रक्षाबंधन है भाई - बहन के पवित्र रिश्ते का द्योतक: संत रामबालकदास
आपसी वैर, ईर्ष्या, घृणा, द्वेष के बंधन तोड़कर आपस में प्रेम, सद्भाव, दया, करूणा के भाव जागृत करें। समाज में नारी जाति का सम्मान करें। जिस बहन ने कलाई में रक्षा सूत्र बांधा हो उसके सम्मान, सुख, सुविधा की रक्षा करना भाई का कर्तव्य है। रक्षाबंधन का पर्व हमें यह संदेश देता है कि नैतिक मूल्यों से बंधकर स्वयं के साथ समाज की रक्षा करें। उपर्युक्त बातें पाटेश्वरधाम के आनलाईन सतसंग में संत रामबालकदास जी ने कही।
बाबाजी ने कहा यह पर्व भाई - बहन के अटूट प्यार, रिश्ते का पर्व है जो भारत ही नहीं पूरे विश्व में मनाया जाता है। यह पर्व कब से मनाना प्रारंभ किया गया इस पर अनेक मान्यतायें हैं। इनमें से प्रमुख है जब भगवान हरि कई महिनों तक माता लक्ष्मी के पास नहीं आये तब लक्ष्मी जी उनकी खोज करती हुयी सुतल लोक में राजा बलि के यहाॅ गयी उनको रक्षा सूत्र बांधकर भाई बनाया। बलि द्वारा कुछ मांगो कहने पर लक्ष्मी ने विष्णु को मुक्त करने की बात कही। एक अन्य मान्यता के अनुसार शिशुपाल का वध करते समय भगवान श्री कृष्ण की ऊंगली कट गयी जिससे रक्त बहने लगा तब द्रोपदी ने तत्काल अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर कृष्ण की ऊंगली में बांधा तब से कृष्ण ने द्रोपदी को बहन मान लिया। भविष्य पुरान के एक अन्य प्रसंग अनुसार असुरों के राजा बलि ने देवताओं पर हमला कर दिया तब इंद्र की पत्नी सची सहायता के लिये भगवान विष्णु के पास गयी विष्णु ने सची को एक धागा देकर इंद्र की कलाई पर बांधने कहा जिससे युद्ध में देवताओं की जीत हुयी। बाबाजी ने कहा यह पर्व भाई - बहन के अत्यंत पवित्र रिश्ते का द्योतक है।