वार्ड नंबर 2 गणेश चौक पंडर दल्ली में माताओं ने संतान सुख एवं संतान की दीर्घायु के लिए रखे निर्जला उपवास कमरछट्ट महापर्व

वार्ड नंबर 2 गणेश चौक पंडर दल्ली में माताओं ने संतान सुख एवं संतान की दीर्घायु के लिए रखे निर्जला उपवास कमरछट्ट महापर्व

वार्ड नंबर 2 गणेश चौक पंडर दल्ली में माताओं ने संतान सुख एवं संतान की दीर्घायु के लिए रखे निर्जला उपवास कमरछट्ट महापर्व

वार्ड नंबर 2 गणेश चौक पंडर दल्ली में माताओं ने संतान सुख एवं संतान की दीर्घायु के लिए रखे निर्जला उपवास कमरछट्ट महापर्व 


वार्ड नंबर 2 गणेश चौक स्थित गणेश मंदिर के पास वार्ड की महिलाओं ने आज कमर छठ महापर्व मनाया l दोपहर 3:00 बजे सभी माताओ ने संतान सुख एवं पुत्र कामना के लिए सागरी के पास भगवान शिव एवं मां पार्वती का पूजा अर्चना किया l तथा संतान की लंबी उम्र के लिए पूजा अर्चना किये l नव विवाहित महिलाओं ने भी उपवास रख कर संतान के लिए सगरी की पूजा करके प्रसाद वितरण किये l पंडित का काम वार्ड के रवि साहू ने किया l उनके द्वारा महिलाओं को पारंपरिक एवं छह प्रकार की कहानी बताई गई l हिंदू धर्म की धार्मिक ग्रंथ महापुराण के अनुसार कमर छठ का महापर्व माता देवकी ने भगवान शिव एवं माता पार्वती को पुत्र कामना के लिए यह व्रत रखी थी l जिसके परिणाम स्वरूप भगवान बलराम का जन्म हुआ l इसी मान्यता के लिए मताएं अपने संतानों के खुशी तथा नव विवाहित संतान प्राप्ति के लिए यह व्रत रखते हैं l इस व्रत में माता के द्वारा सुबह से निर्जला उपवास रखा जाता है तथा इस उपवास में बिना पूजा किया पानी भी पीना निषिद्ध माना गया है l इस उपवास में बिना हल चलाए हुए फसल का उपयोग प्रसाद के रूप में किया जाता है l तालाब एवं पोखर में उगने वाले पशेर चावल जिसे लाल चावल भी कहते हैं का भात बनाकर भगवान को भोग लगाया जाता है l छत्तीसगढ़ भाजियों का भी गढ़ है l इसलिए इस उपवास में छह प्रकार के भाजियों का पूजा में उपयोग होता है l इस पूजा में सगरी में छह बार पानी डाला जाता है l कमर् छठ पूजा में सगरी यह है जिसे मिट्टी खोदकर दो तालाब का स्वरूप दिया जाता है उसके चारों तरफ पारंपरिक चिरैया का फुल सहित पौधा लगाया जाता है l बीच-बीच में भादो मास में खिलाने वाले काशी के पौधा फूलों सहित लगाया जाता है तथा भगवान को भोग लगाने के लिए खम्हार के पत्ता का उपयोग करते हैं l व्रती माताएं इस दिन खम्हार पेड़ के दातुन का उपयोग करते हैं l 6 प्रकार के मिट्टी के खिलौने का उपयोग होता है l 6 कटोरी लाई भगवान को अर्पित करते हैं l 6 मिट्टी के चुकी और 6 प्रकार के कपड़े तथा बच्चों को खुशहाली के लिए छह बार थपकी दी जाती है l इस पूजा में गाय के दूध के बजाय भैंस का दूध एवं भैंस दही एवं घी का उपयोग होता है l

इस पूजा में श्रीमती द्रोपती साहू, नर्मदा साहू, इंदु देशमुख, बबिता, बसंता,मानकी साहू सुशीला, किरण साहू,रीना जयसवाल, कामती साहू, पूनम जयसवाल, रमोतीन साहू,राजकुमारी, संतरी,निर्मला, गुम्फा, लोकेश्वरी, सुरेखा,रोशनी, दिव्या उपस्थित रहे।

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