छत्तीसगढ़ में धोबी समाज सक्रिय राष्ट्रीय पार्टियों से की चार सीट की मांग
कमलेश रजक: इस वर्ष के अंतिम माह में होने जा रहे छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हो गई है। राष्ट्रीय पार्टी भाजपा कांग्रेस के अलावा बसपा और आम आदमी पार्टी के नेता भी लगातार दौरा कर कार्यकर्ताओं में जोश भर रहे है तो वही इस बार धोबी समाज ने भी विधानसभा से टिकट की मांग राष्ट्रीय पार्टियों से कर रहे हैं। इसी तारतम्य में छत्तीसगढ़ प्रदेश धोबी समाज के प्रदेश अध्यक्ष मनोज निर्मलकर प्रदेश महासचिव कृष्णकुमार निर्मलकर प्रदेश कोषाध्यक्ष विजय कनौजे युवा प्रदेश अध्यक्ष लोकेश कनौजे प्रदेश संरक्षक झड़ी कन्नौजे नरेंद्र निर्मलकर महेश निर्मलकर गोपाल दुर्गासी कुलेश्वर निर्मलकर भागबली निर्मलकर प्रदेश उपाध्यक्ष श्रीराम रजक पुरुषोत्तम रजक चोवाराम निर्मलकर सूरज निर्मलकर भोजेन्द्र निर्मलकर रामकुमार निर्मलकर प्रदेश महामंत्री नरेंद्र चौधरी प्रदेश संगठन मंत्री ललित बुंदेला प्रदेश संगठन सचिव वीरेंद्र निर्मलकर प्रदेश उप कोषाध्यक्ष धनेश्वर निर्मलकर प्रदेश सलाहकार अनिल रजक भरत निर्मलकर झुमुक लाल चौधरी प्रदेश प्रवक्ता भागीरथी निर्मलकर किरण कन्नौज राजेंद्र निर्मलकर राजेश रजक लखन निर्मलकर आईटी सेल प्रदेश अध्यक्ष कमलेश रजक प्रदेश सचिव भागीराम निर्मलकर कैलाश सोनवानी धेनुराम निर्मलकर टीकाराम निर्मलकर संभागीय महासचिव दिनेश निर्मलकर महिला प्रकोष्ठ प्रदेश अध्यक्ष चित्ररेखा निर्मलकर प्रदेश कार्यकारिणी अध्यक्ष निर्मला रजक प्रदेश महासचिव नेमबाई निर्मलकर प्रदेश कोषाध्यक्ष संतोषी निर्मलकर प्रदेश संगठन महामंत्री नीलू रजक युवा प्रकोष्ठ प्रदेश महासचिव पोषण निर्मलकर युवा प्रकोष्ठ बलौदाबाजार जिलाध्यक्ष उमाशंकर कर्ष आईटी सेल जिलाध्यक्ष महेंद्र रजक बेमेतरा आईटी सेल जिलाध्यक्ष हरि निर्मलकर मुंगेली जिला अध्यक्ष भरोसा निर्मलकर सहित प्रदेश पदाधिकारी ने बताया कि छत्तीसगढ़ में हमारे धोबी समाज की जनसंख्या 25 से 30 लाख के आसपास है। संख्या बल के आधार पर समाज के लोगों को जो राजनीतिक अधिकार मिलना चाहिए वो नहीं मिल रहा है राजनीतिक दलों द्वारा केवल वोट बैंक तक हमारे समाज को सीमित कर दिया गया हैं। किसी भी समाज के विकास के लिए राजनीतिक भागीदारी का होना बहुत जरूरी है समाज में जितने ज्यादा जनप्रतिनिधि होंगे उस समाज का विकास तेज गति से होगा। प्रदेश पदाधिकारियों ने कहा कि धोबी समाज ने पूरे छत्तीसगढ़ में अपने संगठन की एकता के बल पर एक अलग पहचान बनाई है। सामाजिक संगठन व एकता छत्तीसगढ़ में एक मिसाल बन गया है। इसलिए धोबी समाज को भी संख्या बल के आधार पर विधानसभा में कम से कम चार सीट देने की मांग की गई है। अभी तक प्रदेश की राजनीतिक पार्टियों समाज की अपेक्षा करते आई हैं जिसके कारण सामाजिक संगठन एवं समाज के लोग निराश हैं।