सफेद हाथी साबित हो रही है डॉ.खूबचन्द बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना
दुर्ग नगर निगम के पूर्व एल्डरमैन डॉ. प्रतीक उमरे ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा स्वास्थ्य संबंधी बीमा योजना डॉ खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता शुरू की गई थी। जिसमें बताया गया कि प्रदेश में रहने वाले वे लोग जिनके पास अंत्योदय राशन कार्ड है उन्हें इस योजना के अंतर्गत 5 लाख रूपये तक का स्वास्थ्य बीमा सरकार द्वारा प्रदान किया जाएगा।इसके अलावा जिन लोगों के पास एपीएल राशन कार्ड उपलब्ध है उन्हें 50 हजार रुपये की सहायता ओपीडी एवं अन्य स्वास्थ्य ट्रीटमेंट के लिए दी जाएगी। इसके लिए स्मार्ट कार्ड की बाध्यता को समाप्त कर दिया गया था एवं राशन कार्ड और आधार कार्ड पर ही इलाज करने की बात कही गई थी।लेकिन अब यह योजना लोगों के लिए सफेद हाथी साबित हो रही है।निजी अस्पताल में खूबचंद बघेल योजना के अंतर्गत मलेरिया, मोतियाबिंद, सर्जिकल डिलीवरी,हाइड्रोसील,नसबंदी,गैंगरीन समेत 167 प्रकार की बीमारियों को सरकार ने इस योजना से हटा दिया है।जिसकी वजह से मरीजों को अब केवल सरकारी अस्पताल में ही जाना पड़ रहा है।निजी अस्पतालों में बीमारियों को हटाने के बाद ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी अस्पतालों में दिक्कतें बढ़ने लगी है क्योंकि प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में संसाधनों का आभाव है।उन्होंने कहा कि पहले लोगों के पास जब स्मार्ट कार्ड रहता था तो उन्हें लगता था कि उनके जेब में 50 हजार रुपए हैं और अपनी किसी भी बीमारी का मरीज सरकारी व प्राइवेट हॉस्पिटल में संबंधित पैकेज में अपना उपचार करा लेता था।लेकिन अब खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना में संबंधित बीमारियों का उपचार केवल सरकारी अस्पतालों में ही किया जा सकेगा।जबकि प्रदेश में सरकारी अस्पतालों का हाल किसी से छिपा नहीं है।
मोतियाबिंद जैसे सामान्य बीमारी के लिए भी हितग्राहियों की जेब से पैसे देने पड़ रहे हैं
पूर्व एल्डरमैन डॉ. प्रतीक उमरे ने बताया कि अब मोतियाबिंद जैसे सामान्य बीमारी के लिए भी हितग्राहियों की जेब से पैसे देने पड़ रहे हैं इस तरह की अनेक बीमारियों का उपचार छत्तीसगढ़ सरकार की नई खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना में नहीं हो रहा है।उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने छत्तीसगढ़ में चल रही इन सभी 6 स्वास्थ्य योजनाओं प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (आयुष्मान भारत), मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना, संजीवनी सहायता कोष, मुख्यमंत्री श्रवण योजना और नेशनल चाइल्ड हेल्थ प्रोग्राम चिरायु,मुख्यमंत्री बाल हृदय सुरक्षा योजना को भी डॉ खूबचंद बघेल स्वास्थ सहायता योजना में जोड़ दिया है।जिससे जरूरतमंदों को अब संजीवनी सहायता कोष का भी समय पर लाभ नहीं मिल पा रहा है।सरकार द्वारा दावा किया जा रहा था कि इस योजना से गंभीर बीमारियों से ग्रसित मरीजों को 20 लाख रुपए तक का इलाज कराया जा सकेगा।लेकिन मेडिकल सिस्टम को देखते हुए यह भी संभव नहीं दिख रहा है और इसमें भी मरीज और उसके परिजनों को राजनीतिक पहुंच और सिफारिश लगानी पड़ती है।पूर्व एल्डरमैन डॉ. प्रतीक उमरे ने बताया कि खूबचंद बघेल स्वास्थ्य योजना के तहत 167 बीमारियों के इलाज के पैकेज को सरकारी अस्पतालों के लिए आरक्षित कर दिया।इनमें जनरल सर्जरी- हाईड्रोसिल, संक्रामित कुखरू,पैरों में सूजन, स्तन की गांठ, हर्निया।जनरल मेडिसीन- पेचिस, किडनी संबंधित,मलेरिया,गंभीर एचआईवी, न्यूरो मस्कुलर डिसऑर्डर,कॉडियोलॉजी- एएसडी डिवाइज क्लोजर, वीएसडी डिवाइज क्लोजर, पीडीए डिवाइज क्लोजर, पीडीए क्वाइल।ये सभी बीमारियां दिल के सुराग से संबंधित हैं हार्ट, किडनी, स्त्रीरोग,जनरल सर्जरी,जनरल मेडिसीन से जुड़ी बड़ी बीमारियां प्रमुख रूप से शामिल हैं।इन 167 बीमारियों का इलाज सरकारी योजना के तहत सिर्फ और सिर्फ सरकारी अस्पतालों में होगा।अगर इनमें से किसी बीमारी से ग्रसित हैं और निजी अस्पताल में सरकारी योजना से इलाज करवाने की सोच रहे हैं तो संभव नहीं हैं। हितग्राहियों को खुद की जेब से ही इलाज की राशि का भुगतान करना होगा।लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पाने से लोग बेहद परेशान है।केंद्र की लोकप्रिय आयुष्मान भारत योजना को बंद कर उसके जगह प्रदेश सरकार द्वारा चालू की गयी ख़ूबचंद बघेल योजना बिलकुल फेल है।सरकार को इस पर गम्भीरता से विचार कर तत्काल इसमें ऐसा सुधार करने की आवश्यकता है,जिससे योजना का लाभ आम जनता को मिल सके और प्रदेश में इलाज के अभाव में किसी को ज़मीन बेचना एवं गिरवी रखना नहीं पड़े।