छत्तीसगढ़ समन्वय समिति भवन दल्ली राजहरा में छत्तीसगढ़ का पारंपरिक त्योहार कमर छठ पर्व बड़े ही हर्षो उल्लास के साथ मनाया गया

छत्तीसगढ़ समन्वय समिति भवन दल्ली राजहरा में छत्तीसगढ़ का पारंपरिक त्योहार कमर छठ पर्व बड़े ही हर्षो उल्लास के साथ मनाया गया

छत्तीसगढ़ समन्वय समिति भवन दल्ली राजहरा में छत्तीसगढ़ का पारंपरिक त्योहार कमर छठ पर्व बड़े ही हर्षो उल्लास के साथ मनाया गया

छत्तीसगढ़ समन्वय समिति भवन दल्ली राजहरा में छत्तीसगढ़ का पारंपरिक त्योहार कमर छठ पर्व बड़े ही हर्षो उल्लास के साथ मनाया गया 


छत्तीसगढ़ समन्वय समिति की महिलाओं द्वारा सगरी बनाकर हर छठी माता की पूजा अर्चना की गई l सभी छत्तीसगढ़ समाज की महिलाएं करीब 12:00 बजे छत्तीसगढ़ भवन में इकट्ठा हुए और अपने साथ थाली में पूजा के लिए दूध दही लाई मिट्टी का समान काशी का फूल श्रृंगार का सामान बेलपत्र भैंस का दूध लाई एवं मिट्टी का सागरी बनाकर पूजा अर्चना किया l छत्तीसगढ़ संस्कृति का यह पर्व है जिसे हर जाति सनातन धर्म के लोग मानते हैं l पूजा पश्चात सभी महिलाओं को पंडित द्वारा कथा सुनाया गया l पंडित जी ने कथा में बताया कि हिंदू सनातन धर्म में कमर छठ पर्व का विशेष महत्व है महिलाएं इस पर्व को आदिकाल से मनाती आ रही हैं l महिलाएं अपनी संतान की दीर्घायु और स्वास्थ्य के लिए व्रत रखती है l बताया जाता है कि संतान प्राप्ति के लिए भी इन दिन महिलाओं व्रत रखती है इसके बाद हल षष्ठी माता की छह कथाएं पढ़ी एवं सुनाई गई l महिलाओं के द्वारा सागरी बनाया गया जिसे बेलपत्र फुल काशी के फूल से सजाया गया l इसमें पानी भरा गया l महिलाओं सुबह से ही महुआ का दातुन एवं स्नान कर व्रत रखती है l 

पूजा पश्चात घर आकर पसेर चावल को बनाकर एवं छह प्रकार के हरी पत्ते की भाजी बनाकर शाम को पुनः पूजा कर अपना व्रत तोड़ती है l भोजन करने की पूर्व कुत्ता पक्षी बिल्ली गाय भैंस व चिड़ियों के लिए दही के साथ पत्तों में परोस कर प्रसाद दिया जाता है l फिर व्रत रखने वाली महिलाएं सूर्यास्त से पहले फलाहार करती है l इस कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ समन्वय समिति की सभी महिलाओं ने बहुत ही हर्षोल्लास के साथ हिस्सा लिया l समिति के अध्यक्ष श्रीमती महिला घराना ने सभी बहनों को कमर छठ पर्व बधाई दी l

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