डोंडी चातुर्मास बन रहा कई धर्मालुओं के आत्म कल्याण का मार्ग

डोंडी चातुर्मास बन रहा कई धर्मालुओं के आत्म कल्याण का मार्ग

डोंडी चातुर्मास बन रहा कई धर्मालुओं के आत्म कल्याण का मार्ग

डोंडी चातुर्मास बन रहा कई धर्मालुओं के आत्म कल्याण का मार्ग 


आचार्य भगवन् 1008 श्री रामलालजी म.सा. के मुखारविंद आज्ञानुवर्ती अहिंसा गौरवमणी पूज्या गुरूनी प्रमिला श्री जी म.सा की सुशिष्या सुप्रिया श्री जी मसा . एवं मधुर व्याख्यानी सेवाभावी अनुजा श्री जी म.सा का डोंडी चातुर्मास कई धर्मालुओं के आत्म कल्याण का मार्ग बन रहा है। वर्तमान चातुर्मास के दौरान त्याग व तपस्या करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है क्रम में15 दिनों का निर्जरा तपस्या नगर के रतन लाल कोठारी की पुुत्र वधु गीतांजलि कोठारी ने पूर्ण किया।नगर के गौरव चौरडिया ,संध्या बाघमार का 30दिन का तप पूर्णता की ओर है।जैन समाज डौंडी के सदस्यों द्वारा पयुर्षण काल में तप ,धर्म,ध्यान में रुचि रखते तपस्या करने वालो में प्रमुख छोटे बच्चो में कामना बाघमार,मौली गोलछा, झलक जैन, तनीषा बाघमार, युवक, युवतियो में सुनील बाघमार,चंचल कोठरी,मांगी लाल गुणधर,मनीषा नाहटा,बिट्टू ढेलडिया,लाल चंद संचेती,समता संचेती,पुष्पा लोढ़ा,राहुल लोढ़ा, प्रीति लोढ़ा ,विधि बाघमार,राहुल ढेलडिया,कुन्नी नाहर,अजय बाघमार ने भी तपस्या की।
 
जोड़ों से तपस्या करने ममता पिंटू नाहर,स्वेता विजय गुणधर, कांता सुनील ढेलडिया,ने भी तप कर कर्मो की निर्जरा की। तपस्या में किसी भी कार्य का संकल्प लेना आवश्यक होता है। इससे मन बलवान होता है वहीं आत्मा की शुद्धि होती है। चातुर्मास में संकल्प व तपस्या का विशेष महत्व होता है। हर रोज एक संकल्प व तप करना आवश्यक है। यह बात यह बात जैन स्थानक भवन डौंडी में चातुर्मास प्रवचन के दौरान पूज्या गुरूनी प्रमिला श्री जी ने कही। उन्होंने बताया जीवन एक चिंतन है और मानव को चिंतन जरूर करना चाहिए। अच्छे चिंतन से सद् गति से प्राप्त करता है। सभी की जीवन के संबंध में अलग अलग सोच है। साधारण मनुष्य जीवन को चिंतन के रूप में देखता है तो साधक जीवन को सरिता की धारा के रूप में देखता है। कवि जीवन को काव्य की धारा के रूप में महसूस करता है। जैन आगम, सामायिक सूत्र, प्रतिकमण सूत्र की नियमित पाठ सभी को करना चाहिए। इससे धर्म का ज्ञान होता है। गुरु के महत्व को बताते हुए इसकी व्याख्या की। आयोजित धर्मसभा में श्रद्धालुओं का रूझान धर्म के प्रति बढ़ता ही जा रहा है। जैन समाज डौंडी के सभी परिवार के सदस्य नियमित प्रवचन सुनने पहुंच रहे है।

चातुर्मास पर युवाओं और महिलाओं को धर्म-कर्म की शिक्षा देने विशेष कक्षा भी लगाई जा रही।

नियमित हो रहा स्वाध्याय

भवन में महिलाएं धार्मिेक दर्शन सीख रहीं। इसमें जैन आगम, सामायिक सूत्र, प्रतिकमण सूत्र की नियमित क्लास हो रही। प्रवचन के बाद उससे संबंधित पांच प्रश्न पूछे जा रहे हैं, पुरस्कार भी दिया जा रहा। 48 मिनट की सामायिक की जा रही है।

जीवन में अकड़ ही दुखों का कारण

 व्याख्यानी सेवाभावी अनुजा श्री जी म.सा ने कहा अकड़ पकड़ और जकड़ की भावना जहां भी होगी, वहां सुख का वातावरण दुख में बदलने में देर नहीं लगती। मनुष्य को भी उतना ही पांव पसारना चाहिए, जितनी उसकी चादर हो। उन्होंने आग्रह बुद्धि के संबंध में विचार रखते हुए किस्से और कहानियों से धर्म सभा की संबोधित किया।

डौंडी चातुर्मास में तपस्याओं का दौर चल रहा है। तप की आराधना उत्साह पूर्वक चल रही है अनेक भाई बहनों ने तप साधना में बढ़ चढ़ कर लाभ लिया है तप के द्वारा देह और कर्म शुद्धि हो तो अनेक कष्टों का निवारण होता है, देव प्रसन्न होते है सद्गगति की प्राप्ति होती गुरुदेव ने बताया कि साधना करते समय तन मन की पवित्रता होना अति आवश्यक है। निस्वार्थ भावना हो गरीबों की सेवा,माता-पिता, गुरुजनों की सेवा एवं आशिर्वाद लेना चाहिए तपो साधना से सभी कार्य शीघ्र सिद्ध होते है महिला मंडल में आयंबिल तप की तपस्या चल रही ,लड़ी के आयम्बिल आदि तपस्याएं चल रही है।

Ads Atas Artikel

Ads Atas Artikel 1

Ads Center 2

Ads Center 3