सुहागन माताओ की तपस्या का पर्व है हरतालिका तीज संत राम बालक दास जी ने दी सभी माताओ को तीज पर्व की शुभकामनाएं
बालोद जिला के पाटेश्वर धाम के संत रामबालक दास जी के द्वारा 1 घंटे का अद्भुत सत्संग पूरे देश को एकीकृत करके रोज आयोजित किया जाता है जो कि उनके विभिन्न व्हाट्सएप ग्रुप में प्रातः 10:00 बजे से 11:00 बजे आयोजित होता है जिसमें धार्मिक चर्चाओं के अतिरिक्त अन्य समसामयिक चर्चाओं पर भी आधारित जिज्ञासाओं का समाधान किया जाता है आज विश्वकर्मा जयंती की महिमा पर गीता जी ने बाबा जी के समक्ष जिज्ञासा रखी
,, गुरुदेव जी विश्वकर्मा जयंती को तारीख़ के अनुसार ही क्यो मनाते है कृपया प्रकाश डालने की कृपा करे
बाबा जी ने बताया कि वैसे तो विश्वकर्मा जयंती तिथि के अनुसार कृष्ण पक्ष के संक्रांति देखकर मनाया जाना चाहिए भाद्र के अंतिम दिन जिसे कन्या संक्रांति या भाद्र संक्रांति होता हैँ लेकिन जिस तरह से मकर संक्रांति 14 या 15 जनवरी के ही आसपास आती है इस लिए इसे अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 14 जनवरी को ही मनाया जाने लगा वैसे ही कन्या संक्रांति या भाद्र संक्रांति अधिकांशत 17 सितम्बर को आने के कारण अधिकांशतः
दिनांक के हिसाब से सभी ने मनाना प्रारंभ कर दिया
भगवान विश्वकर्मा शिल्प के देवता है जो की वास्तु भगवान के पुत्र हैं,वास्तु धर्म के पुत्र हैं और धर्म ब्रह्मा जी के इस प्रकार विश्वकर्मा जी ब्रह्मा जी के प्रपौत्र हुए इन्हें पूरी सृष्टि में शिल्पकर्ता के रूप में जाना जाता है एवं पूजा जाता है
रामेश्वर वर्मा जी ने जिज्ञासा राखी की गुरु वर हरितालिका तीज पर्व के बारे में प्रकाश डालने की कृपा करें, बाबा जी ने हरतालिका तीज की विशेषताओं को स्पष्ट करते हुए कथा बताया कि,शिवजी को पाने के लिए पार्वती माता ने घोर तप एवं कठिन व्रत किया जिसमें उनकी प्रिय सखी हरतालिका भी उनके सेवा मे थी
जब शिवजी माता पार्वती को प्राप्त हो हुए तो वह शिवजी के साथ कैलाश पर्वत पर गमन करने लगी तब हरतालिका जी ने कहा कि माता आप तो चली जाएगी मेरा क्या होगा तब माता पार्वती ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि हरतालिका तुम भी अब मेरे साथ ही मेरे पास रहोगी और तुम भी अमर हो जाओगे,और इस दिन भाद्र पक्ष की तीज को हरतालिका तीज के रूप में जाना जाएगा और जो इस दिन पतिव्रता नारी अपने पती की लिए व्रत रखेंगी उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो उसकी पति को दीर्घायु प्राप्त होगी और जो बालिकाएं यह व्रत रखेंगे उनका मन इच्छित वर प्राप्त होगा।