आरामदायक जीवन के संसाधनों से उत्सर्जित गैस पर्यावरण के लिए घातक - वैज्ञानिक राजेंद्र प्रसाद वासुदेव जी

आरामदायक जीवन के संसाधनों से उत्सर्जित गैस पर्यावरण के लिए घातक - वैज्ञानिक राजेंद्र प्रसाद वासुदेव जी

आरामदायक जीवन के संसाधनों से उत्सर्जित गैस पर्यावरण के लिए घातक - वैज्ञानिक राजेंद्र प्रसाद वासुदेव जी

आरामदायक जीवन के संसाधनों से उत्सर्जित गैस पर्यावरण के लिए घातक - वैज्ञानिक राजेंद्र प्रसाद वासुदेव जी


05 जून 2023, बिलासपुर। धरती की 'छतरी' ओजोन परत पर्यावरण के लिए सुरक्षा कवच का काम करती है। ओजोन परत के अधिक पतला होने पर धरती पर जिंदगी की कल्पना करना भी बेमानी होगी। ओजोन परत पराबैंगनी किरणों से धरती की रक्षा करती है। पराबैंगनी किरणों के घातक प्रभाव के कारण कैंसर, मोतियाबिंद, मलेरिया, फसलों को नुकसान व समुद्री जीवों को खतरा पैदा हो रहा है। 

उक्त व्यक्तव्य प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय बिलासपुर की मुख्य शाखा राजयोग भवन में छत्तीसगढ़ पर्यावरण विभाग के वैज्ञानिक भ्राता राजेंद्र प्रसाद वासुदेव जी विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर कही। वासुदेव जी ने आगे कहा कि तपती गर्मी से राहत के लिए पंखे, कूलर के बाद एयर कंडीशनर का सहारा है, लेकिन एसी से राहत के साथ जान को भी खतरा है। फ्रीज से गैस का उत्सर्जन भी मानव जीवन के लिए घातक है। इन आरामदायक जीवन के संसाधनों से उत्सर्जित गैस से ना केवल मानव जीवन बल्कि पर्यावरण के लिए भी खतरा बना हुआ है। इन सभी संसाधनों में क्लोरो फ्लोरोकार्बन गैस का इस्तेमाल होता है, जो फायदेमंद के साथ नुकसानदायक भी है। इसके वायु में घूलकर ऊपर जाने से ओजोन परत कमजोर पड़ती जा रही है। इसी वजह से धरती का तापमान बढ़ता जा रहा है। प्रकृति सदा अपने आपको संतुलित करती है। हमें इसके साथ तालमेल मिला कर चलना है। प्रकृति से प्रदत्त साधनों को किसी मूल्य से नहीं मापा जा सकता, वह अतुलनीय है। कुछ चीजे ऐसी होती है जिसकी हम कीमत निर्धारित नहीं कर सकते, समय उसकी कीमत निर्धारित करता है। हम ने कोरोना के समय देखा की जो ओक्सीजन अभी हमें फ्री में मिल रही है उस समय एक सिलेंडर के लिए कोई भी कीमत देने के लिए तैयार थे। समय रहते हमें अपनी प्रकृति को बचाना है। मानव का हमेशा से ही प्रकृति से सम्बन्ध रहा है। हम पूर्ण रूप से प्रकृति पर आश्रित है। हमे हमारी सभी आवश्यक चीजे प्रकृति से ही प्राप्त होती है। आज हम इतने विकसित हो सके हैं उसमे भी प्रकृती का ही हाथ है क्योकि हमे हर संसाधन के लिए प्रकृति की ही जरूरत होती है तभी हम उन संसाधनों का निर्माण कर सकते हैं या उपयोग कर सकते हैं। पर विकास ने कही न कही पर्यावरण पर बुरा प्रभाव भी डाला है। क्योकि इंसान अपने फायदे के लिए और आवश्यकताओ की पूर्ति के लिए पर्यावरण को नुकसान पहुचाता आया है। मानव की बढती जरुरतो ने पर्यावरण को परिवर्तन करने पर मजबूर कर दिया है। पर हमे यह नही भूलना चाहिए कि प्रकृति तथा मानव के बिच संतुलन बहुत जरुरी है वरना इस धरती पर हमारा रहना मुश्किल हो जाएगा।

इस अवसर पर सेवाकेन्द्र संचालिका बीके स्वाति दीदी ने बताया कि ब्रह्माकुमारी के द्वारा एक साथ पर्यावरण को बचाने के लिए तीन प्रोजेक्ट चलाये जा रहे है। पहला कल्प तरुह प्रोजेक्ट जिसके अंतर्गत ब्रह्माकुमारीज के 5000 से अधिक सेवाकेन्द्र है और प्रत्येक सेवाकेन्द्र द्वारा कम से कम 75 वृक्षारोपण करने का लक्ष्य सुनिश्चित किया गया है। दूसरा जल जन अभियान – जिसके द्वारा जल की बचत एवं सफाई पर कार्य किया जा रहा है। दीदी ने बताया की घरो के वाटर टेंक में लगने वाली वाटर सेव डिवाइस को राजयोग भवन सेवाकेन्द्र के द्वारा 7000 से भी अधिक लोगो को वितरित किया गया है जिससे हम प्रतिदिन अपने घर में होने वाले पानी के व्यर्थ बहाव को रोक सकते है। तीसरा यौगिक खेती को बढ़ावा ड़ोया जा रहा है। 
अंत में वैज्ञानिक भ्राता राजेंद्र प्रसाद वासुदेव जी ने मधुबन खुशबु देता है गीत गाकर प्रकृति के देने के गुणों की महिमा की। कार्यक्रम में चंद्रकुमार निहलानी, नानक मखीजा, सुनील सोनकुसरे, प्रेम मोदी, अर्जुन सेतपाल, नरेंद्र मूरजानी, रवि मखीजा, मनोरंजन पाटी, केशव तिवारी,माधुरी सोनकुसरे, अंजू दुआ, एस. मणि, पुष्पा अग्रवाल, प्रभा मांझी, हेमा मरावी, आर. अरुणा, संजना मखीजा आदि उपस्थित थे।

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