डोंडी जैन श्री संघ में चातुर्मास अवधि में तपस्या की धूम दो का 31उपवास पूर्ण होने को है
डोंडी: डोंडी नगर मे स्थानकवासी जैन श्री संघ के अहोभाग्य से हुक्म संघ के नवम पट्टधर, युग निर्माता, परमागम रहस्य ज्ञाता, परम पूज्य आचार्य भगवन् 1008 श्री रामलालजी म.सा. के मुखारविंद आज्ञानुवर्ती अहिंसा गौरवमणी पूज्या गुरूनी प्रमिला श्री जी म.सा की सुशिष्या सुप्रिया श्री जी मसा . एवं मधुर व्याख्यानी सेवाभावी अनुजा श्री जी म.सा का डोंडी चातुर्मास कई धर्मालुओं के आत्म कल्याण का मार्ग बन रहा है। वर्तमान में दो मासक्षमण हो रहें है।चातुर्मास के शुरवात दिन से ही नगर के धर्मनिष्ठ परिवार स्वर्गीय रावल चंद बाघमार के बड़े पुत्र ज्ञानचंद बाघमार की पत्नी सुनीता बाघमार का आज 28 दिन का उपवास का क्रम जारी है उन्ही परिवार के कन्हैयालाल बाघमार के द्वितीय पुत्र अजय बाघमार की पत्नी पायल बाघमार का भी 28 उपवास का क्रम जारी है दोनों धार्मिक बहनों का मास खमण करने का लक्ष्य पूर्व से ही निर्धारित कर लिए थे शुरुआत से ही धर्म ध्यान में रुचि रखने वाले सुनीता बाघमार व पायल बाघमार के तपस्या का साता पूछते अनुमोदना पूरा डौंडी समाज कर रहा है तपस्या के क्रम में अब तक 9 का तप पूनम जैन तो 8 का तप पृथ्वी राज व स्वेता गुणधर वही तेला का तप ओम गोलछा, राजेंद्र नाहर,विनय ,विधि,मौली गोलछा,ममता बाघमार,उर्वसी नाहटा ,का पारणा हुआ वही वर्तमान कांता ढेलडिया 5 का तप,रिमझिम का 7 का तप आशा ढेलडिया का 2 का तप जारी है। प्रतिदिन उपवास के अलावा धर्म के प्रति उत्साह देखने को मिल रहा है।
इस बार चातुर्मास के शुरुवात से ही डोंडी जैन समाज में धर्म के प्रति अच्छा प्रतिसार मिलता दिख रहा है प्रत्येक घर से तपस्या सहित धर्म के क्लास में महिलाओ बच्चो की अच्छी उपस्थिति देखने को मिल रही है जिसमे गुणधर परिवार,संचेती परिवार,ढेलडिया परिवार,लोढ़ा परिवार, गोलछा परिवार,नाहटा परिवार,नाहर परिवार, बाघमार परिवार, बुरड़ परिवार,बम परिवार,कोठरी परिवार, के सदस्य जुड़े हैं। म सा श्री के सुमधुर वाणी से और ज्ञान दर्शन चरित्र के बारे में जानकारी होने के बाद कठिन तप कर आचार्यश्री के प्रति अटूट श्रद्धा-भक्ति प्रकट की। समता कुंज में उपस्थित श्रावक-श्राविकाओं ने सभी तप आराधनाओं की जय-जयकार कर अनुमोदना की। प्रमिला श्री जी ने प्रवचन में कहा धर्म की बूंदें पडऩा ठीक है लेकिन जीवन में उनका प्रभाव तभी होता है, जब धर्म का मर्म समझकर आराधना की जाती है। मानव जन्म के रूप में सबकों बहुत बड़ा सुअवसर मिला है, इसमें धर्म तत्व को जानकर आराधना करेंगे, तो जीवन सफल हो जाएगा। उन्होंने कहा लोग मोक्ष और आत्मा के अस्तित्व पर शंका करते है, लेकिन यह नहीं जानते कि में हूं का सार ही आत्मा है। मोबाइल में जैसे सिम का महत्व होता है, वैसे ही शरीर में आत्मा होती है। सिम नहीं रहे, तो मोबाइल कुछ काम का नहीं रहता, वैसे ही आत्मा नहीं हो तो शरीर हड्डी-मांस का ढांचा रह जाएगा। शरीर कभी वीतरागता प्राप्त नहीं करता। आत्मा ही अरिहंत का स्वरूप होती है। अनुजा श्री जी ने कहा धर्म का दायरा बहुत विस्तृत है। धर्म से तात्पर्य अनासक्त भाव में रहना है।
सबकी आसक्ति संसार के प्रति बढ़ रही है सुप्रियाश्री जी मसा ने संसार से उदासीन रहने की प्रवृत्ति को आगे बढ़ाने पर बल दिया। उन्होंने कहा वर्तमान समय में सबकी आसक्ति संसार के प्रति बढ़ रही है। धन, वैभव, परिवार, रिश्ते-नाते आदि से लगाव के कारण संसार नहीं छूटता जबकि इनसे दूर रहकर अनासक्त भाव में जीने का प्रयास करेंगे, तभी धर्म कर पाएंगे।। संचालन पारस बाघमार ने किया। समाज के प्रमुख सुभाष ढेलडिया,राजेंद्र नाहर ,लाल चंद संचेती,सोनू बाघमार,पूनम कोठरी,रूपेश ढेलडियां,संतोष ढेलड़िया, महिलाओ में प्रमुख ललिता गुणधर,सपना बाघमार,रचना गुणधर,ममता बाघमार,गीतांजलि कोठरी,स्वेता गुणधर ने चातुर्मास में उपस्थिति के साथ धर्म व तप करने की बात कही।