बागबाहरा: आदिवासी राजगोंड समाज सुवरमाल राज द्वारा हाथी बाहरा बुढादेव मंदिर परिसर में नावाखाई जोहार भेंट का कार्यक्रम रखा गया
अखिल भारतीय आदिवासी राजगोंड समाज सुवरमाल राज द्वारा हाथी बाहरा बुढादेव मंदिर परिसर में नावाखाई जोहार भेंट का कार्यक्रम रखा गया इस कार्यक्रम में सभी आदिवासी राजगोंड समाज के लोग हजारों की संख्या में शामिल हुए जिसमें आदिवासी राजगोंड के लोगों द्वारा किस तरह से नावाखाई त्यौहार को मानते हैं उसके बारे में बुजुर्गों ने बताया और साथ ही कार्यक्रम स्थल में नवाखाई त्यौहार को मनाया गया और एक दूसरे को जौहर भेंट किया गया
तो वही संगीत की माध्यम से भी नवाखाई त्योहार के बारे में संदेश दिया गया और बुजुर्गों ने बताया कि इस त्यौहार को पूर्वजों से हमारे आदिवासी समाज में चलता आ रहा है जो कि आज तक हम इस त्यौहार को मना रहे हैं भादो माह के पंचमी के दिन नावाखाई त्यौहार को मानते हैं इस दिन धान की बालियों को लाकर इष्ट देव पर पूजा अर्चना करते हैं और इस धान की बालियों से चिवड़ा एवं खीर बनाकर कोरियर पत्ता पर भोजन ग्रहण करते हैं कोरियर पत्ते पर भोजन क्यों करते हैं जानिए आगे कोरियर पत्ते और भेलुवा पत्ता का महत्वपूर्ण ।
बुजुर्गों ने बताया कि भेलवा पत्ता को हरेली त्यौहार के दिन खेत में पूजा पाठ करके खेत में और घरों में लगाया जाता है ताकि सुख समृद्धि बनी रहे और कोरियर पत्ता में भोजन किया जाता है कोरियर पत्ता में जो भोजन करता है उसकी ऊर्जा और कुछ बीमारियों से छुटकारा मिलता है ।
महासमुंद से हेमसागर यादव जी कि ख़बर