एक माह निराहार रहकर सुनीता व पायल बाघमार ने किया मासखमण तप

एक माह निराहार रहकर सुनीता व पायल बाघमार ने किया मासखमण तप

एक माह निराहार रहकर सुनीता व पायल बाघमार ने किया मासखमण तप

एक माह निराहार रहकर सुनीता व पायल बाघमार ने किया मासखमण तप


एक माह निराहार रहकर तपस्विनी सुनीता ज्ञान चंद बाघमार, पायल अजय बाघमार ने मासखमण तप किया। इसे लेकर पूरे जैन समाज में खुशी का माहौल व्याप्त हो गया है। लोग तपस्विनी के मनोबल की जमकर प्रशंसा कर रहे हैं। दो बार मासखमण का तप कर चुकी
सुनीता ज्ञान चंद बाघमार स्वर्गीय रावल चंद जैन की पुत्रवधू है पायल अजय बाघमार गोलछा परिवार की बेटी वह धर्म निष्ठ कन्हैयालाल बाघमार परिवार के द्वितीय पुत्र अजय की बहू है इस तपस्या को लेकर डोंडी जैन समाज के द्वारा आज सांस्कृतिक भवन में तपस्वीयो का अभिनंदन किया ।तपस्या एक औषधि है जो न धरती से उत्पन्न होती है और न ही आकाश से टपकती है। तप का तेज दैनिक शक्ति को प्रतिहत कर देता है। विज्ञान भी इस बात को मानता है कि तप एक अद्वितीय संजीवनी है।

ये विचार साध्वी प्रमिला श्री जी मसा ने रविवार को जैन भवन में प्रवचन में कहा । समाज के प्रमुख प्रतिष्ठित राजेंद्र नाहर ने बताया कि तप से शरीर का काया कल्प होता है। पायल जी बाघमार छोटी उम्र होते हुए भी इतनी लम्बी तपस्या की है, वे बधाई के पात्र हैं। नारी शक्ति को चुनौती देते हुए पायलजी ने साबित किया है कि प्रत्येक नारी में अनंत शक्ति होती है। जरूरत उस शक्ति को पहचानने की है। तप में इतिहास बनाने वाले विरले होते हैं।उन्होंने पूर्व में भी 15का तप कर चुके है।

समाज के पूनम कोठरी ,लाल चंद संचेती ने कहा कि जैन धर्म की तपस्या शरीर को कष्ट देने के लिए नहीं होती, बल्कि शरीर को स्वस्थ रखने व विघ्न, बाधाओं को दूर करने के लिए होती है। जैन महिला मंडल अध्यक्ष सपना बाघमार ने संचालन करते हुए कहा कि तपस्या से आत्मा पर चिपके कर्म मल को दूर किया जा सकता है।
जैन समाज डोंडी के नव युवक संघ के रूपेश कोठरी,सौरभ ढेलडिया,समर्थ संचेती,आशीष बुरड़ ने समस्त जैन समाज की ओर से तपस्वी के तप की अनुमोदना करते हुए कहा कि यह डोंडी जैन समाज के लिए गौरव की बात है। जैन नव युवक राहुल गोलछा ने कहा कि तपस्या से मानसिक और शारीरिक दोषों का नाश होता है। जिस समता और त्याग से तपस्या की है, वह निस्संदेह अनुकरणीय है।महिला मंडल, ने कहा कि तपस्वी ने अपने मासखमण की तपस्या साध्वी श्री प्रमिला श्री जी को अर्पित की है। तप से कर्मों की निर्जरा होती है। सभी के लिए तप खुशियां लेकर आता है।


श्री ओम गोलछा जी की खबर 

Ads Atas Artikel

Ads Atas Artikel 1

Ads Center 2

Ads Center 3