तिल्दा नेवरा। तिल्दा रेलवे फाटक से आम आदमी हो चुके परेशान,आधे आधे घंटे तक रहता है बंद, मैं देर करता नहीं देर हो जाती है, की तर्ज पर लोग है काफी हलाकान।

तिल्दा नेवरा। तिल्दा रेलवे फाटक से आम आदमी हो चुके परेशान,आधे आधे घंटे तक रहता है बंद, मैं देर करता नहीं देर हो जाती है, की तर्ज पर लोग है काफी हलाकान।

तिल्दा नेवरा। तिल्दा रेलवे फाटक से आम आदमी हो चुके परेशान,आधे आधे घंटे तक रहता है बंद, मैं देर करता नहीं देर हो जाती है, की तर्ज पर लोग है काफी हलाकान।

तिल्दा नेवरा। तिल्दा रेलवे फाटक से आम आदमी हो चुके परेशान,आधे आधे घंटे तक रहता है बंद, मैं देर करता नहीं देर हो जाती है, की तर्ज पर लोग है काफी हलाकान।


तिल्दा रेलवे फाटक से आम राहगीर काफी हलकान और परेशान हो चुके हैं यह केबिन एक बार बंद हुआ तो लगभग आधे घंटे बाद खुलता है, दोनों ही तरफ से जब तक 6 से 7 गाड़ियां नहीं निकल जाती तब तक रेलवे फाटक को नहीं खोला जाता, और फाटक के दोनों और लंबी कतारे वाहनों की लग जाती है, तिल्दा औद्योगिक क्षेत्र घोषित किया गया है जहां पर 24 घंटे छोटी बड़ी गाड़ियों की आवाजाही हो रही है, यहां तिल्दा रेलवे केबिन में अंडर ब्रिज और फ्लाईओवर ब्रिज प्रस्तावित है, जिसका काम अब तक शुरू नहीं हो पाया है, साथ ही यहां पर बता दें कि रेलवे फाटक बंद होने से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है ,एक बार यह रेलवे फाटक बंद हो जाएं तो लगभग आधे घंटे तक बंद रहता है दोनों तरफ से अप व डाउन लाइन में जब तक 6 से 7 गाड़ियां नहीं निकल जाती तब तक रेलवे फाटक को नहीं खोला जाता।

हद तो तब हो जाती है जब अप एवं डाउन दोनों तरफ से गाड़ियां निकल जाती है उसके बाद स्टेशन में खड़ी मालगाड़ी को भी सिग्नल देकर छोड़ा जाता है,जिससे घंटो रेलवे फाटक बंद हो जाता है। वही एक रेल लाइन को अदानी पावर प्लांट के लिए दिया गया है,जहां पर उक्त लाइन में अदानी पावर प्लांट से कोयला खाली कर मालगाड़ी आती है तो उसे रेलवे केबिन के बीचो-बीच खड़ी कर दी जाती है जिससे रेलवे फाटक काफी देर तक बंद रहता है, आम नागरिक राहगीर फाटक खुलने के इंतजार में आधे आधे घंटे तक बाट जोहते रहते है। जिससे आम नागरिकों राहगीरों को और भी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है, 
 
साथ ही यहां पर बता दें कि इस मार्ग पर हजारों गांव हैं साथ ही औद्योगिक क्षेत्र घोषित होने से कई उद्योग स्थापित है जहां पर 24 घंटे छोटी बड़ी गाड़ियां चल रही है साथ ही रेलवे फाटक बंद होने से इमरजेंसी वाहन एंबुलेंस आदि भी फाटक पर फंसी रहती है जिससे कई मरीजों को भी काफी तकलीफों का सामना करना पड़ता है

इस संबंध में स्टेशन मास्टर सुमन झा से बात करने पर उन्होंने कहा कि यह सब कंट्रोलर से होता है जब तक कंट्रोलर सिग्नल नहीं देगा तब तक कुछ नहीं किया जा सकता, साथ ही यहां आधे आधे घंटे फाटक बंद रहने से आम आदमियों को हो रही तकलीफों के बारे में जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हम भी मजबूर हैं कुछ नहीं कर सकते , साथ ही बता दें कि रेलवे लाइन के इस पार 6 प्रमुख वार्ड स्थित है जिनके नागरिकों को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, साथ ही इस पर कोई जनप्रतिनिधि भी किसी तरह का ध्यान नहीं दे रहे हैं , किसी जनप्रतिनिधि के द्वारा इस संबंध में ना तो ज्ञापन दिया जाता है और ना ही कोई आंदोलन के लिए कोई बात कही जाती है, जबकि रेलवे लाइन के इस पर 6 वार्ड स्थित है यह छह वार्ड प्रमुख है, वही हजारों गांव के नागरिकों को भी रेलवे फाटक से होकर गुजरना पड़ता है जहां उन्हें काफी असुविधाओं, मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन जनप्रतिनिधि व रेलवे के अधिकारी आंख बंद किए हुए है।

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