्हें शत- शत नमन...

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